साल 2008, तारीख थी 26 नवंबर, मुंबई के ताज होटल पर लश्कर ए तैयबा के आतंकियों ने हमला किया. लोग अंदर फ़ंसे थे. जिनमें एक नाम भारत के जाने माने उद्योगपति गौतम अडानी का भी था. 2008 में दिखी उन तस्वीरों से हमें याद है. की भारत के जाबांज NSG कमांडो ने आतंकियों का सफ़ाया किया. लेकिन क्या आपको पता है, NSG से पहले एक और टीम ताज में लैंड की थी. ये वो टीम थी जिन्होंने अड़ानी समेत कई लोगों को बचाया और तब तक मोर्चा सम्भाले रखा, जब तक NSG नहीं आ गए. ये लोग मार्कोस के कमांडो थे. मार्कोस इंडियन नेवी के स्पेशल कमांडो फ़ोर्स.
आज आपको बताएंगे कौन हैं ये मार्कोस, जिनसे समुद्री लुटेरे तक ख़ौफ़ खाते हैं?
मार्कोस की ट्रेनिंग कैसे होती है,
इन्होंने कौन से मिशन्स को अंजाम दिया है?
और आजकल चर्चा में क्यों हैं.
मई 2022 में कश्मीर में जी 20 देशों की बैठक हुई. सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चाक-चौबंद थी. श्रीनगर की सड़कों पर काली वर्दी पहने NSG कमांडो सुरक्षा में तैनात थे. लेकिन बात सिर्फ़ ज़मीन की नहीं थी. नेवी के स्पेशल कमांडोज़ जिन्हें मार्कोस कहा जाता है, डल झील में सुरक्षा में लगे हुए थे. पानी पर काम करने वाली ये इंडिया की सबसे एलीट फ़ोर्स है, जो किसी भी सिचुएशन में सबसे पहले एक्टिव होती है. मार्कोज़ की ज़रूरत कहां पड़ती है?
पहले ताज़ा घटना के बारे में जानिए.
कुछ रोज़ पहले अरब सागर में लाइबेरिया के झंडे वाला एक कार्गो शिप MV Lila Norfolk ट्रैवल कर रहा था. ये शिप ब्राज़ील में रियो डी जिनेरियो के Acu Port से बहरीन के Khalifa Bin Salman पोर्ट तक यात्रा करने वाला था. और इस मालवाहक जहाज़ में आयरन ओर लदा हुआ था. MV Lila सोमालिया के तट से गुज़र रहा था तभी उसपर 5 से 6 हथियारबंद समुद्री लुटेरों ने हमला किया और जहाज़ पर क़ब्ज़ा कर लिया. सोमालिया के पास समुद्री लुटेरों के हमला करने की ये पहली घटना नहीं थी. लेकिन लुटेरे इस जहाज़ के बारे में एक बात नहीं जानते थे. इस जहाज़ पर सवार 21 में से 15 क्रू मेंबर्स भारतीय थे. लिहाज़ा एक्शन में आई इंडियन नेवी और नेवी के बेस्ट ऑफ द बेस्ट कहे जाने वाले मार्कोस कमांडोज़. मार्कोस के शिप पर पहुंचने और रेस्क्यू करने तक सारे समुद्री लुटेरे जहाज छोड़कर भाग चुके थे.
जैसा इस बार हुआ, वैसा ही पहले कई बार हो चुका है. NSG का नाम कई बार खबरों में आ जाता है जबकि मार्कोस का नाम हम कम सुनते हैं. हालांकि ये मार्कोस सालों से समंदर में भारत के हितों के रक्षा करते आए हैं.
कौन है मरीन कमांडो मार्कोस, क्या होती है हेल वीक ट्रेनिंग?
नेवी सील्स की ही तर्ज पर भारतीय सेना के तीनों अंगों के पास अपनी एलीट फ़ोर्स है. इंडियन आर्मी की स्पेशल फोर्सेज़ हैं पैरा स्पेशल फोर्स, एयरफोर्स में गरुड़ कमांडोज़ और इंडियन नेवी के लिए मार्कोस. फ़ुल फ़ॉर्म- मरीन कमांडो फ़ोर्स.
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अमरीकी सेना की एक एलीट फोर्स है, नाम है नेवी सील्स. वही नेवी सील्स, जिन्होंने 2011 में ओसामा बिन लादेन को एबटाबाद में उसके घर में घुसकर मारा था. SEALS का मतलब है सी, एयर एण्ड लैन्ड यानि वो सैनिक जो जमीन, आसमान और पानी, तीनों में लड़ने में सक्षम होते हैं. नेवी सील्स की ही तर्ज पर भारतीय सेना के तीनों अंगों के पास अपनी एलीट फ़ोर्स है. इंडियन आर्मी की स्पेशल फोर्सेज़ हैं पैरा स्पेशल फोर्स, एयरफोर्स में गरुड़ कमांडोज़ और इंडियन नेवी के लिए मार्कोस. फ़ुल फ़ॉर्म- मरीन कमांडो फ़ोर्स.
