“उत्तर प्रदेश सरकार ने हमसे 25 लाख रुपए की मदद का वादा किया था. सारी मदद सरकारी बदइंतजामी और बाबूगिरी में अटकी हुई है. अब हमारा सब्र भी टूटने लगा है. कई बार आगरा के डीएम से भी मदद मांगी, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला.”कौशल की बीवी को नौकरी नहीं मिली कौशल की मां सुधा रावत बेटे की तस्वीर लिए बैठी रहती हैं. वे बताती हैं, “जब मेरे बेटे की अंतिम यात्रा निकली थी, तो बड़े-बड़े अधिकारी, नेता आए थे. लेकिन उसके बाद कोई दिखाई तक नहीं दिया. किसी से कोई मदद नहीं मिली. कोई फाइनेंशियल मदद नहीं मिली. तमाम शहीदों की बीवी को कम से कम कोई नौकरी तो मिली, लेकिन मेरी बहू को तो वो भी नहीं मिली.” कौशल के चचेरे भाई सत्य प्रकाश रावत पूर्व ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं. उन्होंने बताया कि पुलवामा हमले के बाद जिला एडमिनिस्ट्रेशन ने शहीद की याद में स्मारक बनवाने का ऐलान किया था. वो भी अभी तक नहीं बना है. सत्य प्रकाश बताते हैं, “शहीद का सम्मान बना रहे, इसके लिए अब कौशल का परिवार ही ग्राम पंचायत की मदद से स्मारक बनवा रहा है.” रिलायंस फाउंडेशन ने फॉर्म भरवाए, पर मदद नहीं की सत्य प्रकाश रावत ने बताया कि रिलायंस फाउंडेशन ने शहीद के बच्चों के स्कूल फॉर्म भरवाए, उसके बाद कोई मदद नहीं मिली. बच्चों की नौकरी से लेकर सारी मदद तक के लिए सारी भागदौड़ सिर्फ CRPF के अधिकारी ही कर रहे हैं.
फैक्ट चेक: क्या विंग कमांडर अभिनंदन ने कहा कि पुलवामा हमले के पीछे भाजपा थी?