बृजमोहन गुप्ता और उनके बेटे भारत में मिलिट्री इंजन बनाने वाली कंपनी Pratt and Whitney के एजेंट थे. ये इंजन लगभग सभी एयर-इंडिया बोइंग 707 और 747 और इंडियन एयरलाइंस के 737 विमान में फिट होते थे. उनकी कंपनी बेचे गए सभी इंजनों और पुर्जों पर कमीशन लेती थी. बाद में गुप्ता परिवार जर्मनी की एक कंपनी Recaro का भारतीय एजेंट बन गया. ये कंपनी भारत में एयरप्लेन सीट, इंटीरियर और CAE फ्लाइट सिम्युलेटर सप्लाई करती है. इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की एजेंसियों को चुनना शुरू कर दिया. जब उनका बिजनेस पीक पर था तो उन्होंने कई सौ कंपनियों का प्रतिनिधित्व किया. आज गुप्ता परिवार की बात क्यों? क्योंकि गुप्ता परिवार की तीसरी पीढ़ी का एक सदस्य पिछले कुछ दिनों से खबरों में है. सुशेन मोहन गुप्ता (Sushen Mohan Gupta). ये नाम न मीडिया के लिए और न ही जांच एजेंसियों के लिए नया है. रह-रह कर सुशेन का नाम मीडिया में आता रहा है. फ्रांस में खोजी पत्रकारिता करने वाली वेबसाइट मीडियापार्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि रफाल जेट विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन ने सौदे के एवज़ में कम से कम 65 करोड़ रुपए की दलाली खिलाई. ये दलाली 2007 से 2012 के बीच दी गई. लेकिन भारतीय एजेंसियों ने इसकी जांच ही नहीं की. मीडियापार्ट का दावा है कि अक्टूबर 2018 में इस दलाली से संबंधित कागजात CBI के पास थे, इसके बावजूद उसने जांच नहीं की.
मीडियापार्ट का दावा है कि दसॉ ने फर्ज़ी इन्वॉइस जारी किए. और इन इन्वॉइस के ज़रिए सुशेन मोहन गुप्ता नाम के एक कथित दलाल को साढ़े सात मिलियन यूरो दिए गए. भारतीय मुद्रा में ये पैसा करीब 65 करोड़ होता है. और इसके बदले सुशेन ने दसॉ को लड़ाकू विमानों का सौदा दिलवाया. सुशेन मोहन गुप्ता कौन है? बृजमोहन गुप्ता के बिजनेस को उनके बेटे देव मोहन गुप्ता ने आगे बढ़ाया. सुशेन गुप्ता इस परिवार की तीसरी पीढ़ी का सदस्य है जिसने अपने बिजनेस को दूसरे फील्ड में भी फैलाया. 46 साल का सुशेन मोहन गुप्ता दिल्ली में सिविल लाइंस इलाके में रहता है. उसने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से की. इसके बाद वो उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका भी गया. वहां उसने कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियंरिग और इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट की पढ़ाई की. इसके बाद सुशेन ने परिवार के काम को संभाला और हॉस्पिटिलेटी और पॉवर सेक्टर में भी अपने कदम आगे बढ़ाए.

