निर्वाचन आयोग के नियम कहते हैं कि मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दल अपने लिए ज्यादा से ज्यादा 40 स्टार-प्रचारक रख सकते हैं. एक गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत दल के लिए ये सीमा 20 स्टार-प्रचारकों की है. लेकिन कोरोना को देखते हुए इस बार बिहार चुनावों में इसमें कटौती की गई है. चुनावों के दौरान संबंधित चरण की अधिसूचना जारी होने के 7 दिनों के भीतर दलों को अपने स्टार प्रचारकों के नामों की लिस्ट आयोग को सौंपनी होती है. अभी यह समय बढ़ाकर 10 दिन कर दिया गया है.

जेडीयू ने अपनी सभी 115 सीटों पर उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. बिहार के पुलिस कमिश्नर पद से वीआरएस लेने वाले गुप्तेश्वर पांडेय को किसी भी दल ने टिकट नहीं दिया है.
क्या होती है स्टार प्रचारक की भूमिका?
बिहार में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को तीन चरणों में मतदान होने हैं. भारत में 8 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल हैं. ये हैं- भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा और एनपीपी.
लोकसभा के चुनाव हों या विधानसभा के, स्टार प्रचारकों पर सबकी नजरें होती हैं. ये ऐसे नेता, सिलेब्रिटी होते हैं, जिन्हें देखने सुनने भारी भीड़ उमड़ती है. जिनका लोगों पर खासा प्रभाव होता है. स्टार प्रचारक अपने दमदार भाषणों से अपनी पार्टी और उम्मीदवार के लिए वोट खींचने का काम करते हैं. इनकी सभाएं ऐसे इलाकों में रखी जाती हैं, जहां वोट मिलने की संभावना ज्यादा होती है.
स्टार प्रचारकों के लिए क्या हैं नियम?
निर्वाचन आयोग को संविधान के अनुच्छेद-324 के तहत चुनाव नियमों में बदलाव का अधिकार प्राप्त है. आयोग ने प्रचार से संबंधित नियम में बदलाव की गाइडलाइंस कुछ समय पहले जारी की थी. इसके मुताबिक, प्रत्याशी के साथ पांच व्यक्ति घर-घर जाकर प्रचार कर सकते हैं. रोड शो के दौरान 10 की जगह अब 5-5 गाड़ियों का काफिला रहेगा. इसमें दो गाड़ियों के बीच आधे घंटे का अंतर रखना जरूरी होगा. हालांकि इनमें सुरक्षाकर्मियों और सुरक्षा के लिए दी गई गाड़ियों की संख्या काउंट नहीं की जाएगी.

लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने गुरुवार को बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए अपने 42 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. चिराग पासवान ने उम्मीदवारों से प्रचार में जुट जाने को कहा.
इनका खर्च कौन उठाता है?
अब उम्मीदवार स्टार प्रचारक लाते हैं तो इन पर खर्च भी खूब होता है. इस पर निर्वाचन आयोग पैनी नजर रखता है. स्टार प्रचारक जगह-जगह रैली, सभा और रोड शो करते हैं. इनकी यात्रा के लिए हेलीकाॅप्टर, ट्रेन और कार का इस्तेमाल होता हैं. लेकिन ये सारा खर्च उम्मीदवार के चुनाव खर्च में नहीं जोड़ा जाता, बल्कि पार्टी का खर्च माना जाता है. प्रचार के दौरान स्टार प्रचारक पार्टी की गाड़ी में अपने साथ सिर्फ एक पर्सनल स्टाफ बैठा सकता है. अगर उस गाड़ी में किसी और नेता का स्टाफ बैठता है तो उसका खर्च, उम्मीदवार के खर्चे में जुड़ेगा. स्टार प्रचारक किसी होटल में रुकता है तो इसका भी खर्च उम्मीदवार के खाते में जुड़ जाएगा.
(ये कॉपी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे बृज द्विवेदी ने लिखी है.)