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जायरा वसीम बोलीं, 'मुस्लिम महिलाओं के लिए चॉइस नहीं जिम्मेदारी है हिजाब'

इस्लाम के लिए एक्टिंग छोड़ने वाली एक्ट्रेस ने मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय की बात कही है.

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ज़ायरा वसीम ने अपने पोस्ट में यह भी लिखा, 'उन्हें दुख है कि हिजाब का विरोध सशक्तिकरण के नाम पर हो रहा है,‌ जबकि असलियत इससे ठीक उलट है.' (दोनों तस्वीरों में ज़ायरा ही हैं) (इंडिया टुडे/इंस्टाग्राम)
ज़ायरा वसीम. हिंदी फ़िल्म एक्ट्रेस हैं (या कहिए थीं). 'दंगल' में (छोटी) गीता का किरदार निभाने वाली ज़ायरा वसीम ने जून 2019 में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी थी. उन्होंने हवाला दिया था कि वह अब अल्लाह के रास्ते पर हैं और इस्लाम उन्हें फ़िल्मों में काम करने की नसीहत नहीं देता. अब कर्नाटक हिजाब विवाद पर ज़ायरा का बयान आया है. हिजाब को चयन नहीं, एक जिम्मेदारी बताते हुए ज़ायरा ने कहा है कि वो इस पूरी व्यवस्था का विरोध करती हैं, जहां महिलाओं को धार्मिक प्रतिबद्धता का पालन करने से रोका जा रहा है. 'चयन नहीं, जिम्मेदारी है हिजाब' फ़िल्म इंडस्ट्री छोड़ने के बाद ज़ायरा अपने सोशल मीडिया पर भी ज़्यादा एक्टिव नहीं हैं. हाल के दिनों में उन्होंने कुछ पोस्ट किए हैं, लेकिन उनकी प्रोफाइल पर उनकी अपनी कोई तस्वीर नहीं है. बस एक तस्वीर है, बुर्के में. कर्नाटक हिजाब विवाद पर उन्होंने अपने फेसबुक पर एक लंबा पोस्ट लिखा, जिसका स्क्रीनशॉट अपने इंस्टाग्राम पर भी पोस्ट किया है. ज़ायरा ने अपने पोस्ट में लिखा,
"यह ग़लत धारणा है कि हिजाब एक चयन है. सुविधा या अज्ञानता की वजह से लोग ऐसा कहते हैं. इस्लाम में हिजाब एक चयन नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है. एक महिला, जो हिजाब पहनती है, वो अल्लाह द्वारा दी गई जिम्मेदारी को पूरा कर रही है."
अपना विरोध ज़ाहिर करते हुए ज़ायरा ने आगे लिखा,
"मैं कृतज्ञता और विनम्रता के साथ हिजाब पहनती हूं. एक महिला के रूप में मैं इस पूरी व्यवस्था का विरोध करती हूं, जहां महिलाओं को धार्मिक प्रतिबद्धता का पालन करने से रोका जा रहा है और परेशान किया जा रहा है."
'हिजाब या किताब?' ज़ायरा ने लिखा कि मुस्लिम महिलाओं को शिक्षा और हिजाब के बीच चुनने के लिए मजबूर करना अन्यायपूर्ण है.
"मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ ऐसा पूर्वाग्रह थोपना और उन्हें शिक्षा और हिजाब के बीच चुनने के लिए मजबूर करना बेहद अन्यायपूर्ण है. आप उन्हें एक ऐसे द्वंद में धकेल रहे हैं, जिससे आपका एजेंडा पूरा हो सके. फिर आप उनकी आलोचना भी कर रहे हैं. यह पूर्वाग्रह नहीं तो और क्या है!"
वसीम ने यह भी लिखा कि यह दुखद है कि यह सब सशक्तिकरण के नाम पर किया जा रहा है. कहा कि यह असल में सशक्तिकरण के मुखौटे के नीचे इसका बिल्कुल उल्टा है. इधर, हिजाब मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने शुक्रवार, 18 फरवरी, को 'शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब बैन' के ख़िलाफ़ दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई सोमवार, 21 फरवरी, के लिए टाल दी है. हाईकोर्ट ने कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने वाली याचिकाओं को भी ख़ारिज कर दिया है.

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