मिठाई परवल की खाई जाए या बस खोवे की बनाई जाए. वोट किसे दिया जाए. किस भाषा में टैक्सी बुलाई जाए. सब पर लोग बंटे हैं. लेकिन फिर एक दिन आता है. इंडिया कोई मैच जीत जाता है. किसी का फेंका भाला सबसे आगे निकल जाता है. चांद पर एक पहिया भारत का निशान बनाता है. या किसी पहाड़ की चोटी पर फिर झण्डा लहराता है. फिर एक भाव आता है, जो तमाम अनेकताओं पर भारी पड़ जाता है. सबको एक साथ खड़ा दिखाता है. वो राष्ट्र. और एक चीज़ होती है, राष्ट्रवाद। क्या है राष्ट्रवाद? इंडिया मैच जीते तो पटाखे फोड़ना? या कोटि-कोटि भूखे और वंचित लोगों को स्वराज्य से जोड़ना?
राष्ट्रवाद और देशभक्ति एक है या इनमें है कोई फर्क? राष्ट्रवाद की विचारधारा कैसे पैदा हुई? किस चीज पर बोलना और किस चीज पे कुछ नहीं बोलने का? और राष्ट्रवाद बिना ‘दुश्मन’ के जिंदा रह सकता क्या? जानने के लिए देखें आसान भाषा का ये एपिसोड.
आसान भाषा में: राष्ट्रवाद की असली परिभाषा क्या है? Nationalism देश को जोड़ता है या तोड़ता है?
सोशल मीडिया के गायकों से लेकर पॉडकास्ट के माइकों तक हर जगह ये मुद्दा अक्सर डिबेट-ओ-डिस्कशन का विषय बन जाता है. देशभक्ति बनाम राष्ट्रवाद. patriotism vs nationalism. पर क्या सच में दोनों में कोई फर्क है, या ये दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची हैं?
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