ज्योतिबा फुले का जन्म एक साधारण माली परिवार में हुआ था. उनके पिता गोविंदराव फूल बेचकर घर चलाते थे. इसी दुकान में काम करते हुए एक दिन ज्योतिबा को जाति की सच्चाई का अहसास हुआ. हुआ यूं कि उनके पिता की दुकान में मुंशी का काम करने वाला लड़का जाति से ब्राह्मण था. उसने अपनी शादी पर ज्योतिबा को आने का निमंत्रण दिया. और ज्योतिबा चले भी गए. लेकिन न तो ज्योतिबा को, न ही उस लड़के को पता था कि ब्राह्मण के विवाह में पिछड़ी जाति के किसी व्यक्ति के आने पर मनाही थी. ज्योतिबा शादी में गए तो किसी ने चिल्लाकर कहा, “अरे इस शूद्र को यहां किसने आने दिया”. देखते-देखते हंगामा खड़ा हो गया, और ज्योतिबा को शादी से बाहर कर दिया गया.
तारीख: अंबेडकर इसलिए मानते थे ज्योतिबा फुले को अपना गुरु!
ज्योतिबा फुले को जातिवाद के ज़हर से लड़ने का एक ही माध्यम नजर आया - शिक्षा.
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