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रवीना टंडन का एक पल में कितना वजन बदल जाता था?

"जिसको चाहे पागल कर दे, अपने हुस्न के जादू से..."

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फोटो - thelallantop
मैं बच्चे से बड़ा हो गया. मेरे और पापा के बीच बहुत कुछ बदल गया. बात करने का तरीका. पैसे के लेन-देन का तारीका. डांट खाने का तरीका. लेकिन जब भी डांट पड़ती है. उस डांट के शुरू में, बीच में या आखिर में पापा की ये लाइन जरूर रहती है.
"तुम में एक रत्ती की अकल नहीं है."
'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' फिल्म का बहुचर्चित पिता-पुत्र संवाद.
'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' फिल्म का बहुचर्चित पिता-पुत्र संवाद.

पापा की छोड़िये. आप ज़रा इन पर एक नज़र डालिए -
मायावती ने कहा, बसपा-सपा गठबंधन को रत्ती भर भी नहीं हिला पाएगी भाजपा.
भाजपा-पीडीपी का गठबंधन टूट गया. वजह साफ थी कि दोनों पार्टियों की विचारधारा एक दूसरे से रत्ती भर भी मेल नहीं खाती थी।
लेफ्ट:अखिलेश-मायावती राईट:महबूबा-मोदी. और बनते-बिखरते गठबंधन.
लेफ्ट:अखिलेश-मायावती राईट:महबूबा-मोदी. और बनते-बिखरते गठबंधन.

पहले वाले में गठबंधन मज़बूत होता दिख रहा है. दूसरे वाले में टूटता हुआ. एक में रत्ती भर साथ छूटने की गुंजाइश नहीं है. और दूसरे में रत्ती भर साथ रहने की. चुनाव नज़दीक हैं. सारे मीडिया वाले इन पार्टियों के दफ्तर दौड़े जा रहे हैं. इनसे अपने-अपने सवाल पूछने. लेकिन एक सवाल कोई नहीं पूछ रहा -
रत्ती भर माने कितना?
इससे पहले की ये जवाब आए - रत्ती भर माने थोड़ा सा. अगला सवाल ये है -
कितना थोड़ा?
पिता से लेकर नेता तक सब के सब रत्ती की रट लगाए फिर रहे हैं. लेकिन हमें 'रत्ती' के बारे में रत्ती भर भी नहीं पता. और याद है रा वन में  शाहरुख़ खान भी करीना को साईकल पर बिठा कर गाना गा रहा था -
दिलदारा-दिलदारा, ये रत्ती भर का जग सारा दिलदारा-दिलदारा, तेरी नज़र-ओ-करम पर सब हारा
पीछे बैठी करीना ने शायद ही सोचा हो - रत्ती भर माने कितना?
इसलिए 'रत्ती' से लेकर 'मन' तक की पूरी डीटेल निकाल कर लाया हूं. आपके पास 'तोला' भर समय हो तो मेरे पास 'सेर' भर ज्ञान है देने के लिए. उत्तर भारत में चली आ रही इकाइयों के बारे में.

'रत्ती' भर जानकारी

गुंजा नाम का एक पौधा होता है. उसी को रत्ती नाम से भी जाना जाता है. उसके बीज लाल रंग के होते हैं. प्राचीन काल में रत्ती का बीज एक वजन नापने की इकाई बन गया. धीरे-धीरे रत्ती के स्टेंडर्ड तय होने लगे. रत्ती के एक बीज का स्टेंडर्ड वजन धान के चार दानों के बराबर फिक्स कर दिया गया.
लेफ्ट-रत्ती के लाल बीज. राईट-धान की फसल.
लेफ्ट - रत्ती के लाल बीज. राइट - धान की फसल.

