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अब राज्यसभा के 45 सांसद निलंबित, एक दिन में 78 MPs हुए सस्पेंड

इससे पहले लोकसभा में हंगामा करने के आरोप में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी सहित विपक्ष के 33 सांसदों को सस्पेंड किया गया.

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राज्यसभा से विपक्ष के 45 सांसदों को सस्पेंड किया गया. (फोटो: PTI)
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हिमांशु मिश्रा

लोकसभा के बाद सोमवार, 18 दिसंबर को राज्यसभा से भी विपक्ष के 45 सांसदों को सस्पेंड (45 Rajya Sabha MPs suspended) कर दिया गया है. आजतक के हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक इन सांसदों को सदन की कार्यवाही बाधित करने के आरोप में सस्पेंड किया गया है. राज्यसभा से 34 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किया गया है, जबकि 11 सांसदों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया है. राज्यसभा से सस्पेंड किए गए कांग्रेस सांसदों में जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं. 

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बता दें कि 18 दिसंबर को राज्यसभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित की गई. कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल संसद में घुसपैठ मामले पर विरोध कर रहे थे. विरोध के बीच राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सांसदों से कहा,

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“मैं अनुरोध करता हूं कि माननीय सांसदों को सदन में नियमों के अनुसार व्यवहार करना चाहिए. अपने आप को दंगा ब्रिगेड में ना बदलें. इस महान सदन की गरिमा को गिरने ना दें.”

18 दिसंबर को कुल 78 सांसदों को निलंबित किया गया है. लोकसभा से 33 और राज्यसभा से 45 सांसद सस्पेंड हुए हैं. इनमें लोकसभा से 3 और राज्यसभा से 11 सांसदों के निलंबन का मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है.

राज्यसभा से सस्पेंड किए जाने के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ये लोकतंत्र का निलंबन है. उन्होंने X पर लिखा,

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"सिर्फ लोकसभा में ही नहीं आज राज्यसभा में भी ब्लडबाथ हुआ और 13 दिसंबर को हुई सुरक्षा चूक पर गृह मंत्री के बयान की मांग करने और नेता प्रतिपक्ष को बोलने की इजाजत देने की मांग करने पर INDIA की पार्टियों के 45 सांसदों को निलंबित कर दिया गया. मैं भी अपने 19 साल के संसदीय करियर में पहली बार इस सम्मान सूची में शामिल हूं."

सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस बोली- 'संसद पर फिर हमला'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मौजूदा शीतकालीन सत्र में विपक्षी सांसदों के निलंबन की तुलना 13 दिसंबर को हुए संसद में घुसपैठ मामले से की है. मल्लिकार्जुन खरगे ने X पर लिखा,

"13 दिसंबर 2023 को संसद पर एक हमला हुआ, 
आज फिर मोदी सरकार ने संसद और लोकतंत्र पर हमला किया है.  

तानाशाही मोदी सरकार द्वारा अभी तक 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर, सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों को कूड़ेदान में फेंक दिया गया है."

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे लिखा,

"हमारी दो सरल और सहज मांगे हैं -

1. केंद्रीय गृह मंत्री को संसद की सुरक्षा में गंभीर उल्लंघन पर संसद के दोनों सदनों में बयान देना चाहिए.

2. इस पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए.

प्रधानमंत्री जी अखबार को इंटरव्यू दे सकते हैं; 
गृह मंत्री टीवी चैनलों को इंटरव्यू दे सकते हैं...

लेकिन, भारत की संसद जो देश के पक्ष-विपक्ष दोनों, पक्षों का प्रतिनिधित्व करती है, यहां भाजपा अपनी जवाबदेही से भाग रही है !"

खरगे ने आगे चिंता जताते हुए कहा,

“विपक्ष-रहित संसद में मोदी सरकार अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को बिना किसी चर्चा-बहस या असहमति से बहुमत के बाहुबल से पारित करवा सकती है !”

संसद के शीतकालीन सत्र से विपक्षी सांसदों के निलंबन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि ये सही नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी सांसदों को सस्पेंड ही करना है तो सामूहिक तौर पर सभी को सस्पेंड कर दिया जाए.

वहीं इस पूरे मामले पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष बार-बार सदन के काम में रुकावट डाल रहा था. इस कारण लोकसभा से 33 सांसदों और राज्यसभा से  45 सांसदों को निलंबित करना पड़ा. विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्षी सांसद नहीं चाहते थे कि सदन ठीक से चले, विपक्ष का बर्ताव  दुर्भाग्यपूर्ण है.

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