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एक भाई वकील, दूसरा क्रिकेटर, MA पढ़ी उनकी बहन, तीनों 10 साल से एक कमरे में बंद थे, NGO ने निकाला

राजकोट की घटना की वजह क्या, अंधविश्वास या मानसिक बीमारी?

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राजकोट के पॉश इलाके में NGO के लोगों ने कमरे का दरवाज़ा तोड़कर 10 साल से घर में कैद तीनों भाई-बहन को घर से बाहर निकाला और बाल कटवाकर नए कपड़े पहनाए. (तस्वीर: आजतक)
गुजरात के राजकोट से एक चौंकाने वाली ख़बर आई है. यहां एक ही परिवार के दो भाई और एक बहन ने 10 साल बाद रोशनी देखी है. ये लोग पिछले एक दशक से अपने ही घर में बंद थे. इनका घर राजकोट का पॉश इलाका माने जाने वाले किसानपरा में है. तीनों काफी काफी पढ़े-लिखे हैं. इनके 80 साल के पिता भी रिटायर्ड कर्मचारी हैं.
27 दिसंबर को कुछ लोगों ने साथी सेवा ग्रुप नाम के एनजीओ को जानकारी दी थी कि किसानपरा के एक घर में रहने वाले परिवार के दो लड़के और एक लड़की कई साल से अपने घर में बंद हैं. इसके बाद संस्था से जुड़े लोग उनके घर पहुंचे और दरवाज़ा तोड़ा. दरवाज़ा तोड़ने के बाद तीनों फ़र्श पर सोते दिखे. तीनों के बाल लंबे हो गए थे. शरीर में सिर्फ हड्डियां ही दिख रही थीं. कमरे में गंदगी पड़ी थी. इसके बाद संस्था से जुड़े लोगों ने तीनों को घर से बाहर निकाला. उनके बाल बनवाए गए. पहनने को नए कपड़े दिए गए.
कुछ देर में इन तीनों के पिता नवीन भाई मेहता भी पहुंचे. आजतक की गोपी मनियार की रिपोर्ट के मुताबिक, नवीन ने बताया कि उनके बड़े बेटे का नाम अंबरीश है, जिसने एलएलबी तक की पढ़ाई की है. वह राजकोट की कचहरी में वकालत भी करता था. बेटी मेधा ने राजकोट के कणसागरा कॉलेज से साइकॉलोजी में एम.ए की पढ़ाई कर रखी है. छोटे बेटे भावेश को लेकर उन्होंने बताया है कि वह ग्रेजुएट है और राजकोट में खेली जाने वाली नाइट क्रिकेट का आयोजक हुआ करता था.
Rajkot Superstition Case
नवीन भाई ने बताया कि घर में बंद रहने वाले दोनों बेटों और एक बेटी के लिए वही खाना पहुंचाते थे. (तस्वीर: आजतक)


नवीन भाई ने आजतक से बात करते हुए बताया कि मेरे तीनों बच्चे पिछले 6 साल से इसी हालात में घर के अंदर रह रहे हैं. मैं इन्हें खाना पहुंचाता रहा हूं. नवीन का दावा है कि कई जब से उनकी पत्नी की मौत हुई, उसके बाद से ही बच्चों ने घर से निकलना कम कर दिया था. धीरे-धीरे सभी घर में ही रहने लगे. माना जा रहा है कि नवीन अंधश्रद्धा में यकीन रखते हैं. उन्हें अपने बच्चों पर काला जादू के असर की आशंका थी. धीरे-धीरे बच्चों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया.
लोग इस सवाल का जवाब खोज रहे हैं कि पिता ने ही अंधविश्वास के चलते अपने तीनों पढ़े-लिखे बच्चों की ऐसी ज़िन्दगी कर दी थी या उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. मामले को लेकर राजकोट पुलिस ने खबर लिखे जाने तक कोई जानकारी नहीं दी थी.

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