रत्ती उत्तर भारत में आम लोगों के बीच चलने वाली सबसे छोटी इकाई बन गयी. चूंकि सबसे छोटी इकाई बनी, इसीलिए भाषा में भी आ गई. किसी को अनाज न देना होता. तो कहता होगा - एक रत्ती न दूंगा. किसी को डांट मारनी होती. तो कहता - तुम में एक रत्ती की अकल नहीं है.
पहले के दौर में ऐसे ही बीजों से इकाइयां तय कर दी जाती थी. लेकिन आज ऐसा करने में एक प्रॉब्लम है. पहले पौधों को GM यानी जेनेटिकली मॉडिफाई करने की टेक्नोलॉजी नहीं आई थी. हम बुजुर्गों से अक्सर सुनते हैं कि आज के फल-सब्जियों में पहले जैसा स्वाद नहीं रहा. ये तो इंजेक्शन वाली फसलें हैं और तुम्हारी पीढ़ी इंजेक्शन वाली नस्लें हैं. GM वही होता है.
जिनमें इंजेक्शन टोंच कर उनके फलों को सुजा देते हैं. या किसी और तरीके से उनका नेचुरल रूप बदल दिया जाता है. वे GM यानी जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें कहलाती हैं.
चीन की एक लैब में मके की जीन टेस्ट करते हुए शोधकर्ता.
चीन की एक लैब में मक्के की जीन टेस्ट करते हुए.

तो GM के दौर में रत्ती के बीज के भरोसे नहीं बैठा जा सकता. और न ही अब धान के चार दानों पर भरोसा है. लेकिन 'रत्ती' नाम चला आ रहा है. और आगे न जाने कब तक चले. इसीलिए 1956 में भारत सरकार ने एक एक्ट पास किया. स्टैंडर्ड्स ऑफ़ वेट्स एंड मेज़र्स एक्ट 1956. यानी वजन और माप के मानक अधिनियम 1956. इस एक्ट के तहत एक रत्ती की स्टैण्डर्ड वैल्यू 0.1215 ग्राम फिक्स कर दी गई.

पचास तोला. कितना?

'वास्तव' फिलम में पावभाजी का ठेला लगाने वाला रघु जब डॉन रघु बनकर पहली बार अपने घर आता है तो अपनी मां को भी वज़न के बारे में ज्ञान देता है. अपने गले में पड़ी सोने की चेन को पकड़ता है और मां को उसका वजन बताते हुए कहता है,
पचास तोला! कितना? पच्चास तोला.
पिताजी के लिए फॉरेन से स्कॉच. विजय के लिए घड़ी और कपड़े. और माँ के लिए साड़ी और नेकलेस.
रघु के लाए गिफ्ट - पिताजी के लिए फॉरेन से स्कॉच. भाई विजय के लिए घड़ी और कपड़े. और माँ के लिए साड़ी और नेकलेस.
रघु की मां शांत बैठी रह जाती है. शायद उन्हें नहीं पता था.
पचास तोला माने कितना?
बेसिकली उन्हें ये नहीं पता होगा कि एक तोला माने कितना? हमें पता है. आप भी जान लीजिए. लेकिन पहले गोविंदा और रवीना टंडन से मुख़ातिब होते हैं. संगीत आनंद मिलिंद का है और महाकवि समीर कहते हैं,
कुछ बल खाके, कुछ लहराके, हिरनी जैसी चलती है पल में तोला पल में माशा कितने रंग बदलती है.
इन पंक्तियों पर गौर किया? गीतकार ने क्लू छोड़ा है. और क्लू है 'माशा', 'तोला' और उनके बीच का रिश्ता. तोला से पहले माशा को जान लेते हैं.
क्या लगता है कितने तोला का होगा?
क्या लगता है कितने तोला का होगा?

माशा भी वजन की इकाई है. एक माशा आठ रत्ती के बराबर होता है. तो एक माशा 0.97 ग्राम के बराबर हुआ. और 12 माशों का एक तोला बनता है.
बारह मासों का एक साल होता है, वैसे ही बारह माशों का तोला होता है.
हिसाब लगा कर देखा जाए तो एक तोला होगा 11.664 ग्राम का. इस हिसाब से 50 तोला हुआ 583.2 ग्राम. अतः संजय दत्त यानी रघु ने वास्तव फिलम में 583.2 ग्राम की चेन पहनी थी. अब आप गब्बर सिंह के बाप का नाम पूछने की बजाय ये सवाल पूछ सकते हैं कि वास्तव में संजय की चेन का वज़न ग्राम में कितना था. गब्बर वाला सवाल बहुत घिस चुका है. उसे छोड़ दिया जाना चाहिए.

