ढोलक की थाप और हार्मोनियम की धुन पर भजमन राधे या हरे कृष्णा गाते हुए विदेशियों का मस्तमौला झुंड देखा है या फ़िर भगवा पहने भगवदगीता की प्रतियां बांटते अंग्रेजों से कभी भेंट हुई है. कहीं न कहीं, ज़रूर ही देखा होगा. इनका जुड़ाव है इस्कॉन से. दिल्ली, नोएडा, मुंबई जैसे बड़े शहरों में इस संस्था के मंदिर हैं. विदेशों में भी इस्कॉन का बोलबाला है. इसके फॉलोवर्स पूरी दुनिया में हैं. आखिर कैसे बना इस्कॉन? कौन थे इसके संस्थापक? कैसे वृन्दावन से भी पहले विदेश में स्थापित हुआ इनका पहला मंदिर? क्या है इस्कॉन का अमेरिका के हिप्पियों से नाता? कैसे एक पॉप आर्टिस्ट ने हरे कृष्णा गाकर इस्कॉन को फिरंगियों में फ़ेमस कर दिया? क्या धर्म की आड़ में यहां लोगों का शोषण होता है? एक गैराज से शुरू हुई Nonprofit organization कल्ट कैसे बन गई? जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.
तारीख: कहानी ISKCON की जो एक गैराज से शुरू होकर आज पूरी दुनिया में फैल गया है
14 नवंबर 1977 को वृंदावन में प्रभुपाद का निधन हो गया. फिर वो दौर आया जब एक तरफ़ इस्कॉन पॉपुलर हो रहा था, और दूसरी तरफ उसे विरोध का सामाना भी करना पड़ रहा था. प्रभुपाद के करीबी क्रिस हैम उर्फ़ कीर्तनानन्द पर फिरौती और ड्रग्स से जुड़े आरोप लगे.
Advertisement
Add Lallantop as a Trusted Source

Advertisement
Advertisement