बुल्ले शाह (Bulleh Shah) सबसे सम्मानित सूफी कवियों में से एक हैं. उन्होंने अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ी है जो पीढ़ियों से लोगों को प्रेरित करती आ रही है. उनकी कविताएं, रुहानी प्रेम, सामाजिक बुनावटों के खिलाफ विद्रोह और शाश्वत सत्य के खोज की बात करती है. सैयद अब्दुल्ला शाह कादरी के रुप में एक कुलीन परिवार में जन्मे बुल्ले शाह की पहचान उनके वंश के बजाय उनकी आध्यात्मिक यात्रा से बनी. सम्मानित परिवार में जन्में बुल्ले शाह को उनके परिवार ने क्यों त्याग दिया? आखिर उनके विचारों में ऐसा क्या था कि उन्हें विधर्मी करार दिया गया? इन सवालों का जवाब जानने के लिए वीडियो देखें.
तारीख : 'मैं भी नाचू मनाऊ सोने यार को करूं न परवाह बुलेया' गाने वाले बाबा बुल्ले शाह की कहानी
बुल्ले शाह कौन थे? क्यों उनका नाम सूफी परंपरा के सबसे बड़े संतों में लिया जाता है? क्या वजह थी कि उनकी मौत के बाद उन्हें खानदानी कब्रिस्तान में जगह नहीं मिली? जानिए पूरी कहानी तारीख के इस एपिसोड में.
Advertisement
Advertisement
Advertisement