क्या खबर बताई जाए आपको, ये कि देश की संसद लगातार हंगामे की वजह से ठप चल रही है. ये कि लोकसभा की कार्रवाहियां 40-40 सेकेंड में समाप्त हो जा रही है. या ये कि पार्था चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर मिले नोटों के बाद पूछताछ में क्या जानकारियां सामने आई. खबर अरुणाचल से लापता मजदूरों के मिलने की भी है. लेकिन हमें लगता है कि आज एक गंभीर विषय पर ध्यान आकर्षित करना चाहिए. जो लोगों की जिंदगी और मौत से जुड़ा है. बीते कई दिनों से लगातार इमरजेंसी लैंडिग की खबरें आ रही है, सरकार की तरफ से सख्ती के बावजूद आज फिर असम के जोरहाट में इमरजेंसी सिचुएशन बन गई. यात्रियों की जान सांसत में फंस गई.
किस बड़ी चूक की वजह से हो रही है फ्लाइटों की इमरजेंसी लैंडिंग?
जोरहाट में शुक्रवार को फ्लाइट में तकनीकी खराबी हुई, तो गुरुवार को मुंबई से गुजरात के कांडला जा रहे स्पाइसजेट के एक विमान की वापस मुंबई में कॉशन लैंडिंग कराई गई.

तारीख 28 जुलाई. दिन शुक्रवार, यानी कल. घड़ी में दोपहर के ठीक 2 बजकर 20 मिनट हो रहे थे. असम के जोरहाट के रोरैया एयरपोर्ट से इंडिया का एक विमान, 6E-757, रनवे से उड़ान के लिए तैयार होता है. कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे जाना था. टेकऑफ के लिए विमान आगे बढ़ता है. विमान ने अभी रफ्तार पकड़ी ही थी कि कुछ मीटर दूर जाने पर विमान का पहिया रनवे से उतर जाता है. बारिश की वजह से रनवे के बगल में हुए कीचड़ में जा फंसता है. फ्लाइट में हड़कंप मच जाता है. कुल 98 यात्री सवार थे. सभी आवाक रह जाते हैं. अब तक सबको समझ आ चुका होता है कि कुछ गड़बड़ हो गई है. इमरजेंसी अलार्म एक्टिव किए जाते हैं. जिस फ्लाइट का चक्का रनवे से उतरा, वो साढ़े 12 बजे उड़ान भरकर 1 बजकर 50 बजे जोरहाट एयरपोर्ट पहुंची थी, महज आधे घंटे बाद उसे वापस कोलकाता जाना था. मगर ये हो नहीं पाया. विमान में मौजूद इंडिगो के कर्मचारी तत्परता से यात्रियों को उतारने में जुट जाते हैं. यात्रियों को वेटिंग रूम में लाकर बैठाया जाता है. काफी देर प्रयास करने के बाद भी विमान देर रात तक उड़ान नहीं भर पाया. कारण पूछने पर बताया जाता है कि तकनीकी खराबी के कारण ये हादसा हुआ.
तकनीकी खराबी, बीते कई दिनों से ये शब्द बार-बार सुनने को मिल रहे हैं. आप गूगल पर तकनीकी खराबी लिखकर सर्च करेंगे आपको ढेर सारी खबरें ऐसी मिल जाएंगी जहां फ्लाइट के इमरजेंसी लैंडिग की बात होगी है. जोरहाट में शुक्रवार को फ्लाइट में तकनीकी खराबी हुई, तो गुरुवार को मुंबई से गुजरात के कांडला जा रहे स्पाइसजेट के एक विमान की वापस मुंबई में कॉशन लैंडिंग कराई गई. ये तब हो रहा है जब बुधवार को ही Directorate General of Civil Aviation यानी DGCA, जो भारत में विमान परिचालन को रेगुलेट करती है, निगरानी रखती है, उसने स्पाइसजेट को नोटिस दिया है. स्पाइस जेट की 50 फीसदी फ्लाइट्स को दो महीने के लिए ग्राउंड कर दिया और सिर्फ 50 फीसदी प्लेन को ही चलने की अनुमति दी. सुरक्षा मानक साबित करने की हिदायत दी. बावजूद इसके अगले ही दिन गुरुवार को स्पाइसजेट की एक और फ्लाइट में तकीनीकी खराबी की खबर आ गई. स्पाइस जेट की फ्लाइट से इस तरह की खबरें पहली और आखिरी बार नहीं आईं. ये पिछले 40 दिनों में स्पाइसजेट के विमान में तकनीकी खराबी की यह कम से कम नौवीं घटना है.
