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बांग्लादेश में अभी गद्दी नहीं छोड़ेंगे यूनुस, सेना से खींचतान के बीच अंतरिम सरकार का फैसला

Bangladesh में पिछले कुछ हफ्तों से मुख्य सलाहकार Muhammad Yunus, राजनीतिक दलों, सेना और नागरिक समाज के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. चुनाव की तारीख तय ना होने, छात्र नेताओं के मंत्रिमंडल में शामिल होने और सेना की भूमिका को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है.

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस. (PTI)

बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को पद से हटाने की मांग के बीच अंतरिम सरकार ने बड़ा बयान दिया है. सरकार ने साफ किया है कि अगर हालात नहीं सुधरे और सरकार को अपना काम करने में रुकावट आती रही, तो वो 'जनता के साथ मिलकर जरूरी फैसला लेगी.' हालांकि, यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे. शनिवार, 24 मई को एक इमरजेंसी मीटिंग खत्म होने के बाद अंतरिम सरकार ने यह बयान दिया है.

यूनुस की अध्यक्षता में बुलाई गई इस इमरजेंसी मीटिंग को काफी अहम माना जा रहा था. दिनभर यह चर्चा थी कि यूनुस राजनीतिक और सैन्य दबाव के चलते इस्तीफा दे सकते हैं. योजना सलाहकार वाहिदुद्दीन महमूद ने मीटिंग के बाद मीडिया को बताया,

“प्रधान सलाहकार हमारे साथ हैं. उन्होंने इस्तीफे की कोई बात नहीं कही है. सभी अन्य सलाहकार भी अपने पद पर बने रहेंगे. हम सब अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए यहां हैं.”

बांग्लादेशी अखबार प्रोथोम अलो की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के मौजूदा हालात पर अंतरिम सरकार ने अपने बयान में कहा,

"अंतरिम सरकार जुलाई क्रांति की जनता की उम्मीदों का प्रतिनिधित्व करती है. लेकिन अगर सरकार की स्वतंत्रता, सुधारों की कोशिश, न्यायिक काम, निष्पक्ष चुनाव और दूसरी अड़चनें सामान्य कामकाज में रुकावट डालती हैं, और सरकार को अपना सौंपा गया काम पूरा करने में असमर्थ बनाती हैं, तो सरकार जनता के साथ मिलकर जरूरी फैसला लेगी."

अंतरिम सरकार ने कहा कि मुश्किल हालात के बावजूद अंतरिम सरकार विभिन्न समूह के हितों की अनदेखी करते हुए अपनी जिम्मेदारियां निभा रही है. अगर हारी हुई ताकतों के प्रभाव और विदेशी साजिश के तहत सरकार अपनी जिम्मेदारियां निभाने में असमर्थ हो जाती है तो सरकार सभी कारणों को सार्वजनिक रूप से उठाकर अगला फैसला लेगी.

बांग्लादेश में पिछले कुछ हफ्तों से राजनीतिक दलों, सेना और नागरिक समाज के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. चुनाव की तारीख तय ना होने, छात्र नेताओं के मंत्रिमंडल में शामिल होने और सेना की भूमिका को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है.

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