असम पुलिस ने 17 जुलाई को तीन उग्रवादियों को एक एनकाउंटर में मारने का दावा किया था. पुलिस के दावे पर मारे गए लोगों के परिजनों ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक वीडियो का हवाला दिया है. जिसमें कथित तौर पर उन्हें एक दिन पहले ऑटोरिक्शा से पकड़ा गया था.
असम पुलिस का मुठभेड़ वाला दावा संदेह के घेरे में! मृतकों के घरवालों ने वीडियो का हवाला देकर उठाए सवाल
Assam Police ने 17 जुलाई को तीन उग्रवादियों को मारने का दावा किया था. अब पुलिस द्वारा मारे गए लोगों के परिवारवालों ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं.

17 जुलाई को सोशल मीडिया पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने लिखा,
सुबह-सुबह एक ऑपरेशन में कछार पुलिस ने असम और पड़ोसी मणिपुर के तीन हमार उग्रवादियों को मार गिराया. पुलिस ने दो एके -47 राइफल, एक दूसरी राइफल और एक पिस्तौल भी बरामद की है.
कछार मणिपुर के जिरीबाम जिले के बॉर्डर पर है. जहां पिछले महीने से तनाव चरम पर है. ‘हमार’ समुदाय ‘कुकी-जो’ जातीय समूह का हिस्सा है. जिनका मणिपुर में मैतेई लोगों के साथ संघर्ष चल रहा है. कछार में ‘हमार’ आबादी भी है. और साथ ही हमारों सहित ‘कुकी-जो’ लोगों की एक बड़ी संख्या जो जिरीबाम से विस्थापित हो गई है. उन्होंने भी वर्तमान समय में कछार में शरण लिया हुआ है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 17 जुलाई को 1 मिनट 18 सेकेंड का एक वीडियो सामने आया है. जिसमें दिख रहा है कि पुलिस ने एक ऑटोरिक्शा से तीन लोगों को पकड़ा है. इनमें जोशुआ, मणिपुर के फेरजावल जिले के सेनवोन गांव के रहने वाले हैं. जबकि लल्लुंगावी हमार और लालबीक्कुंग हमार कछार जिले के बेथेल गांव के रहने वाले हैं. वीडियो में इनको पुलिस द्वारा बाहर निकालते हुए देखा जा सकता है.
सबसे पहले बाहर निकलने वाले व्यक्ति को सीट पर एक भूरे रंग का बैग छोड़ते हुए देखा जा सकता है. जिनकी पहचान रिश्तेदारों ने लल्लुंगावी के रूप में की है. उनके बाद बाकी लोग बाहर आते हैं. और पुलिस उनके बैग की जांच करती है. फिर एक पुलिसकर्मी बैग लेकर चला जाता है. इससे पहले कि दूसरा पुलिसकर्मी तलाशी के लिए बैग खोलता है. वह चिल्लाने लगता है कि उसमें एक पिस्तौल है. लेकिन वह हथियार बाहर नहीं निकालता.
इस घटना पर कछार पुलिस के बयान के अनुसार, इन लोगों को 16 जुलाई को ऑटोरिक्शा से पकड़ा गया था. और पुलिस ने उनके पास से एके -47 राइफल, एक सिंगल बैरल राइफल और एक पिस्तौल के साथ गोला बारूद भी जब्त किया था.
पुलिस ने दावा किया कि उनसे पूछताछ की गई. जिसमें पता चला कि उनके साथी आतंकी अभी भी असम-मणिपुर बॉर्डर इलाके में भुबन हिल्स के आसपास छिपे हुए हैं. उनके पास भारी मात्रा में हथियार है. और उनकी योजना असम-मणिपुर बॉर्डर इलाके में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने की है.
पुलिस ने बताया कि बुधवार को उन्होंने उस इलाके में एक विशेष ऑपरेशन चलाया. जिसके दौरान पहाड़ियों में छिपे संदिग्ध आतंकवादियों ने उन पर गोलीबारी शुरु कर दी. जिसके बाद उन्होंने जवाबी कार्रवाई की. पुलिस ने आगे बताया कि वो अपने साथ गिरफ्तार किए गए तीन लोगों को भी घटनास्थल पर ले गई थी. और उन्हें बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट दिए थे. लेकिन इस गोलीबारी में उनकी मौत हो गई. और पुलिस पर गोली चलाने वाले संदिग्ध आतंकी भागने में सफल रहे.
इस घटना में मारे गए लोगों के परिवारों ने सवाल उठाए कि उन्हें नहीं पता कि वो लोग कछार में क्यों थे. फेरजावल में जोशुआ के परिवार ने बताया कि पड़ासी जिरीबाम में हिंसा भड़कने के बाद उसे ग्राम स्वयंसेवक बनाने के लिए बुलाया गया था. तभी से (10 जून) वह घर से दूर था.
जोशुआ के परिवार के साथ मौजूद गांव के पादरी रामह्लुनकिम ने बताया,
हम देख सकते हैं कि वे एक ऑटोरिक्शा में थे और उन्होंने पुलिस का बिल्कुल भी विरोध नहीं किया. हम वीडियो में उनके पास कोई हथियार नहीं देख सकते. पुलिसकर्मी कहता है कि बंदूक है, लेकिन वह उसे दिखाता नहीं है. वह (जोशुआ) कोई उग्रवादी नहीं था. वह एक झूम किसान था. जिसे हमारे सर्वोच्च आदिवासी निकाय ने गांव का स्वयंसेवक बनने के लिए बुलाया था.
लल्लुंगावी हमार के चाचा लालशुंग ने बताया कि दोनों लोग (लल्लुंगावी हमार और लालबीक्कुंग हमार) 16 जुलाई को कछार स्थित अपने गांव से यह बताकर निकले थे कि वे मिजोरम घूमने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे दोनों दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते थे.
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उन्होंने आगे बताया,
वीडियो में वे सादे कपड़े पहने हुए हैं. कोई हथियार नहीं दिख रहा है. पुलिस ने जो घटनाक्रम बताया उसमें बहुत कुछ गड़बड़ है. हमें लगता है कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी. और पुलिस ने कानून तोड़ा है. हमने शवगृह से शव नहीं लिए हैं. और जब तक न्याय नहीं मिल जाता. हम शव नहीं लेंगे.
इस बीच सिविल सोसाइटी संगठनों ने उनकी मौत की परिस्थितियों की जांच की मांग की है. जिरीबाम और फेरजावल में हमार समुदाय की शीर्ष संस्था स्वदेशी जनजाति वकालत समिति ने इस घटना को मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन और असम पुलिस द्वारा अधिकारों का खतरनाक दुरुपयोग बताया है.
चुरचांदपुर बेस्ड कुकी-जो संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने असम सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है. और उम्मीद जताया है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इन मौतों पर स्वत: संज्ञान लेगा.
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