इससे पहले, 2 जुलाई को जबलपुर जाने वाली स्पाइसजेट की एक फ्लाइट क्रू मेंबर्स द्वारा केबिन में लगभग 5,000 फीट की ऊंचाई पर धुआं देखने के बाद दिल्ली लौट आई. वजह तकनीकी खराबी. बीते दिनों में पटना में उड़ते हुए विमान में आग लग गई, वजह तकीनीकी खराबी बताई गई. 5 जुलाई को एक स्पाइसजेट मालवाहक विमान, जो चीन में चोंगकिंग की ओर जा रहा था, कोलकाता लौट आया क्योंकि पायलटों को उड़ान के बाद एहसास हुआ कि उसका मौसम रडार काम नहीं कर रहा था. उसी दिन एयरलाइन की दिल्ली-दुबई उड़ान को खराब ईंधन संकेतक के कारण कराची की ओर मोड़ दिया गया था. कराची में इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी, वजह तकनीकी खराबी.
आजकल एक मीम चल रहा है. उसी की भाषा में कहें तो देख रहा बिनोद, किस तरह से यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. देश के अमूनन हर दूसरे व्यक्ति का सपना होता है कि वो कम से कम एक बार तो हवाई यात्रा जरूर करे. मगर इस तरह की खबरों ने न सिर्फ सपनों बल्कि हवाई यात्रा पर भरोसे को भी हिलाकर रख दिया है. ये मुद्दा संसद तक उठ चुका है. RJD के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रताप सिंह ने बाकयदा लिखित सवाल पूछा, कि
"क्या यह सच है कि 5 जुलाई 2022 को दिल्ली से दुबई जा रहे स्पाइसजेट के विमान को पाकिस्तान के कराची में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी और यदि हां , तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?"
इस सवाल का जवाब उड्डयन राज्य मंत्री वीके सिंह ने लिखित में दिया. जो कुछ ये है कि,
"5 जुलाई को दिल्ली से दुबई जा रही स्पाइट जेट की फ्लाइट B737-8MAX में कॉकपिट क्रू यानी पायलट ने देखा कि ईंधन असंतुलन की चेतावनी मिलने के बाद ईंधन की मात्रा असामान्य रूप से कम होने लगी. ईंधन के रिसाव का संदेह हुआ, विमान को कराची डायवर्ट किया गया. केबिन क्रू ने आपात की घोषणा नहीं की. लैंडिग के उपरांत कराची में जांच की गई, निरीक्षण में ईंधन रिसाव नहीं पाया गया."
लब्बोलुआब यही निकला की तकनीकी खामी की वजह से ऐसा हुआ. मगर सवाल है कि ऐसा बार-बार क्यों हो रहा है कि इमरजेंसी लैंडिंग की खबरें देश में बढ़ती जा रही हैं. GoFirst की 2 फ्लाइट्स में तकनीकी खराबी आई थी. ऐसी घटनाओं को रोकने लिए पिछले बीते दिनों नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिंया और DGCA ने एयरलाइन कंपनियों के साथ मीटिंग की. मीटिंग्स में एयरलाइन कंपनियों से पिछले एक महीने में हुई तकनीकी खराबी की घटनाओं पर Detailed रिपोर्ट मांगी गई. ताकि इसके पीछे मौजूद सही कारणों को समझा जा सके.
6 जुलाई को DGCA ने विमानों में तकनीकी ख़राबी की वजह से स्पाइसजेट को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इस नोटिस में ये कहा गया कि स्पाइस जेट एक सुरक्षित और भरोसेमंद हवाई सेवा देने में नाकाम साबित हुई है. ये बयान एक कंपनी की प्रतिष्ठा पर सबसे बड़ा सवाल है. DGCA ने शुरुआती जांच में ये पाया कि स्पाइस जेट ने विमानों का Maintenance ठीक से नहीं हुआ. इस पर स्पाइस जेट के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह का भी बयान आया, उन्होंने कहा
"हर दिन औसतन 30 ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, हांलाकि इस तरह की घटनाएं अतिरिक्त एतिहास के कम की जानी चाहिए. लेकिन ये भी सच है कि ऐसा दुनिया में हर जगह होता है. ये कोई गंभीर मुद्दा नहीं है. इसके बारे में ज्यादा बढ़ाचढ़ा कर बात नहीं करनी चाहिए."
