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उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हर जगह दिखीं योगिता भयाना कौन हैं?

Yogita Bhayana की निर्भया रेप केस के बाद जंतर-मंतर पर हुए आंदोलन में भी अहम भूमिका रही है.

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उन्नाव रेप केस पीड़िता के साथ योगिता ने भयाना इंडिया गेट पर धरना दिया. (एक्स)

उन्नाव रेप केस (Unnao Rape Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) को जमानत दी गई थी. सेंगर को जमानत मिलने का पीड़िता और उनकी मां ने विरोध किया और इंडिया गेट के पास धरने पर बैठीं. एक और महिला है जो इस पूरे मुहिम में उनके साथ खड़ी रही. इंडिया गेट पर उनके साथ धरना दिया और फिर संसद परिसर और दिल्ली हाईकोर्ट के पास भी विरोध प्रदर्शन किया. उनका नाम है योगिता भयाना (Yogita Bhayana).

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कौन हैं योगिता भयाना?

योगिता भयाना एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वह भारत में रेप विक्टिम को न्याय दिलाने के लिए काम करती हैं. इसके लिए वो एक अभियान चलाती हैं 'PARI' (People Against Rape in India). इसके अलावा भयाना दिल्ली के अजमेरी गेट और कश्मीरी गेट जैसे इलाकों में बेघर महिलाओं और बच्चों के लिए नाइट शेल्टर भी चलाती हैं.

कैसे हुई शुरुआत?

योगिता भयाना एक हॉस्पिटैलिटी प्रोफेशनल रही हैं. एविएशन इंडस्ट्री में उनका सफल करियर रहा. जब किंगफिशर एयरलाइंस की शुरुआत हुई थी तो योगिता इस एयरलाइंस की आठ सबसे प्रमुख सदस्यों में से एक थी. योगिता का करियर काफी अच्छा चल रहा था, लेकिन 2002 में हुए एक वाकये ने उनके रास्ते बदल दिए. 

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अपनी छुट्टी के दिन वह फिल्म देखने गई थी. फिल्म देखकर लौट रही थीं तो देखा सड़क पर एक व्यक्ति खून से लथपथ पड़ा है और कोई उसे उठाने को तैयार नहीं था. योगिता ने पुलिस को फोन किया लेकिन कोई मदद नहीं मिली. योगिता एक दोस्त की मदद से उसे उठाकर अस्पताल ले गईं. अस्पताल में उसे भर्ती कराने में दो घंटे लग गए. ईलाज शुरू होने में हुई देरी के चलते उस व्यक्ति की मौत हो गई. योगिता बताती हैं

उस अजनबी ने मेरे हाथों में दम तोड़ दिया. इस सदमे के चलते मैं एक महीने तक काम पर नहीं जा सकी. मैंने पीड़ित परिवार से संपर्क किया और मुआवजा दिलाने में उनकी मदद की. इस दौरान मैंने अदालतों और अस्पतालों समेत हर जगह उदासीनता देखी. तभी मुझे एहसास हुआ कि इस व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए कुछ करना होगा.

इस घटना के बाद से ही योगिता का रुझान समाज सेवा की ओर होने लगा. और वो नौकरी में रहते हुए जरुरतमंद लोगों की सहायता करने लगीं. फिर साल 2007 में उन्होंने  किंगफिशर एयरलाइंस की नौकरी छोड़ दी और दास फाउंडेशन की स्थापना की. इसे उन्होंने साल 2011 तक चलाया. इसका उद्देश्य दुर्घटना पीड़ितों की मदद करना और अस्पतालों में बेहतर सुविधाओं के लिए प्रयास करना था. उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उत्थान प्रोजेक्ट भी चलाया. इसके जरिए विधवा और गरीब महिलाओं को कार क्लीनिंग, हाउसकीपिंग और कैब ड्राइविंग की ट्रेनिंग दी गई. इससे 1 हजार से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिला.

