ये पहली बार नहीं था, जब पारुलकर पाकिस्तान घुसे और लौटकर भी आए. एक किस्सा 1965 की जंग का भी है. तब पारुलकर को कमीशंड हुए कुल दो साल भी नहीं हुए थे. 23 साल के पारुलकर तब एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर हुआ करते थे. पंजाब के लुधियाने में हलवारा हवाई बेस पर तैनाती थी. हलवारा तब हंटर लड़ाकू विमानों की स्काड्रन का बेस था. सितम्बर शुरू होते ही युद्ध जैसे हालात दिखने लगे थे. ऐसे में, एक ‘फोर एयरक्राफ्ट फॉर्मेशन’ में पारुलकर और तीन और जाबांजों को, पाकिस्तान में घुस के मारने का आदेश मिला. क्या कहानी है इस लड़ाई की, और कैसे बचे पारुलकर, जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.
तारीख: कहानी भारतीय फाइटर पायलट की जिसने पाकिस्तान की जेल से आजादी पाई
जब चारों हंटर एयरक्राफ्ट भारत की सीमा में दाख़िल हो गए तब जाकर पारुलकर ने गोली लगने की खबर कम्यूनिकेट की. उनके साथियों ने उन्हें इजेक्ट करने की सलाह दी. पारुलकर नहीं माने और एक हाथ के सहारे ही जानलेवा हो सकने वाली लैंडिंग भी की.
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