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मानव इतिहास की वे घटनाएं जो 2023 से पहले कभी नहीं हुईं

क्लाइमेट संबंधी त्रासदियों से लेकर विज्ञान के चमत्कारों तक, वो कौन सी घटनाएं रहीं, जो 2023 में पहली बार घटीं? आइए, जानते हैं.

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नीदरलैंड के रहने वाले गर्ट-जां कोस्कम का नाम इतिहास में दर्ज हो गया है.

साल ख़त्म हो रहा होता है, तो थमकर पूरे साल पर नज़र मारने का रिवाज़ कैलेंडर की ईजाद से पहले से चला आ रहा है. यही वो मौसम है, जब मीडिया संस्थानों से ईयर एंडर जारी होने लगते हैं. आप भी ऐसा ही एक ईयर एंडर पढ़ने जा रहे हैं. जो बात करेगा ऐसी घटनाओं की, जो 2023 से पहले इतिहास में कभी नहीं हुईं. यानी कि मानवजाति के समूचे ज्ञात इतिहास में पहली बार हुई. कौन सी थीं ये घटनाएं? आइए, जानते हैं.

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#1. चांद के साउथ पोल पर पहली बार कोई स्पेसक्राफ्ट पहुंचा

चंदा को मामा का घर तो इंसान बहुत पहले बना चुका था, लेकिन सारी हवेली में भांजों की पहुंच थी नहीं. इंसान ने जितने भी मून मिशन किए, सब एक ही तरफ किए. चांद का साउथ पोल अछूता ही रहा. 2023 तक. फिर आया भारत का मून मिशन, चंद्रयान-3. जब 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान चांद की सतह पर उतरा, तो 140 करोड़ के आसपास की भारतीय जनता ख़ुशी से झूम उठी.

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लेकिन खुश होने वालों की संख्या इतनी ही नहीं थी. ना ही सिर्फ एक ही मुल्क की हैप्पीनेस इंडेक्स में उछाल आया था. ये पहला मौका था, जब इंसान के कदम चांद के साउथ पोल पर पड़े थे. ज़ाहिर है इस ख़ुशी में पूरी दुनिया की शिरकत थी. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था.

‘चंद्रयान-3’ इसरो को बेहद महत्वाकांक्षी मिशन था, जिसने अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की. 

चंद्रयान-3 इसरो का एक महत्वाकांक्षी मिशन था. इस स्पेसक्राफ्ट का लैंडर उतारने के लिए इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव को चुना. कहा जाता है कि चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग सबसे मुश्किल होती है. इंडिया का पिछला मून मिशन आखिरी लम्हों में नाकामयाब रहा था. बावजूद इसके तीसरे मिशन में भी साउथ पोल पर ही लैंडिंग का फैसला लिया गया. इसके पीछे इसरो का तर्क ये था कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सतह के नीचे पानी होने की ज़्यादा संभावनाएं हैं. अगर इंसान चांद पर बसने के बारे में सोच रहा है, तो उसे ऐसी ही किसी जगह की ज़रूरत होगी, जहां पानी का अस्तित्व हो. इस लिहाज़ से साउथ पोल सबसे अच्छी जगह है. इसलिए चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर ही पहुंचा. इतिहास में पहली बार.  

#2. मानव इतिहास में पहली बार मिला बादलों में माइक्रोप्लास्टिक

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2023 में महज़ ऐसी घटनाएं ही नहीं हुईं, जिन्होंने मानवजाति का मस्तक गर्व से ऊंचा किया हो. इस साल पर्यावरण से संबंधित कुछेक गंभीर ख़तरों से भी इंसान को दो-चार होना पड़ा. इतिहास में पहली बार बादलों में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया. यूं तो प्लास्टिक धरती पर हर जगह पहुंच गया है, चाहे वो महासागर हों या एवरेस्ट की चोटियां, लेकिन बादलों में उसकी मौजूदगी यकीनन चिंताजनक बात है. अगस्त महीने में खबर आई कि जापानी वैज्ञानिकों को बादलों में प्लास्टिक के टुकड़े मिले हैं. जापानी शोधकर्ताओं ने माउंट फूजी और माउंट ओयामा पर चढ़ाई की थी और उनकी चोटियों पर मौजूद बादलों से बनी धुंध में प्लास्टिक पाया गया.