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निर्भया को न्याय दिलाने की मुहिम का नेतृत्व किया

साल 2012 में हुए निर्भया गैंग रेप कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया. घटना के 24 घंटे बाद दिल्ली के जंतर-मंतर में पीड़िता को न्याय देने के लिए प्रदर्शन शुरू हो गए. योगिता भयाना इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही थीं. उस समय वो राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य थीं. उनके नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने संसद मार्च भी किया. योगिता निर्भया को न्याय दिलाने के लिए तीन महीने तक जंतर-मंतर पर बैठी रहीं.

किशोर न्याय कानून में बदलाव में अहम भूमिका

निर्भया गैंगरप और हत्या के बाद साल 2015 में योगिता ने किशोर न्याय कानून में बालात्कारियों के लिए उम्र सीमा 18 साल से घटाकर 16 साल करने के अभियान की पहल की और उसका नेतृत्व किया. उन्होंने निर्भया की मां और परिवार को इस मुहिम में शामिल होने के लिए राजी कर लिया,जिससे अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और मीडिया कवरेज मिली. साल 2016 में राज्यसभा में किशोर न्याय कानून में बदलाव करने वाला विधेयक पारित किया गया. योगिता भयाना ने योर स्टोरी को बताया, 

हमें पता चला कि निर्भया गैंगरेप मामले में नाबालिग आरोपी को कुछ ही घंटों में रिहा किया जाने वाला है. यह जानकर बहुत दुख हुआ. मैंने आशाजी (निर्भया की मां) से फोन पर बात की और उन्हें विरोध प्रदर्शन में शामिल होने को कहा. हालांकि, शुरू में वह हिचकिचा रही थीं लेकिन उस शाम वह हमारे साथ शामिल हो गईं. बहुत से लोग इस प्रदर्शन में शामिल हुए. हमें हिरासत में भी लिया गया.

योगिता ने बताया कि निर्भया कांड के बाद वह रेप विक्टिम को न्याय दिलाने के लिए काम करने लगी. इस दौरान उनको रेप और यौन हिंसा के कई ऐसे मामलों का पता चला, जिनकी रिपोर्टिंग नहीं होती. इसके बाद उन्होंने इन पीड़ितों को न्याय दिलाने और ऐसे मामलों को रोकने के लिए एक अभियान शुरू करने का फैसला किया. और इसका नाम रखा. 'PARI' (People Against Rape in India).

PARI कैंपेन क्या करता है?

PARI कैंपेन अब तक यौन हिंसा से जुड़े 1 हजार से ज्यादा मामलों में विक्टिम को कानूनी सहायता और काउंसलिंग मुहैया करा चुका है. योगिता भयाना इस कैंपेन के माध्यम से सिस्टमेटिक रिफॉर्म्स, जागरूकता और पीड़ितों की आवाज उठाती हैं. योगिता POSH (प्रिवेंशन ऑफ सेक्शुअल हैरासमेंट) एक्सपर्ट हैं. वह वर्कफोर्स पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए ट्रेनिंग और अवेयरनेस प्रोग्राम चलाती हैं.

महिलाओं के लिए वुमेन स्पेशल सत्र बुलाने की मांग

योगिता भयाना ने साल 2020 में महिलाओं के लिए हर साल संसद का दो दिवसीय वुमेन स्पेशल सत्र बुलाने के लिए मुहिम शुरू की. इस मुहिम के मुताबिक, इन दो दिनों में महिलाओं से जुड़ी परेशानियों, उन्हें आगे बढ़ाने और हक दिलाने के लिए काम किया जाए. मुहिम में शामिल महिलाओं को लेकर भयाना लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मिलीं. वो बताती हैं कि ओम बिड़ला से उन लोगों को इस पर विचार करने का आश्वासन दिया. लेकिन फिर कोविड आ गया और ये योजना साकार नहीं हो सकी. 

लॉकडाउन के दौरान मरीजों की मदद

कोविड लॉकडाउन के दौरान दिल्ली AIIMS और अन्य अस्पतालों में इलाज कराने आए दूसरे राज्यों के मरीज फंस गए थे. उस दौरान अस्पतालों में नॉन-कोविड वार्ड बंद कर दिए गए थे. योगिता भयाना ने इन मरीजों को वापस अपने घर भेजने के लिए बसों का इंतजाम किया. 

वीडियो: कोरोना संकट के बीच जरूरतमंदों की मदद करने वाली योगिता भयाना की कहानी

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