सरकार और विमान कंपनी का पक्ष जान लिया, अब यहां से एक्सपर्ट के जरिए इस तरह की घटनाओं की प्रकृति और उसकी गंभीरता को समझना जरूरी है. हमने एविएशन के एक्सपर्ट और पूर्व पायलट विपुल सक्सेना से बात की. उनके मुताबिक, इस तरह की खामियों को सिर्फ विमान कंपनियों के पल्ले नहीं डाला जा सकता है. यात्रियों कि सुरक्षा और सुरक्षित यात्रा की जिम्मेदारी में DGCA बराबर का भागीदार है. रनवे से लेकर हवा तक फ्लाइट की DGCA पूरी निगरानी रखता है. DGCA के पास पूरा ब्योरा होता है, वो एक-एक उड़ान का मालिक होता है. इसलिए उसकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. इमरजेंसी लैंडिग्स के पीछे की एक वजह ये भी बताई गई कि विमान कंपनियों के पास टेक्निकल स्टॉफ की कमी है.
कोरोना काल में हुई नुकसान के बाद हुई छटनी से ये स्थिति उपजी. हुआ ये कि, कोरोना काल से पहले 2019-20 में भारत में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में कुल 20 करोड़ 42 लाख लोगों ने हवाई यात्रा की. ये संख्या 2021-22 में घटकर सिर्फ 6 करोड़ 20 लाख रह गई. जिससे विमान कंपनियों को करोड़ों का नुकसान हुआ. पिछले साल कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मई 2021 में Domestic Flight लेने वाले यात्रियों की संख्या सिर्फ 21 लाख थी. जो इस साल मई 2022 में बढ़कर एक करोड़ 20 लाख हो गई. यानी यात्रियों की संख्या 5 गुना ज़्यादा हो गई. इसके अलावा पिछले एक साल में हवाई किराये भी लगभग दो गुना हो चुके हैं.
बावजूद इसके कंपनियां ठीक से सर्विस नहीं दे पा रही हैं. वजह ये भी कि विमान कंपनियां काफी घाटे में चल रही हैं. 2020-21 में Air India को 4,700 करोड़, IndiGo को 5,829 करोड़, Vistara को 1,609 करोड़, AirAsia को 1,396 करोड़ और Go Air को 1,333 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. एक अनुमान के मुताबिक 2022 में एयरलाइन कंपनियों का घाटा 15 हज़ार करोड़ से बढ़कर 26 हज़ार करोड़ रुपये हो जाएगा.
जानकारों के मुताबिक लापरवाही कहीं ना कहीं अंदरखाने ही हो रही है. हम ये बिलकुल साफ कर देते हैं किसी भी विमान के उड़ने से पहले बाकायदा हर लेवल पर चेकिंग की जाती है. इसका पूरा एक प्रोसीजर होता है. कोई भी जहाज जब दिन की पहली फ्लाइट के लिए निकलता है तो तफसील से चेक होता है. जिसमें फ्यूल चेक, टेक्नीशियन चेक, इंजीनियरिंग चेक शामिल होते हैं. उसके बाद जब-जब फ्लाइट कहीं पर लैंड करती है तो वहां भी जांच की जाती है. जिसे एविएशन की भाषा में टर्न अराउंड इंस्पेक्शन कहा जाता है. जो कि करीब 45 मिनट का होता है. उसमें पहली फ्लाइट जितनी डीटेलिंग नहीं होती, लेकिन जनरली सबकुछ चेक जरूर किया जाता है. कहीं कोई लीकेज ना हो, कहीं शॉर्ट सर्किट ना हो, सारे पैनल, टायर प्रेशर सबकुछ चेक किया जाता है. फिर दिन के आखिर एक बार और डीटेल इंस्पेक्शन होता है. नाइट फ्लाइंग से पहले. तब नाइट फ्लाइट के सारे रिक्वायरमेंट, लाइटिंग वगैरह को चेक किया जाता है. लेकिन जरा सी भी चूक रह जाए तो हादसा होने का पूरा खतरा रहता है. देसी भाषा में समझें तो एक नट भी ढीला छूट जाए तो पूरा सिस्टम हिल जाता है. ऐसे में जाहिर हैं कहीं ना कहीं तो चूक हो रही है. एक सवाल यहां से ये भी उठता है कि स्पाइस जेट पर हुए एक्शन के बाद क्या चीजें सुधरेंगी ?
इस बारे में विशेषज्ञों की मांग है कि गड़बड़ करने वाली विमान कंपनी पर सख्त एक्शन हो, ताकि चीजें सुधर सकें. DGCA ने अपने पत्र में जिस तरह के ऑब्जरवेशन लिखे हैं. उसे पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए. एक-एक फ्लाइट में सैकड़ों यात्रियों की जान का सवाल होता है. एक-एक पायलट देश के लिए कीमती होता है. ऐसे में जरूरी है कि वक्त रहते जरूरी ऐतिहात बरते जाएं. वरना बिन बुलाए किसी बड़े हादसे को दावत मिल सकती है.
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