द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विरासत में मिली कंपनी के अलावा सुशेन गुप्ता कई और कंपनियों का मालिक है. इनमें से कई कंपनियों का ऑफिस एड्रेस दिल्ली का हेली रोड है. इन कंपनियों में सॉफ्टवेयर पब्लिशिंग एंड सप्लाई कंपनी Actia India Pvt Ltd और रियल एस्टेट इकाइयां शामिल हैं. जैसे कैराली एस्टेट एंड एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और अमेरिकन होटल एंड रेस्टोरेंट प्राइवेट लिमिटेड.
सुशेन गुप्ता कई अन्य कंपनियों के निदेशक के रूप में लिस्टेड है. इनमें शामिल हैं होरिजन एयर सपोर्ट मेंटेनेंस (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, डीएम साउथ इंडिया हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड, डीएम लग्जरी रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, फोरसाइट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, दारुन हॉस्पिटैलिटी एलएलपी, डेफ्ट्रोनिक्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, डीएम पावर प्राइवेट लिमिटेड और चौगुले रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड. अगस्ता वेस्टलैंड में भी नाम आया सुशेन गुप्ता का नाम अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम में भी आ चुका है. अगस्ता वेस्टलैंड से AW101 मॉडल के हेलिकॉप्टर खरीदने की बात वाजपेयी सरकार के समय हुई, लेकिन सौदा तय हुआ 2010 में मनमोहन सिंह सरकार के वक्त. कुल कीमत थी तकरीबन 3600 करोड़ रुपए. भारत ने एक हज़ार 620 करोड़ रुपए चुका दिए थे और 3 हेलिकॉप्टर हिंदुस्तान आ गए थे. फिर 24 फरवरी, 2012 को इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर छापी. खबर ये कि अगस्ता वेस्टलैंड की पेरंट कंपनी फिनमिकैनिका के खिलाफ हुई जांच में ये सामने आया है कि अगस्ता वेस्टलैंड ने भारत सरकार के साथ सौदा करने के लिए सैकड़ों करोड़ रुपए की घूस दी.

भारत में इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई को सौंपी गई. इस जांच के दौरान जो दस्तावेज़ सीबीआई के हाथ लगे, उनके मुताबिक 2002 से लेकर 2006 के बीच सुशेन गुप्ता की शेल कंपनी को 9 लाख 14 हज़ार यूरो पहुंचाए गए. भारतीय मुद्रा में करीब – आठ करोड़ रुपए. इस लेनदेन का संबंध कथित रूप से अगस्ता वेस्टलैंड डील से था.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सुशेन गुप्ता का नाम इस हेलीकॉप्टर डील से जुड़े वकील गौतम खेतान और बिजनेसमैन राजीव सक्सेना के साथ सामने आया. ओपी खेतान, गौतम खेतान के पिता थे. वो गुप्ता परिवार के वकील थे. कोर्ट में जो स्टेटमेंट सुशेन गुप्ता ने दिया है, उसके अनुसार राजीव सक्सेना से उसकी जान-पहचान ओपी खेतान ने करवाई थी. गौतम खेतान, सुशेन गुप्ता और राजीव सक्सेना अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील के दौरान गिरफ्तार हुए थे. मार्च 2019 में सुशेन गुप्ता को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था. लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने सुशेन गुप्ता को कंडीशन बेल दे दी थी. रफाल मामले में ऐसे आया नाम मीडियापार्ट ने दावा किया है कि रफाल खरीद में अनियमितता का पता अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर स्कैम की जांच के दौरान लगा. दस्तावेज़ों से ये पता चला कि सुशेन गुप्ता की रफाल सौदे में भी संदिग्ध भूमिका है. मीडियापार्ट का दावा है कि ये दस्तावेज़ 11 अक्टूबर, 2018 से सीबीआई के पास हैं. लेकिन एजेंसी ने कोई जांच नहीं की.
एक दस्तावेज़ के हवाले से मीडियापार्ट का ये भी दावा है कि सुशेन गुप्ता ने दसॉ के कहने पर कुछ अधिकारियों को पैसा दिया था. सितंबर 2012 में सुशेन ने एक नोट लिखा. इसमें वो कहता है कि अगर इन लोगों को हम पैसा नहीं देते हैं, तो ये हमें जेल में डाल देंगे. पैसा नहीं, तो डील नहीं.

2015 आते आते दसॉ से अंतिम बातचीत शुरू हो गई थी. मीडियापार्ट का कहना है कि तब गुप्ता के हाथ कुछ गोपनीय दस्तावेज़ लग गए. इनमें ये जानकारी तक थी कि भारत डील को लेकर क्या रुख अपनाएगा और वो विमानों की कीमत की गणना कैसे करने वाला है.
मीडियापार्ट के इन दावों के बाद सुशेन गुप्ता की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उसके वकील ने अप्रैल 2021 में कहा था सुशेन की रफाल डील में कोई भूमिका नहीं है.