ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने पश्चिमी देशों में महिलाओं की स्थिति को लेकर जमकर भड़ास निकाली है. कहा है कि अगर इस्लाम को फॉलो नहीं किया गया तो वही होगा, जो आज पश्चिम में हो रहा है. उन्होंने कहा कि पश्चिम में महिलाओं को केवल 'प्लेजर' यानी आनंद और पैसे कमाने का जरिया माना जाता है. वहां महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. खामेनेई ने आरोप लगाया कि पश्चिमी देशों में परिवार का कॉन्सेप्ट यानी धारणा ही खत्म होती जा रही है.
'वहां औरतें आनंद की चीज... इस्लाम में आजादी मिलती है', ईरान के खामेनेई ने पश्चिमी देशों को सुनाया
Iran के सुप्रीम लीडर Ayatollah Khomeini ने देश की हजारों महिलाओं और लड़कियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने पश्चिमी देशों और इस्लाम में महिलाओं की स्थिति की तुलना करते हुए कई बातें कहीं.


उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप में आजादी के नाम पर पारिवारिक रिश्ते बिगड़ रहे हैं. गैंग छोटी उम्र की लड़कियों को निशाना बना रहे हैं. ईरान के सुप्रीम लीडर ने बुधवार, 3 दिसंबर को देश की हजारों महिलाओं और लड़कियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने ये बातें कहीं. खामेनेई की मीडिया टीम ने एक्स पर उनके भाषण के अहम बयानों को पोस्ट किया. इसके अनुसार उन्होंने कहा,
सबसे ज़रूरी कामों में से एक जो आदमी और औरतें करते हैं, वह है परिवार बनाना. बदकिस्मती से परिवार बनाना एक ऐसी चीज है, जिसे पूंजीवादी संस्कृति और पश्चिमी सभ्यता में भुला दिया गया है. पश्चिमी पूंजीवादी संस्कृति में, महिलाओं को Pleasure (आनंद) की चीज माना जाता है. बिना पिता के बच्चे, बिगड़ते पारिवारिक रिश्ते, परिवार का ढांचा बर्बाद होना, छोटी लड़कियों का शिकार करने वाले गैंग और बढ़ती सेक्सुअल संकीर्णता. यह सब आजादी के नाम पर. ऐसा भ्रष्टाचार पश्चिम में परिवारों की हालत दिखाता है और वे इसे “आज़ादी!” का नाम देते हैं. जब वे उस संस्कृति को फैलाने की कोशिश करते हैं, तो वे कहते हैं, “हम तुम्हें आज़ाद कर रहे हैं!” लेकिन असल में, वे लोगों को गुलाम बना रहे हैं.
इसके बाद उन्होंने पश्चिम में महिलाओं की स्थिति की तुलना इस्लाम में मिले अधिकारों से करते हुए कहा,
औरतों के बारे में इस्लाम का नजरिया पश्चिमी पूंजीवाद से बिल्कुल अलग है. इस्लाम में, एक औरत को आज़ादी होती है, उसके पास आगे बढ़ने और तरक्की करने की काबिलियत और एक पहचान होती है, लेकिन पश्चिम ऐसा नहीं है. औरतों की इज्जत और गरिमा की इज्जत नहीं की जाती है और वहां औरतें पैसे कमाने का जरिया हैं. इस्लाम के अनुसार महिलाएं समाज में, बिजनेस और काम में, पॉलिटिकल एक्टिविटीज़ में, ज़्यादातर सरकारी पदों पर और जिंदगी के सभी क्षेत्रों में एक्टिव हो सकती हैं.
उन्होंने कहा कि इस्लाम में मर्द और औरत के बीच बराबरी है, लेकिन कुछ सीमाएं भी हैं. इसका कारण यह है कि सेक्सुअल इच्छाओं में बहुत ज्यादा आकर्षण होता है, और उन्हें काबू में रखना चाहिए. अयातुल्लाह अली खामेनेई ने कहा,
पश्चिमी देश महिलाओं के मामले में अपनी संस्कृति को फैलाने पर ज़ोर देते हैं. वे तो यह भी कहते हैं कि अगर कोई महिला हिजाब पहनती है और अपने लिए ये लिमिट तय करती है, तो वह आगे नहीं बढ़ पाएगी. इस्लामिक रिपब्लिक (ईरान) ने इस बेकार लॉजिक को गलत साबित कर दिया है. इस्लामिक रिपब्लिक ने दिखाया है कि इस्लामिक ड्रेस कोड मानने वाली मुस्लिम महिला हर मामले में दूसरों से ज्यादा तरक्की कर सकती है और समाज और घर दोनों में असरदार हो सकती है. इस नजरिए से, हमारी महिलाओं ने क्रांति की जीत के बाद से कई क्षेत्रों में बहुत तरक्की की है. इस्लामिक रिपब्लिक के इंटेलेक्चुअल और रिसर्च सेंटर्स में महिलाओं की उपलब्धियां ईरान के इतिहास में पहले कभी नहीं देखी गईं. ईरान में इतनी ज्यादा महिला स्कॉलर और इंटेलेक्चुअल कभी नहीं रहीं. भगवान का शुक्र है, हमारी महिलाएं ग्लोबल साइंस, सोशल, पॉलिटिकल और एथलेटिक फील्ड्स में सबसे अच्छी हैं.
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औरतों को बताया फूलउन्होंने आगे कहा कि महिलाओं का पहला अधिकार जिसे पहचाना जाना चाहिए, वह है न्याय. यह न्याय सामाजिक व्यवहार में, परिवार में, समाज में और घर में हर जगह मिलना चाहिए. इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सभी की है, सरकारों की भी. खामेनेई ने कहा कि औरत फूल की तरह होती है. फूल की देखभाल और सुरक्षा करनी चाहिए, और वह आपको अपने रंग, खुशबू और गुणों से और भी खूबसूरत बना देगी.
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