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तारीख़: इंदिरा गांधी ने भारत की जमीन श्रीलंका को क्यों दी?

जल यानी पानी, मध्य यानी बीच में. और डमरु का मतलब तो हम सब जानते ही हैं.

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महान दार्शनिक लुडविग विट्गेंस्टाइन ने भाषा को लेकर एक थियोरी दी थी. भाषा वो है, जो शब्दों के माध्यम से आपके मन में एक तस्वीर बनाती है. इसलिए ऐसे शब्द जो साफ़ तस्वीर बना सके, सबसे अधिक उपयोगी होते हैं. हिंदी का एक शब्द है जलडमरूमध्य. जल यानी पानी, मध्य यानी बीच में. और डमरु का मतलब तो हम सब जानते ही हैं. इस शब्द से आपके मन में एक तस्वीर बनती है. पानी के बीच में डमरू. कितना आसान है समझना.

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फिलहाल हम इस शब्द से आज शुरुआत इसलिए कर रहे हैं. क्योंकि आज की कहानी का संबंध एक जलडमरूमध्य से है. जो हिन्द महासागर में भारत के दक्षिणी छोर और पड़ोसी देश श्रीलंका के बीच बनता है. इसका नाम है पाक जलडमरूमध्य. पानी के इस रास्ते पर कई द्वीप पड़ते हैं. इनमें से एक का नाम है काछाथीवू द्वीप. इस द्वीप पर कोई रहता नहीं है. साफ़ पानी मुश्किल से मिलता है. और अक्सर मछुवारे यहां अपना जाल सुखाने आदि कामों के लिए रुकते हैं. वीरान सा दिखने वाला ये द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच एक लम्बे विवाद का कारण रहा है. श्रीलंका इसे अपना बताता है. और दुहाई देता है एक संधि की. जो साल 1974 में इंदिरा गांधी सरकार के बीच हुई थी. दावा है कि इस संधि के तहत इंदिरा सरकार ने काछाथीवू श्रीलंका को तोहफे में दे दिया था. लेकिन एक दूसरा दावा भी है. जो बताता है कि ये द्वीप हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है. क्या है इस काछाथीवू की कहानी. और 1974 में हुई संधि का किस्सा क्या है. जानेंगे आज के तारीख़ में. 

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