The Lallantop
Logo

तारीख: कहानी 'अमीर खुसरो' की जिसे 'हिंदुस्तान का तोता' नाम से ख्याति मिली

उस दौर में दिल्ली में गयासुद्दीन बलबन का राज था. एक दिन बादशाह के भतीजे अलाउद्दीन किशली खान, उसने खुसरो की तारीफ सुनने के बाद उन्हें दरबार बुलाने का मन बनाया. फारसी और देसी भाषा में मिलेजुले शिरीनी लफ्ज सुनकर मलिक छज्जू खुसरो के मुरीद हो गए.

Advertisement

साल 1220 ईस्वी, मध्य एशिया में दुनिया के सबसे  क्रूर शासकों में से एक चंगेज खान ने आतंक मचा रखा था. कहा जाता है कि उसने दुनिया की 11% आबादी का खात्मा कर दिया था. उस दौर में समरकंद (जो आज उज्बेकिस्तान में आता है) के आसपास के कबीलों के लोग जान बचाकर भाग रहे थे. इन्हीं में एक थे हाजरा जनजाति के सरदार अमीर सैफुद्दीन महमूद. जो बचते बचाते किसी तरह हिंदुस्तान पहुंचे. उस दौर में दिल्ली के तख्त पर गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश का राज था. सैफुद्दीन ने बादशाह के सामने यहीं बसने की इच्छा जताई.  बादशाह ने भी खुशामदी कर के उन्हें पटियाली (उत्तर प्रदेश के एटा में) की जागीर सौंप दी. बाद में शम्सुद्दीन ने इल्तुतमिश के दरबारी इमाद-उल-मुल्क की ही बेटी से शादी कर ली. 1253 ई में उन्हें बेटा होता है. नाम रखा अबुल हसन यमीन उद-दीन खुसरो. क्या कहानी है अमीर खुसरो की, जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.

Advertisement

Advertisement
Advertisement