देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने स्वंतत्रता दिवस पर बांग्लादेश के घटनाक्रम से सबक लेने की सलाह दी है. CJI चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में संबोधन दे रहे थे. उन्होंने बांग्लादेश में राजनीतिक संकट का जिक्र करते हुए कहा कि ये बताता है कि आजादी कितनी कीमती है. इसके अलावा CJI ने संविधान की अहमियत को बताते हुए कहा कि इसने लोकतांत्रिक संस्थाओं का एक ढांचा स्थापित किया है, जो एक ऐसी सरकार सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है जो लोगों के लिए प्रतिनिधि और जवाबदेह दोनों है.
CJI चंद्रचूड़ ने स्वंतत्रता दिवस पर बांग्लादेश के राजनीतिक संकट का जिक्र क्यों किया?
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर संबोधन दिया. इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता और संविधान के महत्व पर जोर दिया.

बांग्लादेश में हालिया प्रदर्शन के बाद अराजकता की स्थिति फैल गई थी. देश के पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर बांग्लादेश छोड़ना पड़ा. सीजेआई चंद्रचूड़ ने इसी घटनाक्रम का जिक्र कर कहा,
“हमने 1950 में स्वतंत्रता की अनिश्चितता को चुना था. आज बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, वह स्पष्ट रूप से याद दिलाता है कि हमारे लिए आज़ादी कितनी कीमती है... स्वतंत्रता को हल्के में लेना बहुत आसान है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम अतीत की कहानियों पर ध्यान दें ताकि हमें याद रहे कि आज़ादी कितनी कीमती है.”
मुख्य न्यायाधीश ने भारतीय संविधान के महत्व को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि देश के संविधान को संविधान सभा ने लोकतांत्रिक आदर्शों को ध्यान में रखते हुए बनाया था. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे संविधान ने हाशिए पर पड़े और वंचित लोगों को देश के विकास एजेंडे के केंद्र में रखा. और न्याय, स्वतंत्रता और समानता बढ़ावा दिया.
CJI ने स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों के योगदान को भी याद किया. उन्होंने कहा,
“स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई वकीलों ने अपनी जमी जमाई कानूनी प्रैक्टिस छोड़ दी थी और खुद को देश के लिए समर्पित कर दिया था. वे न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाने में सहायक थे, बल्कि एक बेहद स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना में भी सूत्रधार थे. उन्होंने कहा कि देशभक्त वकीलों का काम भारत की स्वतंत्रता के साथ ही समाप्त नहीं हो गया.”
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अपने भाषण में CJI चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका के भी कई पहलुओं पर बात की. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को समृद्ध बनाने में लीगल कम्युनिटी की भागीदारी अहम है. उन्होंने ये भी कहा कि वकील और बार, स्वतंत्रता के बाद भी हमारे देश की बेहतरी में मजबूत स्तंभ रहे हैं. नागरिकों के अधिकारों और सम्मान को बनाए रखने के लिए न्यायालय की भूमिका महत्वपूर्ण है. लेकिन बार न्यायालयों की अंतरात्मा को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा,
“बार, लोगों और न्यायाधीशों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी हैं. बार ही हमें लोगों के दर्द और नब्ज को समझने के लिए प्रेरित करता है. यानी बार, लोगों और न्यायपालिका के बीच एक पुल की तरह है. एक समृद्ध बार सतर्क और सजग न्यायपालिका बनाता है. मैं, हमारे समाज में इस महत्वपूर्ण भूमिका को निभाने में बार के काम की सराहना करता हूं - जो कानून के शासन और संविधान में निहित है.”
अंत में चीफ जस्टिस ने संविधान और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका की प्रतिबद्धता पर रेखांकित किया. उन्होंने लीगल कम्युनिटी से देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि यह इसलिए जरूरी है ताकि स्वतंत्रता सेनानियों की आकांक्षाएं पूरी की जा सकें.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट में छोटे केस को इतनी अहमियत क्यों? CJI चंद्रचूड़ ने क्या जवाब दिया?