PS- हमने उनके यूट्यूब का ऑटोप्ले बटन बंद कर दिया.

# ये चटनी म्यूज़िक क्या होता है? 1849 से 1917 के बीच इंडिया में राज कर रहे ब्रिटिशर्स ने लोन न चुका पाने वालों से वसूली का एक तरीका इजाद किया. वो उनसे फ्री में काम करवाते थे. दुनिया के किसी भी हिस्से में. कुछ समय तक काम करवाने के बाद उन्हें इंडिया जाने के लिए फ्री कर दिया जाता था. इसी तरीके के तहत बिहार और यूपी से भारी संख्या में लोग कैरिबियन देशों में भेजे गए. वहां गन्ने के खेतों में काम करने के लिए. वहां पहले से कई अफ्रीकी स्लेव्स (Slaves) काम कर रहे थे. दो अलग-अलग कल्चर और भाषा वाले लोग मिले. हिंदुस्तानी महिलाएं शाम को अपने घरों में ढोलक, हार्मोनियन और धंतल जैसे म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेंट्स के साथ धार्मिक गीत गाती थीं. अफ्रीकियों को वो भाषा तो समझ नहीं आती, मगर ये सब उन्हें अच्छा लगता. धीरे-धीरे दोनों कम्यूनिटीज़ ने घुलना-मिलना शुरू किया. कैरिबियन संगीत विधा कैलिप्सो के साथ भोजपुरी गीतों का फ्यूज़न हुआ. इससे एक नई शैली बनी, जिसे चटनी म्यूज़िक कहा जाता है. इसका एक नमूना आप यहां देखिए:

बताया जाता है कि चटनी म्यूज़िक के सब-जॉनर बैठक गाना की नींव रखने वाले रामदेव चैतो ने जेल से अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत की थी.
चटनी म्यूज़िक की पॉपुलैरिटी को एक इमोशनल एंगल भी दिया जाता है. बताया जाता है कि त्रिनिदाद एंड टोबैगो, सुरिनाम, गुयाना और जमैका जैसे जगहों पर लेबर के तौर पर गए कई भारतीयों ने वहीं सेटल होने का फैसला कर लिया. अफ्रीकी तो पहले से थे ही. कहा जाता है कि चटनी म्यूज़िक उनके लिए उन शुरुआती चीज़ों में से था, जिसे वो अपना कह सकते थे. इसलिए चटनी को इन जगहों पर खास चाव से सुना और अप्रीशिएट किया गया. # टॉप चटनी सिंगर्स का मानना है कि इस विधा का पतन हो चला है हेमलता दीनदयाल, जिन्हें पब्लिक Hurricane हेमलता बुलाती है, उनका मानना है कि आज कल चटनी में इलेक्ट्रोनिक म्यूज़िक का ज़्यादा इस्तेमाल होने लगा है और भोजपुरी शब्द गायब हो गए हैं. जबकि चटनी म्यूज़िक की बुनियाद ही भोजपुरी भाषा और ढोलक-हार्मोनियम जैसे इंस्ट्रूमेंट्स हैं. कहने का मतलब आर्ट गायब हो गया, सिर्फ कॉमर्स बचा है.
भोजपुरी भाषा के जो लिरिक्स गानों में इस्तेमाल होते थे, वो कई बार द्विअर्थी यानी डबल मीनिंग वाले होते थे. मगर पते की बात ये कि इन लिरिक्स को अपनी धुनों पर फिट करने वाले सिंगर्स और म्यूज़िक कंपोज़र्स को ये भाषा समझ ही नहीं आती थी. स्क्रॉल डॉट इन को दिए एक इंटरव्यू में खुद रसिका दीनदयाल अपने ब्लॉकबस्टर गाने मटिकुर नाइट की दो भोजपुरी लाइनें सुनाकर कहती हैं कि उन्हें इसका अर्थ नहीं पता. उन्होंने ये गाना सिर्फ इसलिए गाया क्योंकि ये सुनने में बहुत अच्छा लग रहा था.