सांकेतिक तस्वीर.  सोर्स:  climatefactchecks.org

माइक्रोप्लास्टिक दरअसल प्लास्टिक के सूक्ष्म कण होते हैं. ये आमतौर पर 5 मिलीमीटर से भी कम लंबाई के होते हैं. टोक्यो की वसेदा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को ऐसे सूक्ष्म कण मिले, जिसके बारे में उनका कहना है कि ये महासागरों से आए हैं. इस बारे में अगस्त में एनवायरनमेंटल केमिस्ट्री लेटर्स नाम के जर्नल में आर्टिकल भी छपा. बादलों में माइक्रोप्लास्टिक पाया जाना, एक बेहद सीरियस मामला है और तमाम पर्यावरणविद इसे लेकर चिंतित हैं. इनसे पर्यावरण को व्यापक नुकसान तो है ही, इनकी वजह से दिल और फेफड़ों की बीमारियां भी हो सकती हैं. कैंसर का ख़तरा भी है. बादलों में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने की घटना भी 2023 से पहले कभी नहीं हुई थी.

#3. पिछले सवा लाख सालों में सबसे गरम साल रहा 2023

बादलों में माइक्रोप्लास्टिक जैसी गंभीर पर्यावरण समस्या के अलावा भी इंसानी कौम को नए सिरदर्द मिले हैं इस साल. साल 2023 पिछले सवा लाख सालों में सबसे गर्म साल था. इतना ही नहीं, अक्टूबर 2023 सबसे गर्म महीना साबित हुआ. ये जानकारी यूरोपियन यूनियन के कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) की तरफ से आई. ये सबकुछ जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से हो रहा है. उस वक्त C3S की डिप्टी डायरेक्टर सामंथा बर्गेस ने कहा था कि वैश्विक स्तर पर तापमान में जो बदलाव आया है, वो बेहद भयावह और तेज है. यह गर्मी इसलिए बढ़ रही है क्योंकि हम इंसान ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन रोक नहीं पा रहे हैं.

तप रही है धरती. सांकेतिक इमेज. सोर्स: आजतक. 

इससे पहले 2016 में भी ऐसे हालात बने थे, लेकिन रिकॉर्ड टूट नहीं पाया था. तब पर्यावरण पर अल-नीनो का असर था. C3S के पास 1940 से लेकर अब तक का डेटा मौजूद है. जब इसके डेटा को IPCC (Intergovernmental Panel on Climate Change) के डेटा से मिलाया गया, तब सवा लाख साल का डेटा सामने आ गया. अल-नीनो की वजह से जो सबसे गर्म अक्टूबर महीना था, वो साल 2016 में था. वो रिकॉर्ड भी इस साल टूट गया. पर्यावरण में आने वाले ऐसे भीषण बदलाव जता रहे हैं कि हम इंसान धरती के साथ कुछ तो ग़लत कर रहे हैं. तभी तो साल 2023 सवा लाख सालों में सबसे गर्म साल साबित हुआ.

#4. लकवाग्रस्त व्यक्ति महज़ सोचने भर से चलने लगा

2023 में विज्ञान ने एक तरफ अगर मानवजाति के सामने आसन्न खतरों की तरफ ध्यान दिलाया, तो दूसरी तरफ विज्ञान के कुछ चमत्कार भी दिखाए. जो इंसानी ज़िंदगी को आसान बनाते हैं. इन्हीं में से एक था इलेक्ट्रॉनिक मस्तिष्क प्रत्यारोपण. टेक्नोलॉजी के इस स्वरूप ने एक इंसान का जीवन बदल दिया. नीदरलैंड के रहने वाले 40 साल के गर्ट-जां ओस्कम का 12 साल पहले 2011 में एक भीषण एक्सीडेंट हुआ था. उस हादसे के बाद वो पैरालाइज्ड हो गए थे. उनके दोनों पैरों ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया था. वो न तो चल पाते थे, न ही खड़े हो पाते थे. लेकिन अब डिजिटल इम्प्लांट की मदद से वो अपने दिमाग के सहारे चल सकते हैं.

विज्ञान के चमत्कार ने एक व्यक्ति की ज़िंदगी बदल दी.

वैज्ञानिकों ने एक ऐसी डिवाइस बनाई, जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी के कनेक्शन को जोड़ती है और दिमाग के विचारों को एक्शन में बदलती है. दिमाग चलने की कमांड देता है, तो पैर उस कमांड का पालन करते हैं. इसे वायरलेस डिजिटल ब्रिज का नाम दिया गया. ये डिवाइस अभी रिसर्च स्टेज में है और इसे लकवाग्रस्त रोगियों के लिए उपलब्ध होने में कुछेक साल और लग सकते हैं. लेकिन शुरुआत निश्चित रूप से बेहद उत्साहजनक है. ये तकनीक आने वाले सालों में कई लकवाग्रस्त मरीज़ों के लिए संजीवनी बनेगी. 2023 में पहली बार हुए विज्ञान के इस कारनामे को भी एक अभूतपूर्व घटना कहा जा सकता है.

तो ये थीं 2023 की कुछ ऐसी घटनाएं, जो इतिहास में पहले कभी नहीं हुईं. कुछ डराने वाली, तो कुछ संभावनाओं के नए द्वार खोलती.

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