सब्ज़ी काटते वक्त याद आया कि तेल ख़त्म हो गया है? या नूडल्स बन गए और केचप नहीं मिल रहा? ऐसी सिचुएशन में आमतौर पर क्या करते हैं आप? ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, ज़ेप्टो या बिग बास्केट ऐप खोलते हैं, और झट से ऑर्डर प्लेस कर देते हैं. अमूमन, 10 मिनट में सामान घर पहुंच जाता है. पर 15 अप्रैल की सुबह आपने ऐसा ही फर्राटे से ऑर्डर करने के लिए ब्लिंकिट खोला हो, तो मुमकिन है आपको ये दिखे - 'अधिक मांग के कारण, अस्थायी रूप से अनुपलब्ध'. पर असलियत कुछ और है. हम बताते हैं.
11 मिनट छोड़िए, ब्लिंकिट सामान ही नहीं दे पा रहा है, वजह ये है!
NCR में ब्लिंकिट को लेकर क्या बवाल चल रहा है.

दरअसल, फूड डिलेवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) के मालिकाना हक वाली कंपनी ब्लिंकिट (Blinkit) के डिलेवरी पार्टनर्स पिछले कुछ दिनों से हड़ताल पर हैं. ये पेमेंट स्ट्रक्चर में हुए बदलाव की वजह से है. अब तब डिलेवरी पार्टनर्स को प्रति डिलीवरी का न्यूनतम शुल्क 25 रुपये मिलता था. इसे कम कर 15 रुपये कर दिया गया था. इंडिया टुडे में छपी ख़बर के मुताबिक इस हड़ताल की वजह ब्लिंकिट के लगभग 50 स्टोर्स बंद हो रखे हैं. दिल्ली और एनसीआर इलाके में कई ग्राहक इस एप से ऑर्डर नहीं कर पा रहे हैं. भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने इसपर ट्वीट भी किया. उन्होंने आरोप लगाया कि ब्लिंकिट अपने कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है. कपिल ने ब्लिंकिट से वापस पुराने पेमेंट स्ट्रक्चर पर लौटने की भी मांग की.
ब्लिंकिट के डिलेवरी पार्टनर्स ने गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद उन्होंने गुरुग्राम के जिला आयुक्त से बात भी की. ऑल इंडिया गिग वर्कर्स यूनियन (All India Gig Workers' Union) ने इस हड़ताल में मजदूरों को मदद देने की पेशकश की है. बताते चले, ब्लिंकिट को पहले 'ग्रोफर्स' के नाम से जाना जाता था. 2022 में ज़ोमैटो ने इसे खरीद लिया था. इसके लिए 550 मिलियन डॉलर यानी करीब साढ़े चार हजार करोड़ की रकम चुकाई गई थी.
इस ऐप के जरिए लोगों तक कुछ ही मिनटों में सामान पहुंचाया जाता है. ब्लिंकिट 10 मिनट के अंदर किराने के सामान से लेकर फल और सब्जियों की डिलीवरी कर देता है. इससे लोगों को सामान मंगाने में आसानी होती है. दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में ब्लिंकिट के ज्यादातर स्टोर्स तीन दिनों से बंद हैं.
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