लगे आजादी के वो नारे, जिनसे हर हिंदुस्तानी खुश होगा
कह रहे हैं कि आज़ादी चाहिए.
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फोटो - thelallantop
बलूचिस्तान. अभी तक मैंगो मैन बेबी डॉल के ओरिजिनल वर्ज़न की वजह से बलूचिस्तान के बारे में जानता था. अब हाल ये है कि हर कोई जान रहा है. मोदी जी ने 15 अगस्त वाली स्पीच में बलूचिस्तान का नाम लिया. वहां इंडिया का झंडा लहरा रहा है. मोदी जी की फ़ोटो चस्पा है. हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं. आज़ादी के नारे लग रहे हैं. कह रहे हैं कि आज़ादी चाहिए. पिछले हफ़्ते लंदन में रहने वाले बलोच लोगों ने आज़ादी के नारे लगाये. हमको याद आ गया कन्हैया. अरे जन्माष्टमी वाला नहीं, जेएनयू वाला कन्हैया. अरे हम क्या चाहते? आज़ादी वाला कन्हैया. आवाज़ दो वाला कन्हैया. और याद आये उसके नारे. बलूचिस्तान ईरान और पाकिस्तान के बीच का हिस्सा है. पाकिस्तान के एरिया का 44% है ये, पर यहां पाक की कुल आबादी के मात्र 5% लोग रहते हैं. सुन्नी इस्लाम यहां का मेन धर्म है. ब्रिटिश राज में ये ब्रिटिश इंडिया में ही आता था. उस वक़्त यहां चार राज्य थे: मकरान, लस बेला, खरान और कलात. 1947 में भारत की आज़ादी के बाद बलूचिस्तान को पाकिस्तान के हवाले कर दिया गया. पर ‘कलात के खान’ यार खान ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान से अपनी आज़ादी की घोषणा कर दी. जिन्ना ने बड़ा प्रेशर बनाया. फिर 1948 में पाक आर्मी ने कलात पर हमला कर कब्ज़ा कर लिया. यार खान संधि के लिए मजबूर हो गए. पर उनके भाइयों ने जंग छेड़ दी. बलूचिस्तान वाले नारे जहां लोगबाग को खुश करता है वहीं कन्हैया उन्हें जला के राख कर देता है. हमने दोनों लगा दिए हैं. आप अंतर ढूंढ़ो. https://www.youtube.com/watch?v=kcTX1sHuENg&feature=youtu.be बलोच की भसड़ के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए मिनट से पहले यहां पहुंचे:
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