'चीन ने अपना हथियार बेचने के लिए ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान संघर्ष को लेकर झूठा प्रोपेगेंडा फैलाया. उसने रफाल लड़ाकू विमानों की AI से नकली तस्वीरें बनाईं और दुनिया भर में उसे सर्कुलेट किया, जिससे लोग रफाल न खरीदकर उसके J-35 फाइटर जेट को खरीदें.' यह दावा एक अमेरिकी रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया कि चीन ने जानबूझकर रफाल के खिलाफ एक कैंपेन चलाया. इसके लिए हजारों फेक सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाए गए. यह रिपोर्ट US-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन ने जारी की है, जो कि अमेरिकी कांग्रेस को सलाह देने के लिए बनाई गई एक संस्था है.
चीन ने रफाल के खिलाफ चलाया कैंपेन, US रिपोर्ट में दावा- ऑपरेशन सिंदूर की AI फोटो से फैलाया झूठ
एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक China ने India-Pakistan Conflict को अपने हथियारों के Testing Ground के तौर पर इस्तेमाल किया. इसका इस्तेमाल दुनिया के अन्य देशों को अपना हथियार बेचने के लिए किया. फेक अकाउंट्स और AI से बनी नकली तस्वीरों से रफाल को गिरा हुआ दिखाया, ताकि वो अपना J-35 विमान दुनियाभर में बेच सके.


अमेरिकी कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने रफाल के टुकड़ों वाली AI जनरेटेड तस्वीरें सर्कुलेट कीं. चीन इसके माध्यम से रफाल की ‘सेल (Sale)’ गिराना चाहता था और यह बताना चाहता था कि कैसे पाकिस्तान ने उसके हथियारों से रफाल जेट मार गिराए. रिपोर्ट में बताया गया कि चीन ने इसका इस्तेमाल दुनिया के अन्य देशों को अपना हथियार बेचने के लिए किया. अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को अपने हथियारों के टेस्टिंग ग्राउंड के तौर पर इस्तेमाल किया. HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल और J-10 फाइटर एयरक्राफ्ट जैसे चीनी हथियारों का पहली बार असल जंग में इस्तेमाल किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक झड़प के बाद चीनी दूतावासों ने बढ़-चढ़कर इन हथियारों की सफलता का गुणगान किया. दूसरे देशों को भी इसका उदाहरण देते हुए हथियार बेचने की कोशिश की.
कमीशन की इस सालाना रिपोर्ट में आगे कहा गया है,
चीन ने पाकिस्तान के उस दावे को बढ़ावा दिया, जिसमें उसने 3 रफाल समेत भारत के 6 फाइटर जेट गिराने की बात कही थी… चीन ने इसके बाद इंडोनिशेया को इस बात के लिए राजी कर लिया कि वह रफाल न खरीदे. इससे अन्य क्षेत्रीय देशों के बीच भी उसके हथियारों की पहुंच बढ़ गई.

रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान चीन की भूमिका पर भी बात की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है,
पाकिस्तान और भारत के बीच 7-10 मई को हुई झड़प में चीन के रोल ने दुनिया का ध्यान खींचा, क्योंकि पाकिस्तान की मिलिट्री ने चीनी हथियारों पर भरोसा किया और कथित तौर पर चीनी इंटेलिजेंस का फायदा उठाया. इंडियन आर्मी ने दावा किया कि चीन ने पूरे संकट के दौरान भारतीय मिलिट्री पोजीशन पर 'लाइव इनपुट' देकर पाकिस्तान की मदद की और इस लड़ाई को अपनी मिलिट्री क्षमताओं के टेस्टिंग ग्राउंड के तौर पर इस्तेमाल किया. पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया और चीन ने न तो अपने शामिल होने की पुष्टि की और न ही इनकार किया.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन और पाकिस्तान ने 2024 और 2025 में कई जॉइंट एक्सरसाइज के जरिए मिलिट्री सहयोग को और तेज किया है. इसमें कहा गया कि नवंबर और दिसंबर 2024 में, चीन और पाकिस्तान ने तीन हफ्ते की वॉरियर-VIII काउंटर टेररिज़्म ड्रिल की, और फरवरी 2025 में, चीन की नेवी ने पाकिस्तान की मल्टीनेशनल AMAN ड्रिल में हिस्सा लिया. कमीशन के मुताबिक, ये एक्टिविटीज़ चीन और पाकिस्तान के बढ़ते डिफेंस सहयोग को दिखाती हैं. भारत में इन्हें सीधे सिक्योरिटी खतरे के तौर पर देखा गया.
रिपोर्ट में बताया गया कि चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा डिफेंस सप्लायर है. 2019 से 2023 तक पाकिस्तान ने कुल हथियारों के इंपोर्ट का लगभग 82 फीसदी अकेले चीन से खरीदा है. भारत से झड़प के बाद, चीन ने कथित तौर पर पाकिस्तान को 5th जनरेशन के 40 J-35 फाइटर, KJ-500 एयरक्राफ्ट और मिसाइल डिफेंस सिस्टम बेचने का ऑफर दिया. उसी महीने, पाकिस्तान ने कुल खर्च में कमी के बावजूद, अपना 2025-26 का डिफेंस बजट 20 परसेंट बढ़ाकर $9 बिलियन कर दिया.
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भारत के दावे की फिर हुई पुष्टिकुल मिलाकर अमेरिकी कमीशन की रिपोर्ट भी वही बता रही है, जो भारत फ्रांस और स्वतंत्र रिपोर्ट्स इतने समय से कहती आई हैं. भारतीय सेना के कई अधिकारियों और प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने कई बार कहा है कि पाकिस्तान की ओर से जानबूझकर रफाल जेट को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है. अब अमेरिकी रिपोर्ट में इसके पीछे चीन का हाथ होने की भी बात सामने आई है.
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