ठगी की दुनिया में जब भी बात होती है तो अब तक सबसे पहला नाम नटरवाल का आता था, लेकिन अब वो पुरानी बात हो गई. अब ठगी का जिक्र होगा तो संभवत: किरन भाई पटेल का नाम लिया जाएगा. सोशल मीडिया पर ये नाम 16 मार्च की रात से वायरल है. इसने खुद को देश के सबसे ताकतवर दफ्तर माने प्रधानमंत्री कार्यालय का एडिशल डायरेक्टर बताया और कश्मीर जाकर जेड श्रेणी जैसी सिक्योरिटी ले ली. VIP गाड़ी, सुरक्षा के लिए जैमर, साथ में सुरक्षा बल की दो और गाड़ियां. ये इस ठग का काफिला था. गुलमर्ग घूमने गया तो साथ में सुरक्षा बल के जवानों का घेरा था, रौब अधिकारियों जैसा. और इसने सिर्फ VIP ट्रीटमेंट की फ्री राइड नहीं ली. इसने कलेक्टरों से साथ बैठक तक कर ली.
PMO के नाम पर कश्मीर में ठगी करने वाले के पीछे दो लोग कौन? सुरक्षा में बड़ी चूक कैसे?
PMO के नाम पर ठगी करने वाले की पूरी कहानी क्या है?

किरण पटेल गुजरात में अहमदाबाद के दसक्रोई तहसील के नाज गांव का रहने वाला है. बीते कुछ सालों से वो अहमदाबाद शहर में रहता है, एक साल पहले ही अहमदाबाद के पॉश इलाके सिंधुभवन के पास नया बंगला खरीदा. हाल ही में वो उस बंगले में रहने भी लगा. इंडिया टुडे की गोपी मनियार की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में किरण पटेल मीडिया कर्मियों और गुजरात बीजेपी के लिए कोई नया नाम नहीं है. उसे यहां ज्यादातर लोग बीजेपी नेता के तौर पर जानते हैं. किरण पटेल अक्सर बीजेपी पार्टी दफ्तर में जब भी कोई बड़ा कार्यक्रम होता था तो वहां पर भी दिखाई देता था. वो लग्जरी कारों का शौकीन है. चाहे मर्सिडीज हो या BMW या फिर पोर्शे अक्सर अलग-अलग गाडियों में उसे घूमता देखा गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक वो खुद को बीजेपी का कार्यकर्ता भी बताया करता था. बीजेपी के कई बड़े नेताओं के साथ भी उसका उठना बैठना था. कई बड़े नेताओं के साथ सोशल मीडिया में उसकी तस्वीरें भी तैर रही हैं. लेकिन किसी नेता के साथ तस्वीर होना आज के वक्त में बड़ी बात नहीं है. जानकार बता रहे हैं कि वो उन तस्वीरों का इस्तेमाल अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए करता है. इसी लफबाजी में वो बीते साल अक्टूबर महीने में कश्मीर पहुंचता है.
जहां वो खुद को PMO का एडिशनल डारेक्टर बताता है, कुछ अधिकारियों से संपर्क में आकर वो सुरक्षा हासिल कर लेता है. जितनी आसानी हमने एक लाइन ये बात कह दी, कश्मीर में ये इतना आसान है नहीं. श्रीनगर के 5 स्टार होटल ललित के कमरा नंबर 1107 से जब उसे गिरफ्तार किया गया. तो सुरक्षा एजेंसियों का भी दिमाग चकरा गया. सूत्रों के मुताबिक व्हाट्सऐप मैसेज के आधार पर उसे पहला प्रोटोकॉल मिला, आरोप है कि एक IAS अधिकारी ने उसे फॉरवर्ड किया. मैसेज ADG सिक्योरिटी तक पहुंचा और फिर से सुरक्षा मिलने लग गई.