हेमलता, मशहूर चटनी सिंगर रसिका दीनदयाल की छोटी बहन हैं. रसिका के बाद कैरिबियन मार्केट में इन्होंने खूब बवाल काटा है.
चटनी गानों से भोजपुरी शब्दों के गायब होने के पीछे एक दिलचस्प वजह बताई जाती है. कहा जाता है कि जब कैनडा के मिशनरी स्कूल्स कैरिबियन देशों में आए, तो हर मां-बाप अपने बच्चों को गन्ने के खेत से निकालकर पढ़ाना चाहते थे. उन स्कूलों में पढ़ाई अंग्रेज़ी भाषा में होती थी. और वहां के बच्चे लोकल लैंग्वेज Creole में बात करते थे. बच्चों से बात करने के लिए घर के दूसरे भोजपुरी स्पीकिंग सदस्यों को भी क्रेओल या अंग्रेज़ी भाषा का इस्तेमाल करना पड़ता. ऐसे उस सोसाइटी से भोजपुरी भाषा के तौर पर गायब होती चली गई. इस संगीत से भोजपुरी का गायब होने को इस विधा का पतन कहा जा रहा है. ये कितना सही और गलत है, इसका फैसला चटनी के श्रोता और हमारे दर्शक स्वयं करें. # कौन हैं रसिका दीनदयाल, जिनकी वजह से चटनी म्यूज़िक पर चर्चा हो रही है? रसिका दीनदयाल मशहूर चटनी सिंगर रह चुकी हैं. उन्हें D'Rani ऑफ चटनी म्यूज़िक के नाम से जाना जाता है. उन्हें अपने समय में कई चर्चित गीत गाए. यूट्यूब पर उनके गानों के री-मास्टर्ड और रीमिक्स्ड वर्ज़न बहुतायत में मिल जाएंगे. अपनी फील्ड की लीजेंड हैं. मगर पिछले कुछ समय से रसिका कमर्शियल म्यूज़िक से दूर हैं. इन दिनों उनकी बहन हेमलता Hurricane दीनदयाल ने मार्केट में तूफान मचाया हुआ है. दीनदयाल फैमिली की सिर्फ यही दो सदस्य चटनी म्यूज़िक या एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में नहीं हैं. रसिका के पिता एक क्लासिकल और चटनी सिंगर थे. रसिका और हेमलता के भाई जयराम एक टीवी होस्ट हैं. उनकी बहन लिंडा रामायण और सत्संगों में हिस्सा लिया करती थीं. कुछ समय पहले लिंडा की मौत हो गई.

रसिका दीनदयाल चटनी म्यूज़िक की लीजेंड टाइप हैं. अब ये परंपरागत चटनी संगीत को बचाने की कवायद में लगी हुई हैं.
# रसिका दीनदयाल के तेवर और सुपरहिट बॉलीवुड म्यूज़िक स्नेहा खानवलकर गैंग्स ऑफ वासेपुर की म्यूज़िक डायरेक्टर थीं. फिल्म की कहानी धनबाद और उसके आस पास में घटती है. धनबाद तब बिहार में हुआ करता था. इसलिए उस इलाके के भी ढेर सारे लोगों को कैरिबियन देशों में भेजा गया था, जो कभी वापस नहीं आए. ये बात स्नेहा को रिसर्च के दौरान पता चल चुकी थी. साथ ही वो अपने कॉलेज के दिनों से ही चटनी म्यूज़िक सुनती आ रही थीं. इसलिए उन्हें त्रिनिदाद एंड टोबैगो के म्यूज़िक कल्चर के बारे में पता था. गैंग्स ऑफ वासेपुर के लिए वो ऐसा म्यूज़िक चाहती थीं, जो धनबाद का लोकल लगने के साथ-साथ सुनने में नया भी लगे. वो त्रिनिदाद एंड टोबैगो पहुंचीं और म्यूज़िशियंस के साथ समय बिताने लगीं. वो कुछ गानों के लिरिक्स अपने साथ ले गई थीं. स्नेहा म्यूज़िक कंपोज़ करने के बाद किसी चटनी सिंगर से ही अपनी फिल्म का गाना गवाना चाहती थीं. कई लोगों से सलाह-मशवरा के बाद दो नाम कॉमन पाए गए. रसिका दीनदयाल और वेदेश सुखू.

अनुराग कश्यप डायरेक्टेड फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर की म्यूज़िक डायरेक्टर स्नेहा खानवलकर. साथ में हैं 'जिय हो बिहार के लाला' गाने वाले मनोज तिवारी और तस्वीर के कोने में बैठे नज़र आ रहे हैं पियूष मिश्रा. फिल्म के दूसरे गाने 'इक बगल में चांद होगा, इक बगल में रोटियां' को पियूष मिश्रा ने खुद लिखा, कंपोज़ किया और गाया था.
फिल्म के एक गाने- इलेक्ट्रिक पिया गाने के लिए रसिका दीनदयाल को बुलाया गया. रसिका आईं. उन्होंने कागज़ पर लिखे गाने के बोल पढ़ने शुरू किए. मगर आधा गाना पढ़ने के बाद ही उन्होंने कहा कि वो ये गाना नहीं गा सकतीं. क्योंकि इसमें गालियां हैं. गाने की वो लाइन थी- My loveless and luckless and scre**d up पिया. बाद में उन्हें आखिरी शब्द को कई बार दोहराना था. उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया. इसके बाद स्नेहा ने बॉम्बे में बैठे लिरिसिस्ट वरुण ग्रोवर को फोन मिलाया. दोनों की सहमति से उस शब्द को बदलकर messed up कर दिया गया. तब जाकर रसिका ने ये गाना गाया. फिल्म के दूसरे गाने- हंटर में हमें दूसरे पॉपुलर चटनी सिंगर वेदेश सुखू की आवाज़ सुनाई देती है. रसिका का गाया 'इलेक्ट्रिक पिया' आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके देख-सुन सकते हैं-
# कैरिबियन कंट्रीज़ में हर साल 'चटनी सोका मोनार्क कंपटीशन' होता है. अपनी तरह का दुनिया का इकलौता इंडो-कैरिबियन कॉन्सर्ट है. यहां दुनिया के तमाम चटनी सिंगर्स आते हैं इस कंपटीशन में हिस्सा लेते हैं. जाते-जाते हम आपको बताते हैं उन पांच चटनी सिंगर्स के बारे में जिन्हें आपको सुनना चाहिए. अपनी इस लिस्ट से हम रसिका और हेमलता को बाहर रखेंगे, क्योंकि उनकी बात हो चुकी है.
1) रामदेव चैतो
रामदेव चटनी विधा के सब-जॉनर बैठक गाना की शुरुआत करने वाले माने जाते हैं. रामदेव ने 1976 में द स्टार मेलडीज़ ऑफ रामदेव चैतो नाम का एल्बम निकाला था. जिसने उन्हें खूब सारा एक्सपोज़र दिया. बताया जाता है कि वो भारतीय मूल के शास्त्री शिवप्रसाद चैतो के बेटे थे. पिता जी गाने लिखते और हार्मोनियम बजाते थे. इसलिए कम उम्र से ही रामदेव को संगीत सीखने का मौका मिला. मगर राम देव कभी म्यज़िक को ज़्यादा गंभीरता से नहीं लेते थे. बताया जाता है कि एक बार हुई मारपीट के बाद रामदेव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. रामदेव ने जेल से ही अपना सिंगिंग करियर शुरू किया था. रामदेव ने जेल से निकलने के बाद अपना खुद का एल्बम निकाला, जिसका ज़िक्र हम पहले कर चुके हैं. उस एल्बम में अधिकतर देवी-देवताओं से जुड़े गीत थे. साथ में कुछ पूर्वांचल, भोजपुर और अवध साइड के लोक गीत भी थे. उनकी वजह से चटनी म्यूज़िक दुनियाभर में जानी गई. वेस्ट इंडीज़ से लेकर यूरोप और न्यू यॉर्क तक में उनके शोज़ हुआ करते थे.

रामदेव के पॉपुलर एल्बम द स्टार मेलडीज़ ऑफ रामदेव चैतो का कवर.
2) सुंदर पोपो
सुंदर को फादर ऑफ चटनी म्यूज़िक कहा जाता है. वो बड़ी आर्टिस्टिक फैमिली में पैदा हुए थे. उनकी मां गाती थीं और पिता सम्मानित तासा वादक थे. सुंदर ने 15 साल की उम्र से मंदिरों में भजन गाना शुरू कर दिया था. जब पैसे की ज़रूरत बढ़ गई, तो एक फैक्ट्री में वॉचमैन की नौकरी करने लगे. एक बार शादी के दौरान उनकी मुलाकात एक रेडियो होस्ट से हुई. सुंदर ने उस होस्ट को अपना बनाया गया- नाना एंड नानी सुनाया. ये लोकल लैंग्वेज में लिखा गया गाना था, जिसमें हिंदी और त्रिनिदादियन दोनों तरह के शब्दों का इस्तेमाल हुआ था. इस गाने में सुंदर ने बड़े दिलचस्प तरीके से अपने नाना-नानी की दिनचर्या बताई थी. रेडियो होस्ट साहब ने अपनी पहुंच लगाकर कुछ लोगों को बुलाया और सुंदर का ये गाना रिकॉर्ड करवाया. 1969 में रिलीज़ हुए नाना-नानी नाम के इस गाने ने चटनी संगीत में क्रांति ला दी. आगे सुंदर ने ही फूलौरी बिन चटनी जैसे सुपरहिट समेत पचासों गाने गाए.

फादर ऑफ चटनी म्यूज़िक सुंदर पोपो.
3) द्रुपति रम्गूनाई
द्रुपति को इंडो-कैरिबियन म्यूज़िक में 'चटनी सोका' टर्म लॉन्च करने के लिए जाना जाता है. सोका यानी कैलिप्सो म्यूज़िक का शुद्ध वर्ज़न. Soul Of Calypso को शॉर्ट में Soca कहा जाता है. द्रुपति ने 1987 में अपना चटनी और सोका विधाओं का क्रॉसओवर करके अपना पहला गाना लॉन्च किया, जिसका नाम था चटनी सोका. उनके इस एल्बम ने चटनी म्यूज़िक को कमर्शियालाइज़ कर दिया. आगे उन्होंने रॉल अप द तासा और हॉटर दैन अ चूल्हा समेत कई हिट गाने गाए. उन्होंने 2016 में मशहूर कैरिबियन डिजिटल म्यूज़िक लेबल फॉक्स फ्यूज़ के साथ एक अग्रीमेंट साइन की है. इस अग्रीमेंट के मुताबिक फॉक्स फ्यूज़ द्रुपति के गाए सारे गानों को दुनियाभर की जनता के लिए ऑनलाइन अवेलेबल करवाएगा.

द्रुपति की वजह से चटनी सोका टर्म पहली बार चर्चा में आया था. इसलिए इन्हें मदर ऑफ सोका कहा जाता है.
4) सोनी मान
द्रुपति के बाद सोनी वो पहले आर्टिस्ट थे, जिन्होंने चटनी सोका विधा में इतनी सफलता हासिल की. 1994 में उनका एल्बम आया, जिसका नाम था सोका चटनी. इसे इंडो-कैरिबियन म्यूज़िक इतिहास का सबसे ज़्यादा बिकने वाला एल्बम माना गया. इस एल्बम के गाने सिर्फ कैरिबियन देशों में ही नहीं अमेरिका, कैनडा और इंग्लैंड जैसे बड़े और विकसित देशों के म्यूज़िक चार्ट्स पर भी तूफान मचा रहे थे. आगे सोनी ने 'लोटलल' और 'रोल भौजी' नाम के गाने बनाए, जिनके लिरिक्स फूहड़ होने के बावजूद गानों को खूब पसंद किया गया. इसकी वजह ये हो सकती है कि भोजपुरी में लिखे गए उस गाने के लिरिक्स पब्लिक की समझ में ही न आए हों. ठीक वैसे जैसे रसिका दीनदयाल ने बताया था.

सोनी का बनाया सोका चटनी नाम का एल्बम हाइएस्ट सेलिंग चटनी एल्बम बन गया था.
5) राकेश यंकारण
राकेश को दिग्गज चटनी म्यूज़िक आर्टिस्टों में गिना जाता है. उनकी फैमिली इंडिया के आंध्र प्रदेश से त्रिनिदाद एंड टोबैगो लाई गई थी. गन्ने के खेतों में काम करवाने के लिए. उनके पिता आइज़क यंकारण इंडियन क्लासिकल म्यूज़िक में पारंगत थे. राकेश के भाइयों आनंद और सुरेश ने भी संगीत को ही करियर बनाया. राकेश बचपन से अपने भाइयों और पिता को देखकर म्यूज़िक सीखा करते थे. उन्होंने अपने प्रोफेशनल करियर 1974 में शुरू किया था. मगर उन्हें सफलता मिली 1991 में. इस साल उन्होंने अपना गाना 'ददिया मोडे ले ले' नाम का गाना रिलीज़ किया, जो बहुत बड़ा हिट साबित हुआ. उन्होंने चटनी म्यूज़िक से जुड़े कई बड़े प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और एक से ज़्यादा बार जीता भी. वो अब भी चटनी म्यूज़िक की फील्ड में एक्टिव हैं.

चटनी म्यूज़िक के बड़े नामों में गिने जाते हैं. आज भी संगीत की फील्ड में एक्टिव हैं.