
तस्वीर- पीटीआई
कब शेर से बाघ राष्ट्रीय पशु हो गया? शेर और बाघ, दोनों ही रॉयल्टी के प्रतीक माने जाते हैं और दोनों ही ताकतवर जानवरों में गिने जाते हैं. शेर को मुगल काल से ही राष्ट्रीय पशु के तौर पर देखा जाता रहा है.

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उससे भी पीछे जाएं तो सम्राट अशोक के काल में बनाए गए स्तंभों में भी शेर को जगह दी गई. बताया जाता है कि ऐसे ही कारणों के चलते शेर को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था. अप्रैल 1972 से पहले शेर ही हमारा राष्ट्रीय पशु था.
लेकिन शेर उस समय और आज भी केवल गुजरात के गिर वन में पाए जाते हैं. वहीं, बाघ की बात की जाए तो ये देश के 16 राज्यों में पाया जाता है.

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लेकिन 70 के दशक में बाघों की संख्या काफी कम होने लगी थी. ऐसे में उनके संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी. इसके साथ ही बाघ को राष्ट्रीय पशु माना गया और शेर से ये तमगा छिन गया.

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हालांकि साल 2015 में शेर को फिर राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग उठी थी. उस समय झारखंड से राज्यसभा सांसद रहे परिमल नाथवानी ने नेशनल बोर्ड फ़ॉर वाइल्डलाइफ को प्रस्ताव देते हुए कहा था कि बाघ के स्थान पर फिर से शेर को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए. लेकिन ये प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया. बोर्ड ने इसे खारिज कर दिया.

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भारत में कैसे कम हुए बाघ? एक समय ऐसा था जब भारत में बाघ बहुतायत में पाए जाते थे. लेकिन राजशाही के दौरान इनका खूब शिकार किया गया, जिसके चलते इनकी संख्या धीरे-धीरे घटने लगी. आजादी के बाद बाघ अवैध शिकार के कारण कम होते चले गए. इसके चलते साल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी. इसके तहत अन्य बड़ी बिल्लियों को संरक्षित करने की मुहिम भी चलाई गई. बता दें कि बिल्ली की करीब 36 अलग-अलग प्रजातियां हैं. इनमें बाघ सबसे बड़ी बिल्ली है.