मार्कोस की स्थापना हुई थी साल 1987 में. हालांकि इसकी नींव एक तरह से इससे बहुत पहले रखी जा चुकी थी. साल 1955 में. ब्रिटेन की मदद से इंडियन नेवी ने कोच्चि में एक डाइविंग स्कूल शुरू किया. मकसद था नेवी के गोताखोरों को पानी के अंदर जंग लड़ने की ट्रेनिंग देना.पानी के अंदर से जाकर दुश्मन के ठिकानों पर बम लगाना आदि. लेकिन 1971 के युद्ध में ये यूनिट कुछ खास छाप नही छोड़ पाई. फिर आया साल 1986, इंडियन नेवी ने एक स्पेशल फोर्स बनाने की सोची. आर्मी के पैरा एसएफ की तर्ज़ पर. उनका मकसद एक ऐसी फ़ोर्स बनाने का था जो मेरीटाइम वारफेयर, छापामार युद्ध, जासूसी और काउंटर टेररिज्म जैसे मिशन्स को अंजाम दे सके. इसके लिए 1955 में शुरू किए गए उसी डाइविंग स्कूल से तीन ऑफिसर्स को सलेक्ट किया गया और उन्हें यूएस नेवी सील्स के साथ Coronado, california में ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया. इसके बाद उन्हें ब्रिटेन की रॉयल नेवी की एलीट फ़ोर्स 'स्पेशल बोट सर्विस' के साथ भी ट्रेनिंग के लिए भेजा गया. आधिकारिक तौर पर फरवरी 1987 में मुम्बई में INS अभिमन्यु पर मार्कोस की स्थापना हुई जो कि इसका होम बेस भी है. तब इसका नाम इंडियन मरीन स्पेशल फोर्स हुआ करता था. आगे चलकर इन्हें मार्कोस पुकारा जाने लगा. मार्कोस हवा,ज़मीन और पानी तीनों जगह लड़ने के लिए ट्रेंड होते हैं. इनका निकनेम क्रोकोडाइल होता है क्योंकि ये किसी मगरमछ की तरह ही पानी के अंदर मिशन को अंजाम देने में सक्षम होते हैं.
इनका ध्येय वाक्य है THE FEW, THE FEARLESS.

अब इनकी ट्रेनिंग के बारे में जानते हैं.
मार्कोस की ट्रेनिंग 2 हिस्सों में होती है. अगर आपको मार्कोस कमांडो बनना है तो पहले आपको 20 साल की उम्र में इंडियन नेवी जॉइन करनी होगी. इसके बाद मार्कोस के लिए अप्लाई किया जाता है.
पहले स्टेज में तीन दिनों तक फ़िज़िकल फिटनेस और एप्टीट्यूड टेस्ट होता है. करीब 80 प्रतिशत कैंडिडेट्स इसी में बाहर हो जाते हैं. इस टेस्ट को पास करने के बाद बारी आती है hell week यानी नर्क के बराबर माने जाने वाली एक हफ्ते की ट्रेनिंग की. ये ट्रेनिंग कुछ-कुछ यूएस नेवी सील्स के ही हेल वीक जैसी ही होती है. जिसमें बिना सोए बहुत ज़्यादा शारीरिक मेहनत कराई जाती है. अगले 80 परसेंट कैंडिडेट्स इस 'हेल वीक' में बाहर हो जाते हैं. फिर बचे हुए कैंडिडेट्स को फाइनल ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है. कैंडिडेट्स को ट्रेनिंग के दौरान कई और कोर्स भी करने होते हैं. मसलन,
-पैराशूट जंपिंग
-रिवर राफ्टिंग
Evasive driving course- ये ऐसी ट्रेनिंग है जिसमें किसी भी गाड़ी को बिना चाभी के चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है
-इंटेलीजेंस कोर्स
-सबमरीन ऑपरेशन्स
-हर तरह के एक्सप्लोसिव्स को डिसेबल करने की ट्रेनिंग.
-साथ ही हर तरह के हथियारों की पूरी जानकारी.
-इसके अलावा मार्कोस को हाथ पैर बांधकर तैरने की ट्रेनिंग भी दी जाती है.

करीब करीब 2 साल की ट्रेनिंग के बाद मार्कोस कमांडोज़ तैयार हो जाते हैं , हालांकि इनकी ट्रेनिंग पूरे सर्विस के दौरान चलती रहती है. जहां तक वर्दी की बात है, इंडियन नेवी कि यूनिफॉर्म जहां सफेद रंग की होती है वहीं मार्कोस की वर्दी काले रंग की होती है. इनके पास कई तरह के अत्याधुनिक हथियार होते हैं. असल में कौन से हथियार मार्कोस इस्तेमाल करते हैं ये तो कोई नहीं जानता पर कुछ कॉमन हथियार हैं जो हर मरीन कमांडो द्वारा इस्तेमाल किये जाते हैं.
जैसे
-TAVOR X95.
