इंसानी सभ्यता ने जितनी भी खोजें की हैं. उनमें से अधिकतर युद्धकाल में हुईं. ऐसी ही एक कहानी है कैंसर के इलाज की. 2 दिसंबर 1943 की बात है. द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था. जर्मनी के विमानों ने इटली के एक पोर्ट पर बमबारी की. जिसमें मित्र राष्ट्रों के करीब हजार से ज्यादा सैनिक मारे गए. हालांकि असली भयावता अभी बाकी थी. इस पोर्ट पर खड़ा एक जहाज, जॉन हार्वी एक सीक्रेट कंटेनर लेकर चल रहा था. जिसमें 2000 मस्टर्ड बॉम्ब रखे हुए थे. मित्र राष्ट्रों को डर था कि हिटलर कहीं केमिकल युद्ध की शुरुआत न कर दे. उस स्थिति में जवाब देने के लिए ये केमिकल बम लाए गए थे. जर्मनी के हमले में मस्टर्ड गैस का तरल पदार्थ आसपास के पानी में फ़ैल गया. हमले से बचने के लिए जब सैनिक पानी में कूदे वो इस गैस के संपर्क में आए. और अगले 24 घंटों के भीतर उन पर मस्टर्ड गैस के ज़हर का असर दिखने लगा. कई सैनिकों को दर्दनाक मौत नसीब हुई.
तारीख: कैंसर की दवा खोजने वाला भारतीय साइंटिस्ट गुमनाम क्यों रहा?
कहानी एक ऐसे वैज्ञानिक की जिसने कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवा की खोज की थी.
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