शेर कितने सेर का होता है?

एक सेर दूसरा सवा सेर. इस सेर को ज्यादातर लोग शेर के साथ कन्फ्यूज कर लेते हैं. शेर लॉयन होता है, शेरावाली माता जिस पर बैठती हैं वो वाला. एक शेर वो भी होता है जो शायर सुनाते हैं.
लेफ्ट-सेर का माप. टॉप-राईट में ग़ालिब जो शेर पढ़ते हैं. बॉटम-राईट में अफ़्रीकी शेर.
लेफ्ट-सेर का माप. टॉप-राईट में ग़ालिब जो शेर पढ़ते हैं. बॉटम-राईट में अफ़्रीकी शेर.

लेकिन सेर वजन का माप होता है. और एक सेर 80 तोला के बराबर होता है. ये हुआ 933.12 ग्राम. लगभग एक किलो. मेरे गांव में पसेरी बहुत चलन में है. कुछ नहीं. पांच सेर हुआ पसेरी. और दस सेर हुआ दसेरी. पसेरी लगभग पांच किलो के बराबर हुआ.
पॉइंट टू बी नोटेड माय लॉर्ड - अगर सनी देओल का एक हाथ ढाई किलो का है. तो सनी देओल के दोनों हाथों का वजन एक पसेरी है.
"जब ये लगभग आधा पसेरी की हाथ पड़ता है न तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है."
"जब ये लगभग आधा पसेरी का हाथ पड़ता है न तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है."

सवाल पर वापस आते हैं. शेर कितने सेर का होता है? एक एफ्रिकन लॉयन का औसत वजन 181 kg होता है. और एक सेर में 933.12 ग्राम होते हैं. दसवीं क्लास वाली गणित है. भाग दे दीजिए. जवाब मिल जाएगा. शेर 194 सेर का होता है.

मन भारी हो रहा है?

'मन' भारी ही होता है. रत्ती, माशा, तोला, सेर. इन सब से भरी होता है 'मन'.
नहीं समझे पन, ऊपर लिखा 'मन', दिमाग नहीं माइंड नहीं, है टाइप ऑफ़ वजन.
ये 'सेर' नहीं 'शेर' था. मालूम है गंदा वाला था.
लेफ्ट में ह्यूमन ब्रेन है. जहां से मन की चलती है. राईट में 'मन' है, जो वजन है.
लेफ्ट में मानव ब्रेन है. जहां से मन की चलती है. राईट में 'मन' है, जो वजन है.

खैर समझ ही गए होंगे. 'मन' वजन का माप होता है. और आपको बता दूं -
एक 'मन' होता है चालीस सेर के बराबर. यानी  37.32 किलो ग्राम.
इतने सारे माप हो गए. इन्हें याद कैसे रखे? इसके लिए एक नज़्म बना दी है. 'मन' लगा कर पढ़िएगा. नहीं तो 'रत्ती' भर समझ नहीं आएगा. पढ़ने के बाद आप जरूर कहेंगे - 'माशा'अल्लाह! शब्दों को क्या 'तोला' है. अच्छी लगे तो सेर शेयर जरूर कीजिएगा. पेश है -

पानी बरसे फाल्ट बने, घरों की जाए बत्ती. पानी बरसे धान उगे, चार धान की रत्ती.

रत्ती बहुतै छोटी भईया, बाज़ार बने तमाशा. रत्ती-रत्ती जोड़त जाओ, आठ रत्ती का माशा.

धान आहे सुनार कें जाहें, टांगे अपनो झोला. सोना माशा में न तुलना है, बारह माशों को तोला.

शायर सुनाए, जंगल में आए, कहलाए वो शेर. 'स' सुनार से उधार ले आओ, अस्सी तोला का सेर.

सुनार से पहले जाएंगे मंडी, धान बिके और आए धन. पांच सेर से बने पसेरी, चालीस सेर का बने है मन.



यह स्टोरी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे
 आयुष ने की है.




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