किरन भाई पटेल का कारनामा इतने तक सीमित नहीं है, वो जम्मू कश्मीर में सिक्योरिटी के साथ घूमने-फिरने का वीडियो खुद से ही अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट करता था. इसके ट्विटर बायो पर नज़र डालिए. इंट्रोडक्शन में इन्होंने खुद को बहुमुखी प्रतिभा का धनी दिखाने की भरसक कोशिश की है. ट्विटर पर लिखी शैक्षणिक योग्यता के मुताबिक किरन भाई पटेल ने दावा किया है कि वो वर्जीनिया की कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी से पीएचडी, तिरुचिरापल्ली के IIM से MBA कर चुका है. इसके साथ ही उसने कम्पयूटर सांइस से एमटेक करने का भी दावा किया है. ये तो हुई डिग्रियों की बात उसने खुद को विचारक, रणनीतिकार, विश्लेषक और कैंपेन मैनेजर भी बताया है. ऊपर से ट्विटर के सब्सक्राइब ब्लू पॉलिसी में पैसे देकर ब्लू टिक भी ले लेता है. इतना सबकुछ किसी आम इंसान को प्रभाव में लेने के लिए काफी हो सकता है, लेकिन कश्मीर तो हाई सिक्योरिटी जोन में है. और अधिकारी अगर बड़े-बड़े अधिकारी किसी जालसाज के चक्कर में फंस जाते हैं तो सवाल उठना लाजमी है.
इतने सबके बावजूद किरन पटेल की पत्नी उसे निर्दोष बता रही है, दावा कर रही है कि उनके पति कश्मीर में डेवलमेंट का काम कर रहे थे. ऐसा ही दावा किरन पटेल के वकील ने भी किया है, वो ये कि सिक्योरिटी किरन पटेल को नहीं, दो नेताओं को मिली थी.
यहां से सवाल और गंभीर हो जाते हैं कि आखिर 2 दो राजनेता कौन हैं? जिनके नाम पर सुरक्षा ली गई? अगर सुरक्षा उनके नाम पर थी तो ये व्यक्ति कैसे उसका इस्तेमाल कर रहा था? 4 महीने में वो चार बार कश्मीर जाता है और VIP प्रोटोकॉल को एन्जॉय करता है. एक-दो वीडियो उसके पत्नी और बच्चे भी साथ नजर आते हैं. सूत्रों के मुताबिक किरण भाई पटेल उरी में सेना की कमान पोस्ट पर भी जा चुका है. लाल चौक पर CRPF के जवानों के साथ भी उसकी फोटो है. वहां उसने CRPF के अधिकारियों को खुद का परिचय स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के चीफ के तौर पर दिया था.
बाकायदा वो इसे खुद पोस्ट करता है. अपने ज्यादातर ट्वीट में वो लोगों को झांसा देने के लिए हैशटैग PMO का इस्तेमाल करता है. ज्यादातर ट्वीट बीते कुछ दिनों में जम्मू कश्मीर से जुड़ा ही करता है. कश्मीर में डेवलमेंट की बातें लिखता था, एक तस्वीर में वो पुलवामा में है. दावा किया जा रहा है कि तस्वीर उसके साथ खड़े दूसरे व्यक्ति पुलवामा के डिप्टी कमिश्नर बशीर चौधरी हैं. कई रिपोर्ट के मुताबिक DC पुलवामा पर ही सुरक्षा दिलाने का आरोप लगा, लेकिन DC पुलवामा ने इस तरह के सभी आरोपों से इनकार किया है. उनका कहना है कि पुलवामा में 120 फिट का तिरंगा लगाया गया, जिसकी वजह से लोग फोटो खिंचाने आते हैं. कई लोग उनके साथ भी फोटो खिंचाते हैं. फिर ये सवाल तो जस का तस है कि आखिर उसे सुरक्षा मिली कैसे? सुरक्षा देने के लिए किसने कहा था? किस अधिकारी को उसने झांसे में लिया?
दरअसल इसी कन्फ्यूजन का फायदा किरण पटेल ने उठाया. चुंकि ज्यादातर अधिकारी भी ये नहीं जानते कि PMO में बड़े पदों पर बैठे लोग कौन हैं? कन्फ्यूजन जो भी हो, मगर जिस कश्मीर में सुरक्षा इतनी चाक-चौबंद है, चप्पे-चप्पे और हर व्यक्ति पर निगाह रखी जाती है. वहां ये घटना बड़े लूप होल की तरफ इशारा कर रहा है. 4 महीने से सबकुछ चल रहा था. इससे आप लापरवाही और राष्ट्रीय सुरक्षा में चूक का अंदाजा लगा सकते हैं. अब आते हैं उस पर कि आखिर ये पकड़ा कैसे गया? सूत्र दो थ्योरी बता रहे हैं. पहली वजह ये कि जब वो मार्च के महीने में कश्मीर पहुंचा तो उसके नखरे और बढ़ चुके हैं. हौसले पहले से कहीं ज्यादा बुलंद थे.
>>सूत्रों के मुताबिक उसे सुरक्षा में एक जैमर गाड़ी मिली थी, इस बार वो एक की जगह दो गाड़ियां मांग रहा था. एक आगे-एक पीछे के लिए.
>> इस पर CID ने गवर्नर हाउस को रिपोर्ट भेजी कि पीएमओ का कोई बंदा आया है, दो जैमर मांग रहा है, हमारे पास नहीं है.
>> गवर्नर हाउस ने PMO को रिपोर्ट भेजी और तब जाकर पोल खुली.
दूसरी थ्योरी ये है कि वो कश्मीर के बडगाम जिले गया था, जहां एक टूरिस्ट प्लेस दूधपथरी पर जाता है. वहां उसको कुछ अच्छा नहीं लगा तो अधिकारियों को डांटने लगा. डीसी को सस्पेंड कराने और ट्रांसफर कराने की धमकी दी. DC ने जब जानना चाहा कि ये PMO का अधिकारी कौन है जो सस्पेंड कराने की बात कर रहा है, तो उसने सर्च किया. PMO की वेबसाइट पर इस तरह के किसी आदमी का जिक्र नहीं मिला, शक हुआ तो जांच CID को सौंप दी और तब जाकर बात खुली. मगर बात सिर्फ इतनी नहीं है. ये देश की गंभीर सुरक्षा का मसला है.
>> अधिकारियों को प्रमोशन और अच्छी पोस्टिंग का झांसा देता था.
>>सूत्रों के मुताबिक दो जिलों में इसने सिक्योरिटी रिव्यू मीटिंग भी की थी.
>> अधिकारियों को वो होटल में बुलाकर मीटिंग करता था.
और दावा ये भी किया जा रहा है कि वो फाइव स्टार होटल में सरकारी खर्चे पर रह रहा था. सोचिए ये कितने गंभीर सवाल उठाने वाला है. सुरक्षाबलों ने किरन भाई पटेल को गिरफ्तार 3 मार्च को कर लिया गया था, पुलिस ने खबर छिपाए रखी.15 दिन की जब रिमांड खत्म हुई, कोर्ट में पेश करने की डेट आई, परिवार जब वहां पहुंचा, तब जाकर बात खुली. अब केंद्र से लेकर कश्मीर तक सख्ती दिखाई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक
>> ADG सिक्योरिटी और SSP सिक्योरिटी से पूछताछ हुई है.
>> सूत्रों के मुताबिक दो SHO को सस्पेंड किया गया है, मगर ऑर्डर अभी जारी नहीं हुआ है.
>> डीसी वडगाम, डीसी पुलवामा पर गाज गिर सकती है, सचिवालय से अटैच किया जा सकता है.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: PMO के नाम पर कश्मीर में ठगी करने वाले के पीछे दो लोग कौन? सुरक्षा में बड़ी चूक कैसे?