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तारीख: रूह अफ़ज़ा, जो आज हमारा गला तर करती है, कभी एक दवा हुआ करती थी

रूह अफ़ज़ा ने बंटवारे, लाइसेंस राज और फ़िज़ी ड्रिंक्स के दौर को देखा. पर इन सबके बीच भी इसका क्रेज आज तक बरकरार है.

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एक ऐसी बूटी जिसे आज से 118 साल पहले दिल्ली के एक छोटे से दवाखाने में बनाया गया. लेकिन सिर्फ रिश्तों के रूप नहीं बदलते, दवाओं के भी बदलते हैं. तो दवा बन गई शरबत. और ऐसा शरबत जिसके मुरीद भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ हैं. कहते हैं कि तपती गर्मियों में तबीयत खुश कर देने वाले इस शरबत को लड़के इंजन में डाल देते थे. ताकि गाड़ी ओवरहीट न हो जाए. क्या है दवा से शरबत बनी इस लाल पानी की कहानी. और कैसे बंटवारे ने इस कम्पनी को नुकसान नहीं, जबरदस्त फायदा पहुंचाया? जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.
 

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