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ख़ुशख़बरी भई: मौलवियों ने कहा इस्लाम में ट्रांसजेंडर्स की शादियां जायज

मुसलमानों के एक धार्मिक संगठन की ओर से एक फतवा जारी करके ऐलान किया है. अल्ला करे, ऐसे फतवे रोज़ निकलें.

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पहली ट्रांसजेंडर सर्जरी करवाने वाले पेंटर आइना वेनर की कहानी पर बेस्ड फिल्म द डेनिश गर्ल का एक दृश्य. अभिनेता एडी रेडमेइन.
लाहौर का एक धार्मिक संगठन है तंज़ीम इत्तेहाद-ए-उम्मत. उससे जुड़े 50 के करीब मौलवियों ने फतवा जारी किया है. इसमें उन्होंने करार दिया है कि ट्रांसजेंडर लोगों को इस्लाम मुताबिक शादी, शादी के बाद की विरासत पाने और गरिमा भरे अंतिम संस्कार का पूरा हक़ है. पाकिस्तान के अलावा दुनिया भर के एक्टिविस्टों में इसे लेकर बड़ी खुशी है. जहां पश्चिमी देशों में भी लोगों की मानसिकता LGBTQ समुदाय के लोगों को लेकर पूरी तरह बदली नहीं है, रूढ़िवादी माने जाने वाले एशिया और उसके इस विशेष हालात वाले मुल्क में ऐसी गतिविधि हैरत से देखी जा रही है. इस फतवे में विशेष रूप से ये कहा गया है:

1. महिला के तौर पर पैदा हुआ ट्रांसजेंडर जिसके पुरुष होने के दिखते संकेत हैं वो किसी महिला से या ऐसे ट्रांसजेंडर से शादी कर सकता है जो पैदा पुरुष के तौर पर हुआ लेकिन उसके महिला होने के दिखते संकेत हैं.

2. यही अधिकार पुरुष के तौर पर पैदा हुए ट्रांसजेंडर को है जिसके महिला होने के दिखते संकेत हैं.

3. इस समुदाय को बेइज्ज़त करना और तंग करना हराम है.

4. किसी ट्रांसजेंडर इंसान को पैतृक संपत्ति से महरूम नहीं किया जाना चाहिए.

5. एक ट्रांसजेंडर का अंतिम संस्कार उसी गरिमा और ढंग से किया जाए जैसे किसी भी अन्य मुस्लिम महिला या पुरुष का होता है.

इत्तेहाद-ए-उम्मत के फतवों को कानूनी मान्यता तो नहीं है लेकिन हजारों लोग हैं जो इनकी बातों का सम्मान करते हैं और समाज में इनकी अच्छी पैठ है. ऐसे में इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है. इन्होंने सभी माता-पिता से भी कहा है कि जो अपने ट्रांसजेंडर बेटे-बेटी को उनके हकों से महरूम रखते हैं वे ख़ुदा के गुस्से को बुलावा दे रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता इसे दो तरीकों से देख रहे हैं. एक, उन्हें बहुत खुशी है कि पहली बार मौलवियों ने ऐसा कुछ कहा और किया है. अब इंतजार है कि सरकार इसे लेकर कानून कब बनाती है और तीसरे जेंडर का विकल्प हर तरह के कागज में कब से शुरू किया जाता है. दूसरा, चिंता है. पाकिस्तान में चरमपंथी समूह बहुत हावी हैं. सरकार उन्हें काबू में नहीं कर पा रही है. इस फतवे को लेकर उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी? LGBTQ पर हिंसक हमले बढ़े हैं.

पिछले दो साल में ख़ैबर-पख़्तूनख्वा इलाके में 45 ट्रांसजेंडर मारे जा चुके हैं. इस महीने उत्तरी पाकिस्तान के मानसेहरा में रहने वाली ट्रांसजेंडर युवती काशी को गोली मार दी गई. उसके घर तीन आदमी जबरन घुसे. कथित तौर पर उसने शारीरिक संबंध बनाने से मना कर दिया तो गोली मार दी गई.

इससे 19 दिन पहले ही एक ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता अलेशा को छह गोलियां मारी गईं. वो काशी की तरह जिंदा नहीं बची. पेशावर के अस्पताल में डॉक्टरों ने भी शुरू में उसका इलाज नहीं किया. देरी बरती गई क्योंकि वो ट्रांसजेंडर थी. इसके बाद मुल्क में लोगों ने प्रदर्शन भी किए. Also Read: द डेनिश गर्ल: 4 सर्जरी करवाईं, ताकि मर्दाने बदन से मुक्ति मिले चाकुओं से गोद किया समलैंगिकों की मैगजीन के एडिटर का मर्डर

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