The Lallantop

कुत्ता टहलाने वाले IAS को मिली पनिशमेंट पोस्टिंग में क्या होता है, खुद IAS ने बताया

ट्रांसफर के आदेश के बाद भी सोशल मीडिया यूजर्स शांत नहीं हुए. कहने लगे कि ट्रांसफर का आदेश देकर तो यही बताया जा रहा है कि IAS अधिकारी चाहे जो कर लें, उनके खिलाफ कड़ा एक्शन नहीं लिया जा सकता. लद्दाख और अरुणाचल की पोस्टिंग को तो कई लोगों ने IAS अधिकारियों के लिए वैकेशन पैकेज बता दिया. कुछ ने कहा कि ये पनिशमेंट पोस्टिंग है.

post-main-image
बाएं से दाएं. दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में कुत्ते के साथ टहलते IAS पति-पत्नी की फोटो और सोशल मीडिया पर चल रहा एक मीम. (फोटो: इंडियन एक्सप्रेस-अभिनव साहा/ट्विटर)

26 मई 2022. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी अभिनव साहा और एंड्रू ऐमसेन की एक रिपोर्ट. दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम के एक कोच और कुछ एथलीट्स ने दावा किया था कि वे पहले रात में 8 या साढ़े 8 बजे तक ट्रेनिंग किया करते थे. लेकिन अब उनको शाम 7 बजे ही ग्राउंड खाली करने के लिए कह दिया जाता है, ताकि एक IAS अधिकारी वहां अपने कुत्ते संग टहल सकें. रिपोर्ट के मुताबिक, कोच की तरफ से कहा गया कि इससे एथलीट्स की ट्रेनिंग और प्रैक्टिस रूटीन में दिक्कत हो रही है. अखबार में एक फोटो भी छपी. जिसमें दोनों IAS अधिकारी एक कुत्ते के साथ स्टेडियम में नजर आ रहे हैं.

26 मई की शाम.  मुख्य सचिव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी. कुछ ही देर में खबर फ्लैश हुई. आईएएस पति-पत्नी के ट्रांसफर की. पति संजीव खिरवार लद्दाख और पत्नी रिंकू धुग्गा का अरुणाचल प्रदेश ट्रांसफर.

ट्रांसफर के आदेश के बाद भी सोशल मीडिया यूजर्स शांत नहीं हुए. कहने लगे कि ट्रांसफर का आदेश देकर तो यही बताया जा रहा है कि IAS अधिकारी चाहे जो कर लें, उनके खिलाफ कड़ा एक्शन नहीं लिया जा सकता. लद्दाख और अरुणाचल की पोस्टिंग को तो कई लोगों ने IAS अधिकारियों के लिए वैकेशन पैकेज बता दिया. कुछ ने कहा कि ये पनिशमेंट पोस्टिंग है. सारी कहानी यहीं से शुरू होती है -

पनिशमेंट पोस्टिंग क्या है?

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश में पनिशमेंट पोस्टिंग का कोई जिक्र नहीं है. लेकिन फिर भी इस आदेश को इस नजरिए से ही देखा जा रहा है. कहा जा रहा है कि सरकार की तरफ से एक संदेश दिया गया है. इस संदेश को समझने के लिए हमने भारतीय प्रशासनिक सेवा में तैनात एक अधिकारी से बात की. उन्होंने नाम ना छापने की शर्त पर हमें कई बातें बताईं. उन्होंने बताया,

"स्टेडियम में कुत्ता टहलाने की खबर जो सामने आई है, उससे साफ पता चलता है कि दोनों अधिकारियों ने अपनी पॉवर का दुरुपयोग किया. इसके बाद सरकार की तरफ से भी ट्रांसफर कर एक संदेश दिया गया. वो ये संदेश है कि भले ही आप IAS अधिकारी हैं, लेकिन अपनी पॉवर का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकते. लोग कह सकते हैं कि सिर्फ ट्रांसफर ही किया गया है. लेकिन उनको ये समझना होगा कि ये कोई वैकेशन नहीं है. आप अकेले जा रहे हैं और काफी दिनों तक जा रहे हैं. दोनों पति-पत्नी दिल्ली में साथ रह रहे होंगे. अब ट्रांसफर से उनकी पर्सनल लाइफ में खलल पड़ेगा. जहां जा रहे हैं, उन जगहों पर बच्चों के लिए दिल्ली जैसे स्कूल और यहां जैसी स्वास्थ्य सेवाएं तो नहीं मिलेंगी. दिल्ली में साथ रहकर एक जो कंफर्ट था, वो तो खत्म ही हो जाएगा. ये एक तरीके से पनिशमेंट ही है."

