The Lallantop

पुलवामा के शहीद कौशल रावत, जिनके नाम पर मेमोरियल भी परिवार को ही बनवाना पड़ रहा है

पुलवामा हमले के एक साल पूरे हो गए हैं.

post-main-image
शहीद कौशल रावत की फोटो के साथ उनकी पत्नी और उनके बच्चे. उनका परिवार अब गुरुग्राम में रहता है. (फोटो- आज तक)
नाम: कौशल कुमार रावत जगह: आगरा, उत्तर प्रदेश. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा हमले के एक साल बीत गए हैं. पुलवामा जिले के अवन्तिपोरा में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) पर 14 फरवरी 2019 को आतंकवादी हमला हुआ था. आतंकवादियों ने 300 किलो से ज्यादा आरडीएक्स से भरी गाड़ी जवानों की गाड़ी भिड़ा दी थी. हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. इन शहीदों में ही एक नाम है उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले CRPF जवान कौशल कुमार रावत का. आतंकियों ने जिस बस को निशाना बनाया था, उसमें कौशल भी थे. आगरा में उनका पैतृक घर अब सूना पड़ा है. कौशल की मां, पत्नी और बेटा अब गुरुग्राम के मानेसर में रहते हैं. हमले के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कौशल के परिवार 25 लाख रुपए की मदद देने का ऐलान किया था, जो अब तक नहीं मिली है. कौशल की पत्नी ममता बताती हैं,
“उत्तर प्रदेश सरकार ने हमसे 25 लाख रुपए की मदद का वादा किया था. सारी मदद सरकारी बदइंतजामी और बाबूगिरी में अटकी हुई है. अब हमारा सब्र भी टूटने लगा है. कई बार आगरा के डीएम से भी मदद मांगी, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला.”
कौशल की बीवी को नौकरी नहीं मिली कौशल की मां सुधा रावत बेटे की तस्वीर लिए बैठी रहती हैं. वे बताती हैं, “जब मेरे बेटे की अंतिम यात्रा निकली थी, तो बड़े-बड़े अधिकारी, नेता आए थे. लेकिन उसके बाद कोई दिखाई तक नहीं दिया. किसी से कोई मदद नहीं मिली. कोई फाइनेंशियल मदद नहीं मिली. तमाम शहीदों की बीवी को कम से कम कोई नौकरी तो मिली, लेकिन मेरी बहू को तो वो भी नहीं मिली.” कौशल के चचेरे भाई सत्य प्रकाश रावत पूर्व ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं. उन्होंने बताया कि पुलवामा हमले के बाद जिला एडमिनिस्ट्रेशन ने शहीद की याद में स्मारक बनवाने का ऐलान किया था. वो भी अभी तक नहीं बना है. सत्य प्रकाश बताते हैं, “शहीद का सम्मान बना रहे, इसके लिए अब कौशल का परिवार ही ग्राम पंचायत की मदद से स्मारक बनवा रहा है.” रिलायंस फाउंडेशन ने फॉर्म भरवाए, पर मदद नहीं की सत्य प्रकाश रावत ने बताया कि रिलायंस फाउंडेशन ने शहीद के बच्चों के स्कूल फॉर्म भरवाए, उसके बाद कोई मदद नहीं मिली. बच्चों की नौकरी से लेकर सारी मदद तक के लिए सारी भागदौड़ सिर्फ CRPF के अधिकारी ही कर रहे हैं.
फैक्ट चेक: क्या विंग कमांडर अभिनंदन ने कहा कि पुलवामा हमले के पीछे भाजपा थी?