पाकिस्तान सरकार ने रविवार, 5 मार्च को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के लाइव भाषणों पर प्रतिबंध लगा दिया. बताया गया कि तोशाखाना मामले में गिरफ्तारी से बचने की कोशिशें के चलते इमरान खान के खिलाफ ये कार्रवाई की गई है. दरअसल, रविवार को ही इस्लामाबाद पुलिस लाहौर में इमरान खान के घर जमां पार्क पहुंची थी. लेकिन इमरान खान वहां नहीं थे. इसके बाद ही शाहबाज शरीफ सरकार ने पाकिस्तानी मीडिया में इमरान खान के भाषण देने या प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पर रोक लगा दी.
क्या है तोशाखाना केस जिससे इमरान खान के राजनीतिक करियर की धज्जियां उड़ रही हैं?
इस पूरे प्रकरण के चलते इमरान ख़ान का राजनीतिक भविष्य अंधकारमय हुआ जा रहा है.

इस बीच इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के कार्यकर्ता जमां पार्क के बाहर इकट्ठा हो गए और विरोध करने लगे. इमरान खान के खिलाफ ये कार्रवाई कोर्ट के आदेश के बाद हो रही है. इस्लामाबाद की एक सेशंस कोर्ट ने तोशाखाना मामले में 28 फरवरी को गैर-जमानती वारंट जारी किया था. ये वारंट तब जारी किया, जब इस केस में इमरान खान लगातार तीन बार कोर्ट के सामने पेश नहीं हुए.

फारसी भाषा का एक शब्द है, तोशाखाना. इसका मतलब होता है, खज़ाने वाला कमरा. मुग़लों के दौर में तोशाखाना का इस्तेमाल राजसी लोगों को मिलने वाले तोहफों को रखने के लिए किया जाता था. आज़ादी के बाद भारत में ये व्यवस्था कायम रही. इसमें सरकारी अधिकारियों को विदेश में मिलने वाले तोहफों को जमा किया जाता है. 1978 के गैज़ेट नोटिफ़िकेशन के अनुसार, तोशाखाना में गिफ़्ट जमा कराए जाने की तय समयसीमा 30 दिनों की होती है. भारत में तोशाखाना का काम विदेश मंत्रालय संभालती है.
पाकिस्तान में तोशाखाना की स्थापना 1974 के साल में की गई. इसको कैबिनेट डिविजन के नियंत्रण में रखा गया. इसे विदेश दौरों पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कैबिनेट मंत्री, सरकारी अधिकारियो को मिलने वाले तोहफ़ों को रखने के लिए बनाया गया था.
पाकिस्तान में तोशाखाना कानून किन-किन पर लागू होता है?
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेनेट के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन, नेशनल असेंबली के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री, संसद के सदस्य, सरकारी अधिकारी और स्वायत्त और अर्ध-स्वायत्त संस्थाओं के कर्मचारी. भले ही ये लोग छुट्टी पर हों या ड्यूटी पर, इन्हें तोशाखाना कानून को मानने के लिए बाध्य हैं.
नियम क्या है?
नियम के अनुसार, विदेशी दौरों पर मिलने वाला गिफ़्ट अगर एक तय कीमत से अधिक का हो तो उसे तोशाखाना में जमा कराना होता है. यहां पर एक और प्रावधान है. अगर कोई गिफ़्ट को अपने पास रखना चाहे तो उसे उसकी कीमत चुकानी पड़ती है. इसके लिए एक कमिटी बनी हुई है. वही बाज़ार की दर से गिफ़्ट की कीमत तय करती है.
लगभग पांच दशक के इतिहास में पाकिस्तानी नेताओं और अधिकारियों को बेशुमार तोहफे मिले. इसका रिकॉर्ड कभी बाहर नहीं आ पाया. पाकिस्तानी अख़बार डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब कभी जानकारी मांगी गई, संवेदनशीलता का हवाला देकर टालमटोल किया जाता रहा. पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और यूसुफ़ रज़ा गिलानी के ऊपर धांधली के केस भी चल रहे हैं.
पाकिस्तान में तोशाखाना से जुड़े दो और ज़रूरी नियम हैं, जिनका सबको पालन करना होता है.
- पहला, जिस किसी को भी गिफ़्ट मिला हो, उसे उसकी अनुमानित कीमत के बारे में कैबिनेट डिविजन को बताना होता है. उम्मीद की जाती है कि वे बिना देरी के उसे तोशाखाना में जमा करवा देंगे.
- और दूसरा, अगर कोई गिफ़्ट ऐतिहासिक महत्व का हो तो उसे किसी भी कीमत पर बेचा नहीं जा सकता. इस तरह के तोहफ़ों को तोशाखाना में ही रखना होता है.