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुरुस्कार और पुलिस मेडल से सम्मानित हो चुके पूर्व IPS अधिकारी और उपन्यासकार विभूति नारायण राय ने भी हमें कई जरूरी बातें बताईं. उन्होंने बताया,

"ये मामला पॉवर मिसयूज का है. कोई कानूनी अपराध नहीं किया गया. इसमें सरकार ट्रांसफर ही कर सकती थी. सरकार सीधे तौर पर आदेश में पनिशमेंट पोस्टिंग नहीं लिखती. ना ही उसके लिए ऐसा लिखना जरूरी है. दोनों पति पत्नी, जो साथ रहे थे, अब हजारों किलोमीटर दूर रहेंगे. ये एक तरीसे से सजा ही है. सीधे तौर पर कहा नहीं गया है. पति-पत्नी साथ रह रहे थे. अब दूर कर दिया गया है. हो सकता है कि उनके बच्चे हों. अब वो किसके साथ रहेंगे? उनकी जो यहां पढ़ाई चल रही होगी, उसका क्या होगा? घर में मां-बाप होंगे. उनका अगर इलाज चल रहा होगा, तो उनका क्या होगा? दिल्ली में एक सोशल सर्कल बन गया होगा. कई सारी सुविधाएं जो यहां है, वो लद्दाख और अरुणाचल में नहीं हैं."

लद्दाख और अरुणाचल डंपिंग ग्राउंड?

इन अधिकारियों के ट्रांसफर आदेश को लेकर विपक्ष के कुछ नेताओं ने सवाल उठाए हैं. मसलन, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने पूछा कि ठीक से काम ना करने वाले नौकरशाह का अरुणचाल में ट्रांसफर कर क्या ये संदेश दिया जा रहा है कि प्रदेश एक डंपिंग ग्राउंड है? इसी तरह जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इन अधिकारियों को लद्दाख सजा देने के लिए भेजना, यहां के लोगों को हतोत्साहित करने जैसा है.

विभूति नारायण राय इन सवालों के संदर्भ में कहते हैं,

"देखिए, अधिकारियों के सर्विस एग्रीमेंट में तो ये लिखा होता है कि उन्हें कहीं भी पोस्ट किया जा सकता है. लेकिन ये तो सबको समझ में आना चाहिए कि दिल्ली छोड़कर लद्दाख जाना निश्चित तौर पर एक सजा है. सरकार ने ये कदम बहुत तेजी से उठाया. इसके लिए उसकी तारीफ होनी चाहिए. और ये बात तो एक कड़वा सच है कि देश में अभी ऐसे बहुत से जिले हैं, जहां सुविधाएं बहुत कम हैं. निश्चित तौर पर वहां काम करना मुश्किल है. लगभग हर राज्य में ऐसे जिले हैं."

रिटायर्ड अधिकारी ने ये भी बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों को बर्खास्त तब किया जाता है, जब वो कोई सर्विस रूल तोड़ते हैं या फिर IPC की किसी धारा के तहत किसी अपराध में संलिप्त हो जाते हैं. उन्हें सस्पेंड करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है. अगर वो किसी राज्य में तैनात हैं और किसी नियम का उल्लंघन करते हैं, तो वहां की सरकार इस संबंध में रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को सौंपती है. जिसके बाद आगे की कार्रवाई होती है.

उन्होंने यह भी बताया कि कई अधिकारी एक जगह रहकर खुद को फायदेमंद पोजीशन पर काबिज कर लेते हैं. ऐसे में इस तरह की पोस्टिंग से उनकी इस पोजीशन को खत्म कर दिया जाता है.

यानी सज़ा वाली नियुक्ति या कहें तो पनिशमेंट पोस्टिंग कोई आधिकारिक ग्राउंड नहीं है. लेकिन अधिकारियों को उनकी सुविधाओं से विपन्न करना या एक आरामतलब और एक सुविधासंपन्न जगह से कम सुविधाओं वाली जगह भेजने को नौकरशाहों की प्रचलित शब्दावली में पनिशमेंट पोस्टिंग कहते हैं.

नेतानगरी: राज्यसभा चुनाव का तिहाड़ जेल कनेक्शन शो में पता चल गया