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गन्ने के जूस से बने एथेनॉल फ्यूल वाली कार लॉन्च हुई, क्या है इसकी खासियत?

पेट्रोल का अच्छा विकल्प है ये नया ईंधन!

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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लॉन्च की नई कार (फोटो सोर्स- नितिन गडकरी/ट्विटर)

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने 29 अगस्त, 2023 को एथेनॉल फ्यूल से चलने वाली कार लॉन्च कर दी है. टोयोटा की इनोवा हाईक्रॉस कार (Toyota Innova Hycross) 40 फीसदी बायो एथेनॉल फ्यूल और 60 फीसदी इलेक्ट्रिक एनर्जी से चलती है. ये दुनिया की पहली इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल कार है.

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अपनी तरह की दुनिया की पहली कार

नितिन गडकरी ने दिल्ली में टोयोटा किर्लोस्कर मोटर द्वारा डेवेलप की गई BS-6 (स्टेज II) इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल वाली इस कार को लॉन्च किया है. इसमें इलेक्ट्रिक एनर्जी के इस्तेमाल से फ्लेक्स फ्यूल के चलते कार के माइलेज में जो कमी आती है, उसकी भरपाई की जा सकती है. ये अपनी तरह की दुनिया की पहली कार है, जिसमें पुराना स्टार्ट सिस्टम लगाया गया है. इसके चलते इस कार का इंजन माइनस 15 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी आसानी से काम करता रहेगा.

एथेनॉल ज्यादा पानी एब्जॉर्व करता है. लेकिन इस कार का इंजन पूरी तरह से भारत में बना है. इंजन के कंपोनेंट्स पूरी तरह से वॉटर रेजिस्टेंट बनाए गए हैं, इसलिए इसमें जंग लगने का खतरा नहीं है. फिलहाल इस कार का प्रोटोटाइप तैयार किया गया है. माने बस एक मॉडल निकाला गया है. जल्द ही आम लोगों के लिए इसका प्रोडक्शन मॉडल भी लॉन्च किया जाएगा.

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फ्लेक्स फ्यूल क्या है, ये भी समझ लीजिए.

फ्लेक्स फ्यूल

एक ख़ास तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके 20 फीसदी से ज्यादा एथेनॉल को दूसरे फ्यूल के साथ मिक्स करके फ्लेक्स फ्यूल तैयार किया जाता है. ये दूसरे फ्यूल गैसोलीन वगैरह हो सकते हैं. फ्लेक्स फ्यूल का इस्तेमाल जिन इंजन में होता है, उन्हें कुछ इस तरह बनाया जाता है कि वो किसी दूसरी तरह के ईंधन पर भी चल सकें.

फ्लेक्स फ्यूल इंजन कोई नई तकनीक नहीं है. साल 1990 में ही पहली बार इस तरह के इंजन आने लगे थे. साल 1994 में आई फोर्ड टॉरस कार में भी फ्लेक्स फ्यूल इंजन का इस्तेमाल किया गया था. लेकिन पर्यावरण की बेहतरी के नजरिए से देखें तो अभी तक दुनिया भर में बहुत कम तादाद में ऐसे इंजन वाली गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है.

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गन्ने से बनता है फ्लेक्स-फ्यूल

फ्लेक्स फ्यूल का उत्पादन भारत जैसे कृषि-प्रधान देश के लिए मुश्किल नहीं है. एथेनॉल को गन्ने और मक्के से बनाया जा सकता है. और भारत में इन फसलों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है. गन्ना और मक्के से बनाए जाने के चलते एथेनॉल को 'एल्कोहल बेस फ्यूल' भी कहा जाता है. एथेनॉल बनाने में स्टार्च और शुगर फर्मेंटेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है. सामान्य पेट्रोल के मुकाबले एथेनॉल वाला ईंधन बहुत किफायती है. एथेनॉल की कीमत 60 से 70 रुपये के बीच होती है. इसलिए ये पेट्रोल का अच्छा विकल्प हो सकता है.

टोयोटा की फ्लेक्स-फ्यूल कार लॉन्च करते समय नितिन गडकरी ने ऑटोमोबाइल कंपनियों से बदलती जलवायु को ध्यान में रखते हुए ऐसी कार डेवेलप करने की अपील की. इससे पहले नितिन गडकरी ने टोयोटा मिराई EV कार लॉन्च की थी. ये पूरी तरह हाइड्रोजन से बनी इलेक्ट्रिसिटी से चलती है. गडकरी ने ये भी कहा कि साल 2004 में पेट्रोल की कीमतें बढ़ने के बाद उन्होंने बायो-फ्यूल में रूचि लेना शुरू किया और इसके लिए ब्राजील का दौरा किया. उन्होंने कहा कि बायो-फ्यूल से बड़ी तादाद में फॉरेन करेंसी की बचत होगी. ये भी कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लिए विदेश से पेट्रोलियम ऑयल के आयात को शून्य पर लाना होगा. अभी हम 16 लाख करोड़ रुपए का तेल बाहर से खरीदते हैं.

वीडियो: क्या पेट्रोल-डीजल के दामों में लगी आग को एथनॉल कम कर सकेगा?

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