सितंबर 2021 में एक पूर्व कैबिनेट सेक्रेटरी ने डॉन को कई चौंकाने वाली बातें बताई थीं. उन्होंने कहा था कि इन नियमों का कभी सही से पालन नहीं किया गया. कई बार तो लोगों ने गिफ़्ट की बात छिपा ली. उन्होंने कैबिनेट डिविजन को कुछ बताया ही नहीं.
तोशाखाना में रखे गए तोहफों को तय कीमत देकर खरीदा जा सकता है. ये कीमत पद की वरिष्ठता के अनुसार घटती-बढ़ती है. बताया गया कि लोगों ने जान-बूझकर गिफ़्ट की कीमत घटाकर बताई, ताकि उन्हें कम कीमत पर खरीदा जा सके. ज़्यादा ज़रूरी तोहफ़ों के लिए जगह बचे, इसके लिए पुराने तोहफ़ों की सार्वजनिक नीलामी की व्यवस्था है. रिपोर्ट के अनुसार, ये नीलामी कभी हुई ही नहीं.
आज पाकिस्तानी तोशाखाना की चर्चा क्यों?
क्योंकि इसी तोशाखाना के तोहफ़ों की खरीद-बिक्री में धांधली के आरोप में इमरान ख़ान को अयोग्य घोषित किया गया था. पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इमरान को पांच साल के लिए संसद या विधानसभा का हिस्सा बनने पर रोक लगा दी थी. चुनाव आयोग की पांच मेंबर्स वाली बेंच ने ये फ़ैसला सुनाया था. आयोग ने कहा कि इमरान ने चुनावी डेक्लेरेशन में ग़लत जानकारी दी और कई बातें छिपाईं भी. उनके ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई की सिफ़ारिश भी की गई थी. इसी सिलसिले में पुलिस उनके घर पहुंची थी.
अब इमरान का क्या होगा?
इमरान के भविष्य को लेकर अभी तक स्थिति साफ़ नहीं है. कानूनी जानकार बताते हैं कि इमरान अगले आम चुनाव तक के लिए अयोग्य रहेंगे. उनकी सीट तत्काल प्रभाव से खाली हो जाएगी.
दूसरी तरफ, चुनाव आयोग के फैसले के बाद पाकिस्तान के कानून मंत्री आज़म नज़ीर तरार ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था,
"इमरान ख़ान के पास दो रास्ते बचे हैं.
- पहला, 45 दिनों के अंदर इलेक्शन ट्रायब्यूनल के सामने अपील कर सकते हैं.
- अगर वो अपील नहीं कर पाए या उनकी अपील ठुकरा दी गई तो उनकी संसद की सदस्यता चली जाएगी. फिर उनकी सीट पर उपचुनाव कराए जाएंगे."
चुनाव आयोग के फैसले के बाद हुए उपचुनावों में इमरान की पार्टी PTI को ज़बरदस्त जीत मिली. उन्हें लोगों का अपार समर्थन मिलता रहा है. पिछले 27 वर्षों से इमरान पार्टी के सुप्रीम लीडर बने हुए हैं.

इमरान को किस मामले में दोषी पाया गया?
इमरान ख़ान अगस्त 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. उनका दावा है कि उन्हें अगस्त 2018 से दिसंबर 2021 के बीच 58 तोहफे मिले. पाकिस्तानी रुपये के हिसाब से इनमें से सिर्फ 14 की कीमत 30 हज़ार रुपये से अधिक थी. जब इमरान सरकार में थे, तब विपक्षी पार्टियां उनके ऊपर धांधली का आरोप लगा रही थीं. उसके बाद सूचना आयोग ने जानकारी रिलीज़ करने का आदेश दिया था. इमरान सरकार ने इससे इनकार कर दिया था. कहा कि इससे दूसरे देशों के साथ संबंध ख़तरे में पड़ सकते हैं.
अप्रैल 2022 में इमरान ख़ान को कुर्सी छोड़नी पड़ी. चार महीने बाद अगस्त में पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) ने नेशनल असेंबली के स्पीकर के पास एक प्रस्ताव रखा. इसमें इमरान को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी. स्पीकर ने प्रस्ताव को चुनाव आयोग के पास भेज दिया. आयोग ने PTI को नोटिस जारी किया. जवाब में इमरान ने चार तोहफे बेचने की बात स्वीकार कर ली. क्या-क्या? इसमें घड़ी, कलम, कफ़लिंक और तीन रोलेक्स की घड़ियां थीं. PDM का आरोप था कि इमरान ने तोशाखाना से लगभग दो करोड़ में गिफ़्ट्स खरीदे. फिर उन्हें लगभग छह करोड़ की कीमत में बेच दिया.
चुनाव आयोग के फ़ैसले के बाद से ही पाकिस्तान में बवाल मचा हुआ है. सत्ताधारी गठबंधन के नेता इमरान को ‘भ्रष्ट और चोर’ बता रहे हैं. उनका कहना है कि ये कानून की जीत है. वहीं, इमरान के समर्थक इसे कानून का ग़लत इस्तेमाल बताते रहे हैं. वे अदालत के साथ-साथ सड़कों पर भी लड़ने की तैयारी में हैं. इस सबके बीच जानकार बता रहे हैं कि पाकिस्तान का राजनीतिक संकट और गहराने वाला है.
वीडियो: इमरान खान की गिरफ्तारी के लिए पहुंची पुलिस, घर पर नहीं मिले, समर्थकों का पाकिस्तान में बवाल