जुकाम से लेकर कैंसर तक सभी बीमारियों का इलाज के जो दावे आज बाबा रामदेव करते हैं, उनकी शुरुआत इसी शख्स ने की थी. वो कहता था कि पिछले 20 साल में वो कभी बीमार नहीं पड़ा. अंगूठे पर मेथी का दाना बांधकर जुकाम ठीक कर लेता था. समर्थकों की मानें तो ये शख्स आज यदि जिंदा होता तो भारत में स्वदेशी और आयुर्वेद का शायद सबसे बड़ा ब्रांड बन चुका होता. बाबा रामदेव से भी बड़ा. लेकिन फिर मात्र 43 की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उसकी मृत्यु हो गई. समर्थक दावा करते है कि ये मौत नहीं हत्या थी. हम बात कर रहे हैं राजीव दीक्षित की. जो कभी बाबा रामदेव के साथी और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के सेक्रेटरी हुआ करते थे. मृत्यु के एक दशक बाद भी उनके वीडियोज़ यूट्यूब पर लाखों में देखे जाते हैं. क्या थी राजीव दीक्षित की कहानी, क्यों उनकी मौत विवादों के घेरे में आई? देखिए वीडियो.
तारीख़: राजीव दीक्षित का पोस्टमार्टम क्यों नहीं किया गया?
समर्थक दावा करते है कि ये मौत नहीं हत्या थी.
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