उत्तर प्रदेश की जेल में चार साल से आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व BJP विधायक उदय भान करवरिया की रिहाई की तैयारी होने लगी है (BJP Ex MLA Early Release). 1996 में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक जवाहर यादव की हत्या की गई थी. उसी मामले में चार साल पहले कोर्ट ने उदय भान को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अब राज्य सरकार ने समय से बहुत पहले ही रिहाई का आदेश दे दिया है. पूरा मामला टाइमलाइन के हिसाब से समझ लेते हैं.
मर्डर केस में यूपी के पूर्व BJP विधायक को उम्रकैद हुई थी, अब 4 साल में ही हो रही रिहाई, कैसे?
Uday Bhan Karwariya की रिहाई का आदेश जारी हो गया है. यूपी की सरकार ने ये फैसला लिया है. उदय भान ने सपा विधायक जवाहर यादव की हत्या की थी. आखिर उन्हें अब रिहाई कैसे मिल रही है?

13 अगस्त, 1996 को प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में कुछ लोगों ने मिलकर सपा विधायक की गाड़ी पर गोलीबारी कर दी थी. हमले में विधायक जवाहर यादव और दो अन्य लोगों की मौत हो गई. पुलिस जांच में पता चला कि हत्या राजनीतिक और व्यापारिक रंजिश के चलते की गई.
फिर 4 नवंबर 2019 को प्रयागराज की एक अदालत ने उदय भान, उनके भाइयों सूरज भान और कपिल मुनि और उनके चाचा राम चंद्र को सपा विधायक जवाहर यादव की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सूरज भान पूर्व बसपा MLC हैं और कपिल मुनि पूर्व बसपा सांसद हैं. तीनों दोषी फिलहाल प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं.
अब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उदय भान की दया याचिका को मंजूरी दी है.
किस आधार पर मिली जमानत?19 जुलाई के आदेश में कहा गया है कि रिहाई का ये फैसला प्रयागराज SSP, जिला मजिस्ट्रेट और एक दया याचिका समिति की सिफारिशों के साथ-साथ जेल में उदय भान के अच्छे आचरण के चलते लिया गया है. कहा गया कि उदय भान ने 30 जुलाई, 2023 तक आठ साल, नौ महीने और ग्यारह दिन जेल में बिताए और अगर उनके खिलाफ कोई अन्य मामला लंबित नहीं है तो उन्हें रिहा किया जा सकता है.
बता दें कि उदय भान ने साल 2002 और 2007 का विधानसभा चुनाव प्रयागराज की बारा सीट से BJP के टिकट पर जीता था. उनकी पत्नी नीलम करवरिया भी BJP विधायक रही हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जवाहर यादव की पत्नी और चार बार की विधायक विजयमा यादव ने कहा है कि वो राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ अदालत जाएंगी. बोलीं,
अगर ये सरकार ट्रिपल मर्डर के दोषियों को रिहा करती है तो उन्हें जेल में बंद अन्य दोषियों को भी रिहा करना चाहिए.
विजमा यादव ने पूछा कि दोषियों को इतनी कम सजा के बाद रिहा कर सरकार क्या संदेश देना चाहती है?
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एक साल पहले राज्य सरकार ने हत्या के एक मामले में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की आजीवन कारावास की सजा को भी माफ किया था.
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