15 अगस्त, 1947. इस दुनिया को मिले दो नए मुल्क और मुल्क के साथ ही मिला बंटवारे का जख़्म भी. सब कुछ बंटा. इंसान से लेकर सामान तक. फौज बंटी, खजाना बंटा और बंटे हाथी-घोड़े भी. लेकिन एक ऐसी चीज भी थी, जिसे बांटना मुमकिन नहींं था, वो थी नोट करेंसी की प्रिंटिंग प्रेस. जब सब कुछ बंटा तो पाकिस्तान ने इस प्रिंटिंग प्रेस के बंटवारे की भी मांग की. लेकिन ये प्रैक्टिकली संभव नहीं था. प्रेस एक थी और मुल्क दो. लिहाजा पाकिस्तान के गठन के चंद सालों तक पाकिस्तान को मजबूरन भारत की करेंसी इस्तेमाल करनी पड़ी. कैसे हुआ ये सब? जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.
तारीख: भारत-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त करेंसी को लेकर क्या तय हुआ?
जिसे बांटना मुमकिन नहींं था, वो थी नोट करेंसी की प्रिंटिंग प्रेस. जब सब कुछ बंटा तो पाकिस्तान ने इस प्रिंटिंग प्रेस के बंटवारे की भी मांग की.
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