The Lallantop

ये होटल, मोटल और रेस्टोरेंट में फर्क क्या होता है?

और ये रिसॉर्ट्स क्या बला है?

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop
कुछ साल पहले की बात है. हमारे एक मित्र राजस्थान के किसी छोटे कस्बे में गए हुए थे. यूं तो उनको उसी दिन लौट आना था लेकिन जिस काम के लिए गए थे, वो नहीं हुआ. रात वहीं रुकना मजबूरी बन गई. अब वो ज़माना गूगल सर्च और ओयो रूम्स ऐप तो था नहीं. सो उन्होंने होटल के लिए आसपास पूछताछ करनी शुरू कर दी. एक से पूछा भई यहां कोई होटल है? उसने कहा, हां, आगे चौराहे पर हैं दो-तीन. वहां पहुंचे पर एक ढूंढे न मिला. थोड़ा आगे गए तो एक और से पूछा. उसने भी एक दिशा की तरफ हाथ करके बताया कि उधर मिल जाएगा. वहां पहुंचे तो वहां भी कोई होटल नहीं.
ऐसा तीन चार बार हुआ. तब जा के उनकी समझ में आया कि स्थानीय लोग उन्हें जहां भेज रहे थे, वो कोई होटल नहीं बल्कि खाना खिलाने वाले ढाबे/रेस्टोरेंट थे. वहां उन्हें ही होटल बोला जा रहा था. वहां के लोगों ने उनसे शिकायत भी की कि अगर रहने की जगह चाहिए थी तो धरमशाला बोलते. बहरहाल बड़ी जद्दोजहद के बाद उन्हें एक सराय में कमरा मयस्सर हो सका.
भारत के हर शहर-कस्बे में पाए जाते हैं ढाबे.
भारत के हर शहर-कस्बे में पाए जाते हैं ढाबे.

ये घपला बहुतों के साथ हुआ होगा. कई बार छोटी-छोटी सी बातें बिना किसी एक्सप्लेनेशन के हम चलाते रहते हैं. बरसों तक बरतने के बावजूद हमें ये नहीं पता होता कि जो टर्म हम इस्तेमाल कर रहे हैं उसका मतलब क्या है? जैसे होटल, मोटल और रेस्टोरेंट का फर्क. आइए देखते हैं.


# होटल

होटल वो जगह होती है जहां आपको रहने के लिए कमरा, खाने के लिए खाना और बाक़ी की सुविधाएं औकातानुसार मिलती हैं. औकात होटल की आपकी नहीं. होटल का पहला काम पराए शहर में मुसाफिर को रिहाइश उपलब्ध कराना है. यहां आपको रहने-खाने के अलावा टीवी, फ्रिज, वाईफाई जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं. हालांकि हर जगह ये ज़रूरी नहीं. कुछ सस्ते होटल इन सुविधाओं के बगैर भी होते हैं. रूम सर्विस का सिस्टम आपको अपने कमरे में ही तमाम चीज़ें मयस्सर कराता है. खाना होटल की पर्सनल किचन से परोसा जाता है. कुछ बड़े होटलों का अपना पर्सनल रेस्टोरेंट भी होता है.
500 रुपए से लेकर लाखों रुपए प्रति दिन के किराए तक चार्ज करते हैं होटल्स.
500 रुपए से लेकर लाखों रुपए प्रति दिन के किराए तक चार्ज करते हैं होटल्स.



# मोटल

मोटल, होटल का छोटा भाई है. ये शब्द मोटर और होटल से मिलके बना है. मोटल का सिस्टम मुख्यतः हाइवे पर होता है. इनका काम उन मुसाफिरों को रात रुकने का जरिया उपलब्ध कराना है जो लंबे सफ़र पर निकले हैं और रात में ड्राइव करना नहीं चाहते. ज़्यादातर मोटल सड़क के किनारे होते हैं, जहां कमरे के साथ ही ओपन पार्किंग स्पेस भी होता है. मोटल में होटल जैसी तमाम सुविधाएं अक्सर नहीं होती है. हां, कई मोटल खाना उपलब्ध करा देते हैं लेकिन ये ज़रूरी नहीं.
मोटल, मुख्यतः रातगुज़ारी का अड्डा.
मोटल, मुख्यतः रातगुज़ारी का अड्डा.



# रेस्टोरेंट

वो जगह जहां आप सिर्फ खाना खाने जाते हो. ये देसी ढाबों का थोड़ा अपग्रेडेड वर्जन है. यहां आप रेस्टोरेंट की शोहरत, साज सज्जा या खाने की क्वालिटी के अनुसार तय की गई कीमतों पर खाना खाते हैं और लौट आते हैं. किसी रेस्टोरेंट में रहने की व्यवस्था नहीं होती. बस खाओ और घर चले जाओ. भले पैक करवा लो.
रेस्टोरेंट सिर्फ वेज भी होते हैं और वेज-नॉन वेज दोनों भी.
रेस्टोरेंट सिर्फ वेज भी होते हैं और वेज-नॉन वेज दोनों भी.



# रिसॉर्ट्स

ये लग्ज़री आइटम है. रिसॉर्ट्स अमूमन टूरिस्ट प्लेस पर होते हैं. ये रिलैक्स करने जाने वाली जगह है. यहां आप होटल या मोटल जैसी मजबूरी में नहीं बल्कि मौज करने जाते हैं. लंबा-चौड़ा प्लान बनाकर. ऑफिस से, बिज़नेस से छुट्टियां लेकर. रिसॉर्ट्स में आपको उम्दा खान-पान से लेकर स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट जैसी तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं. चाहे स्विमिंग पूल हो या स्पा. रिसॉर्ट आपकी तमाम सुख-सुविधाओं का ख़याल रखता है और आपको ज़िंदगी की भागदौड़ को, तनाव को कुछ दिनों के लिए भुलाने में मदद करता है. हां, मामला खर्चीला है गुरु!
सैलानियों के स्वर्ग गोवा में एक रिसॉर्ट.
सैलानियों के स्वर्ग गोवा में एक रिसॉर्ट.



ये भी पढ़ें:
रेलवे स्टेशनों में ये जंक्शन, टर्मिनस और सेंट्रल क्या होता है?

'शैतान का नाम लो, शैतान हाज़िर', ये कहावत कहां से आई?

क्रिसमस के बाद वाले दिन को 'बॉक्सिंग डे' क्यों कहते हैं?

वीडियो: राष्ट्रपति जिसपर प्रधानमंत्री के बर्तन धोने का लांछन लगाया गया

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement