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माता कुमाता और बिरयानी कभी वेज नहीं होती

'द गार्डियन' ने वेज बिरयानी की रेसिपी बताई, लोगों ने वबाल काट दिया. शाकाहारियों का रोयां दुखी हो गया.

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twitter- The gaurdian
नामी न्यूज वेबसाइट 'द गार्डियन' ने 16 फरवरी को अपने पेज पर वेज बिरयानी की रेसिपी डाली. और दुनिया भर के बिरयानी प्रेमी बिफर गए. द गार्डियन को समझाने लगे कि वेज बिरयानी जैसी कोई चीज ही नहीं होती. कुछ लोगों का प्रेम तो और विशुद्ध निकला, इस बहस को आगे बढ़ाते हुए कहने लगे कि असल बिरयानी तो मटन बिरयानी होती है, बिरयानी में चिकन डालना भी पाप है. वेज बिरयानी नहीं उसे पुलाव कहते हैं. ये सब पढ़कर मुझे धोखे वाली फीलिंग आ रही है. हम तो सड़क किनारे वाली 20 रुपए की वेज बिरयानी खाकर पेट भर लेते थे अपना. और फीलगुड भी होता था कि इसमें सोयाबीन भी था चलो हम शाकाहारी इंसान को कहीं से तो प्रोटीन मिला. अब ये वेज बिरयानी दगा दे गई है तो ऐसे ही हमको वो बहुत सारी सड़क किनारे मिलने वाली चीजें याद आ रही हैं जो सनम बेवफा हैं. जिनसे हम मोहब्बत तो बहुत करते हैं लेकिन लोग उनके अस्तित्व पर ही सवाल उठा देते हैं.

1- पनीर मोमो

शाकाहारी लोगों की सबसे बड़ी चिंता होती है, शरीर में प्रोटीन की आपूर्ति कहां से हो. या तो पनीर खा लो या दाल. पनीर ज्यादा अच्छा ऑप्शन लगता है. ऐसे में जिसे देख जीभ लपलपा जाए उस मोमोज में ढेर सारा पनीर भरा मिले तो मौज ही मौज. लेकिन ये बेदर्द जमाना पट्ट से बोल देता है कि पनीर मोमोज जैसी कोई चीज ही नहीं होती. हम आपसे बोल रहे हैं कि ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो लेकिन हमसे हमारा पनीर मोमोज मत छीनो. और तो कुछ लोग तो तले वाले मोमोज को भी पारंपरिक मोमो मानने से मनाकर देते हैं.

2- वेज कबाब

अगर आप शाकाहारी हैं और लखनऊ रहे हैं या गए हैं तो 'देवा के वेज कबाब' जरूर खाए होंगे. टुंडे कबाब में जाकर जब हम सिर्फ खीर खाकर लौट आए थे तो बड़ी कोफ्त हुई थी. हम कबाब की शक्ल देखकर ललचा गए थे और जिस स्वर्गिक फील के साथ मेरे दोस्त टुंडे कबाब खा रहे थे हमारे दिल में भी कबाब खाने की कसक उठने लगी. इन लोगों ने ले जाकर हमको वेज कबाब और परांठा खिला दिया. हम खुश्श. लेकिन हमारी खुशी के गर्म तवे पर सबने ये बोलकर ठंडा पानी बिखेर दिया कि खा तो ली हो लेकिन वेज कबाब जैसी कोई चीज होती ही नहीं है. अगेन अ मेजर हर्टब्रेक.

3- फ्रूट बियर

जेएनयू की कैंटीन पर थे, मेन्यू में देखा 'फ्रूट बियर'. हमारी बांछें खिल गई. हम अनभिज्ञ इंसान, हमको लगा कि ये तो बढ़िया है, बियर पीने का शौक भी पूरा हो जाएगा और उससे नशा भी नहीं चढ़ेगा. आफ्टपऑल ये फ्रूट बियर जो है. हमने एक के बाद एक कई गिलास खाली कर दिए. अपने जैसे ही मूढ़बुद्दि दोस्तों को भी पिलाया. फुल चौड़ में वापस लौटे जब तो कुछ सयाने दोस्तों ने बताया कि फ्रूट बियर जैसी कोई बियर नहीं होती. तुमको बियर के नाम पर सोडा पिला दिया है. हाय. एक ही तो दिल है हमारा, कित्ती बार तोड़ोगे. जो जो चीज पसंद आती है हमें, लोग झम्म से बोल देते हैं कि ऐसी तो कोई चीज ही नहीं होती.

4- सोया चाप

इस आर्टिकल को लिखने से पहले हम ऑफिस में आशीष सर से डिस्कस कर रहे थे कि देखो ये सब गोरखधंधा हो रहा है हमारे पसंदीदा खाने-पीने की चीजों के साथ. तो असगर सर ने एक और दिल तोड़ने वाली बात बता दी कि सोया चाप जैसी भी कोई चीज नहीं होती, चाप तो केवल मीट का होता है. रोना आ गया कसम से. दिल्ली में जब आए थे तो सबसे पहली चीज जो पसंद आई थी वो सोया चाप की चाट ही थी. सोया चाप की ऐसी तलब चढ़ी थी कि जहां भी सड़क किनारे सोया चाप का ठेला मिल जाता हम वहीं दो प्लेट निपटा देते थे. आपने शिद्दत से किसी चीज को चाहा हो और एक दिन आपको मालूम चले कि वो तो कभी था ही नहीं तो यस यू कैन फील मी.

5- शाकाहारी अंडा

इसका तो नाम ही सुन के ही हंसी आ जाती है. हमारा तो कभी साबका नहीं हुआ इससे लेकिन हमारे आस-पास के लोगों का दावा है कि ऐसी भी चीज बेचनेवालों ने बना रखी है. अरे जब बेच ही रहे हो तो शुद्द शाकाहारी चिकन भी बेचो, बिना लहसुन-प्याज वाला सात्विक मटन भी बेचो. हमारे दिल और सुवाद के साथ खूब गोरखधंधा हो ही चुका है.
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