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तारीख: बेगम के इस दांव ने बदल दी थी मुगलों की किस्मत, ऐसे चलता था गद्दी का खेल

Nur Jahan के बचपन का नाम Mehrunissa था. उनके पिता तेहरान से भारत आए थे. और बादशाह Akbar के दरबार में मुलाजिम हुआ करते थे. मेहरुन्निसा जब बड़ी हुईं, उनका भी दरबार में आना जाना शुरू हुआ. और इसी दौरान एक रोज शहजादे सलीम की नजर मेहरुन्निसा पर पड़ गई.

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इस एपिसोड में कहानी नूर जहां (Nur Jahan) की. किस्सा कुछ यूं है कि एक बार मुगल शहजादे सलीम, हाथ में दो कबूतर लिए गुसलखाने की ओर जा रहे थे. रास्ते में उन्हें एक मोहतरमा खड़ी हुई दिखाई दीं. जो वहां खड़े-खड़े बाग के फूलों और हंसों को निहार रही थीं. शहजादे ने उनसे एक फरमाइश करते हुए कहा, “आपको जहमत ना हो तो ये कबूतर मेरे हाथ से ले लीजिए. मैं नहाकर लौटूंगा तो वापस ले लूंगा”. शहजादे की फरमाइश हुक्म सरीखी थी. सो मोहतरमा ने कबूतर अपने हाथ में ले लिए. सलीम लौटे तो देखा हाथ में सिर्फ एक कबूतर था. वीडियो देखें.

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