-कार्ल गुस्ताव एम 3 रॉकेट लॉन्चर
-IWI Tavor Tar 21
-APS Underwater Rifle
-AK 103 असॉल्ट राइफल
-बेरेटा पिस्टल
और अधिकतर कमांडोज़ की फेवरेट हेक्लर एण्ड कोच की एमपी 5 सबमशीन गन
हथियारों के अलावा मार्कोस कई अत्याधुनिक गैजेट्स और कई तरह की गाड़ियां इस्तेमाल करते हैं.
इनमें हिंदुस्तान एरनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित हेलिकोप्टर 'ध्रुव',
-ऑगस्टा वेस्टलैन्ड सी किंग ट्रांसपोर्ट हेलिकोप्टर,
-चेतक हेलीकॉप्टर्स
-ऑल टेरेन व्हीकल्स
- टू पर्सन स्विमिंग डिलिवरी व्हीकल
मार्कोस की ताक़त आपने देखी. अब जानिए उनके द्वारा अंजाम दिए गए कुछ मिशन्स के बारे में.
-साल 1987, ऑपरेशन पवन- अपनी स्थापना के बाद मार्कोस को पहली बार काम मिला. श्रीलंका के लिट्टे के उग्रवादियों से निपटने का. मार्कोस ने पानी के अंदर से तैरते हुए लिट्टे के कब्जे वाले जाफना और त्रिंकोमली के बंदरगाहों को तबाह कर दिया. इस मिशन को लीड करने वाले लेफ्टिनेंट अरविन्द सिंह को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
-साल 1988, ऑपरेशन कैक्टस- मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति माउमून अब्दुल गयुम की सरकार का तख्तापलट होने वाला था. एन वक्त पर इंडियन नेवी ने पहुंचकर उनकी सरकार बचा ली.
-1993- मार्कोस को सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में यूएन पीसकीपिंग मिशन्स के लिए भेजा गया.
इसके अलावा यमन में ऑपरेशन राहत, और 2008, 2013, 2017 में दो बार और फिर 2020 में मार्कोस ने समुद्री लुटेरों द्वारा हाइजैक शिप्स को रेस्क्यू किया. एक कहानी ये भी है कि 4 मार्च 2018 को दुबई से एक बोट में भाग रही वहाँ कि प्रिन्सेस शेख लतीफा को मार्कोस ने ही पकड़ा और फिर उन्हें यूएई अथॉरिटीज़ को सौंप दिया.
-इसके अलावा 2008 मुम्बई हमलों के दौरान मार्कोस के ऑपरेशन के बारे में हम आपको शुरू में ही बता चुके हैं.
सम्भव है मार्कोस और भी कई मिशंस अंजाम दे चुके होंगे क्योंकिअधिकतर मिशन्स क्लासीफाइड होते हैं यानी आम जनता तक इनकी जानकारी कम ही पहुँच पाती है. देशभर में मार्कोस कमांडोज की संख्या कितनी है हैं, ये भी बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है. यहां तक कि इनके परिवार को भी नहीं पता होता कि ये मार्कोस या मरीन कमांडो हैं.
मार्कोस की पूरी कहानी जानाने के बाद ये भी समझ लीजिए कि मार्कोस का महत्व हालिया समय में काफ़ी बढ़ गया है. समुद्री लुटेरों के बढ़ते हुए ख़तरे के बीच साल 2022 में भारत सरकार ने एंटी पायरेसी ऐक्ट पारित किया. जिसके तहत समुद्र में 200 नॉटिकल माइल्स तक जहाजों पर किसी भी तरह की पायरेसी, कब्ज़ा, हमला या बंधक बनाने की स्थिति में भारतीय नौसेना को एक्शन लेने की पावर दी गयी. इसी एक्ट के चलते MV LILA के केस में इंडियन नेवी को डिसिजन लेने में अधिक समय नहीं लगा.
पायरेसी के अलावा इजरायल-हमास जंग की वजह से यमन और रेड सी के पास जहाजों पर हो रहे हमलों का ख़तरा बढ़ गया है. लिहाज़ा मार्कोस की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है. और इसी कारण indian नेवी मार्कोस को और भी मॉडर्न बनाने की तैयारी में लगी है, उदाहरण के लिए मार्कोस कमांडोज़ को ICS यानी इंटीग्रेटेड कॉम्बैट सिस्टम से लैस करने की तैयारी चल रही है. साथ ही इंडियन नेवी मार्कोस के लिए नए तरह के लाइटवेट बलिस्टिक हेलमेट और कम्युनिकेशन डिवाइसेस भी ख़रीदने की तैयारी कर रही है. जिससे उनकी ऑपरेशनल क्षमताओं में इजाफा होगा. साथ ही इंडियन नेवी ने लर्सन एंड टूब्रो द्वारा निर्मित एक 2 पर्सन सबमरीन का इस्तेमाल खासतौर पर मार्कोस के लिए करना शुरू किया है.
फ़िलहाल इसी के साथ आज के एपिसोड ख़त्म करते हैं. उम्मीद है हमारी इस कोशिश से आपकी जानकारी में इज़ाफ़ा हुआ होगा.