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अहमदाबाद में बैठे-बैठे जासूस कैसे निकालता था सेना की डिटेल? धरा गया तो सब बताया

अहमदाबाद पुलिस ने कथित ISI एजेंट को गिरफ्तार किया है..

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मीडिया के सामने ISI एजेंट से जुड़ा खुलासा करते एसीपी क्राइम प्रेम वीर सिंह. फोटो- ट्विटर

गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद के रहने वाले अब्दुल वहाब पठान को गिरफ्तार किया है. अब्दुल वहाब पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की मदद का आरोप है. गिरफ्तारी के बाद अहमदाबाद पुलिस ने 28 सितंबर को मीडिया को जानकारी दी कि अब्दुल वहाब अलग-अलग नंबरों की मदद से सेना के अधिकारियों और सैनिकों के बारे में जानकारी जुटा रहा था. 

अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, आरोपी पठान अलग-अलग कंपनियों के सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहा था. और इन नंबरों से वो वॉट्सऐप के जरिए ISI एजेंट्स के संपर्क में था और उनकी मदद कर रहा था. प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, पुलिस की जानकारी में आया था एक व्यक्ति वॉट्सऐप कॉल, मैसेज और वॉइस मैसेज के जरिए रिटायर हो चुके और सेवा में तैनात अधिकारियों और सैनिकों से संपर्क कर रहा था.

अब्दुल वहाब 72 साल का है. वो अहमदाबाद के कालूपुर का रहने वाला है. उसने स्थानीय निवासी अब्दुल रजाक से एक सिम कार्ड लिया था और शफाकत जटोई नाम के व्यक्ति के साथ नंबर साझा किया था. जटोई नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग में इंटेलिजेंस अधिकारी के रूप में काम करता था.

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि जटोई 2015 से 2019 के बीच दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात थे. पठान को कथित तौर पर हर सिम कार्ड के एक्टिवेट होने पर पांच से 10 हज़ार रुपये मिलते थे.

रिलीज़ में सामने आया,

"पठान ने कई अन्य सिम कार्ड्स एक्टिवेट किए और उन मोबाइल नंबरों को जटोई के साथ साझा किया. पाकिस्तान स्थित ISI के ऑपरेटिव इन नंबरों का इस्तेमाल कर भारतीय सेना के अधिकारियों को फोन करते थे. वे उनसे उनकी डिटेल्स देने के लिए कहते थे कि सरकार उनके वेलफेयर के लिए जानकारी एकत्र कर रही है." 

असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ़ पुलिस (क्राइम) प्रेम वीर सिंह ने 27 सितम्बर को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पठान का परिवार पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में भी है. हालांकि वह आजादी से पहले भारत आ गया था.

सिंह ने कहा, 

“परिवार के इन सदस्यों से मिलने के लिए वह पहले तीन या चार बार पाकिस्तान गया था और वीज़ा के लिए वह नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग कार्यालय गया था. इस तरह वह अपने पाकिस्तानी आकाओं के संपर्क में आया.”

अधिकारी ने कहा, 

"इन सैनिकों की डिटेल्स ISI को भारत सरकार की वेबसाइट्स से बनाई गई क्लोन वेबसाइट्स से प्राप्त हुई थी."

अधिकारी के अनुसार, इन वेबसाइटों की जांच के दौरान मिले कॉन्टैक्ट डिटेल्स में से एक अहमदाबाद की वेबसाइट थी.  और इस तरह क्राइम ब्रांच को टिप मिली थी.

उन्होंने कहा, 

"हमें संदेह है कि अहमदाबाद के कम से कम आठ लोग इसमें शामिल हैं. लेकिन अब्दुल वहाब के पकड़ में आने के बाद वो सब अलर्ट हो गए और गायब हो गए. ये भी हो सकता है कि उन लोगों ने डेटा डिलीट करने के लिए अपने फोन भी फॉर्मैट कर लिए हों."

इस मामले में जासूसी के आरोप के साथ-साथ पुलिस ने IPC की धारा 123 (युद्ध छेड़ने के इरादे से छिपना), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया है.