इंडिया टुडे. भारत की सबसे प्रतिष्ठित न्यूज़ मैगज़ीन. इसके 28 नवंबर, 2018 के एडिशन की आवरण कथा डराती है, सचेत करती है और अंत में छुटपुट उम्मीदें भी दे जाती है. स्टोरी का टाइटल है – मीठी मौत.
पीएम मोदी जिसे देश का सबसे बड़ा खतरा बता चुके हैं, उस बीमारी से आप कैसे बच सकते हैं?
जानिए डायबिटीज़ के बारे में सबकुछ.

स्टोरी मधुमेह के बारे में है. आप पूरी स्टोरी इंडिया टुडे मैगज़ीन में पढ़ सकते हैं. हम यहां पर उसके कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स बता दे रहे हैं ताकि आपको अंदाज़ा हो जाए कि स्थिति कितनी भयावह है.
# प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनेक बार ‘मधुमेह’ के बारे में बात की है. कभी बुरे राजकाज की तुलना इससे की है और कभी मन की बात में इसे सबसे बड़ा खतरा बताया है.
# वर्तमान सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत का लाभ उठाने वाला पहला रोगी एक डायबिटीक था.

# केवल भारत-प्रमुख ही नहीं, कई देशों के प्रमुख इस महामारी से एसोसिएट हो चुके हैं. जैसे कि जब डोनाल्ड ट्रंप के बारे में पता चला कि वो रोज़ 12 कैन डाईट कोक पी जाते हैं तो कयास लगाए जाने लगे कि उन्हें कौनसी बीमारी होने जा रही है – मोटापा, डायबिटीज़ या हार्ट प्रॉब्लम?
वहीं ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टीवी पर ग्लूकोज़ की निगरानी करने वाले पैच लगाए हुए देखी गई हैं.
भारत में भी देवेंद्र फड़नवीस, अरविंद केजरीवाल, नितिन गडकारी जैसे कितने ही राजनेता इस रोग की चपेट में हैं. और तो और पिछले दिनों अमित शाह का वजन 20 किलो घटने की जो खबर आई थी उसके पीछे भी इसी मधुमेह का हाथ बताया जाता है.
# वैसे तो सबको ही डायबिटीज़ के बारे में सचेत रहना चाहिए, लेकिन तब अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए, यदि –
आपके परिवार में डायबिटीज़ का इतिहास रहा हो
या, आपका वजन या बीएमाई (बॉडी मास इंडेक्स) नॉर्मल से अधिक हो
या, पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम का इतिहास रहा हो
या, 4 किलोग्राम से अधिक वजन के बच्चे को जन्म दिया हो
या, गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज़ हो गई हो
# कहते हैं कि लड़ाई के वक्त घी खाकर कुछ नहीं होता. इस मुहावरे के पीछे एक साइंस है. दरअसल घी वसा है. तुरंत एनर्जी नहीं देता. इसे प्रोसेस करने में शरीर लंबा समय लगाता है.
वहीं जब कोई भाग रहा होता है, या कोई मेहनत का काम कर रहा होता है उसे ग्लूकोज़ दिया जाता है. क्यूंकि हमारा शरीर शक्कर बड़ी तेज़ी से प्रोसेस करता है और तुरंत एनर्जी देता है. लेकिन इसकी प्रोसेसिंग के लिए इंसुलिन की ज़रूरत होती है. दरअसल यही इंसुलिन कोशिकाओं, जिन तक एनर्जी पहुंचनी है, और शक्कर के बीच का दरवाज़ा खोलता है. इस इंसुलिन का निर्माण हमारे शरीर में ही होता है. और इंसुलिन नामक इस हार्मोन का निर्माण करता है अग्नाशय.
डायबिटीज़ तब होता है जब या तो शरीर में इंसुलिन नहीं बनता या कोशिकाएं शर्करा को स्वीकार करने से मुकर जाती हैं.

# दुनिया भर में 42.5 करोड़ डायबिटीज़ रोगी हैं जिसमें से भारत का शेयर है 8.2 करोड़. और यूं भारत आता है दूसरे स्थान पर.
# इन दिनों फैली धुंध दरअसल बहुत छोटे-छोटे कण हैं. मतलब बाल के भी तीसवें भाग की मोटाई के. ये कण हमारे खून तक पहुंच जाते हैं. और कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार कैंसर जैसे घातक रोगों के कारण बनने वाले ये कण शरीर की शुगर प्रोसेस करने की क्षमता को भी घटाते चले जाते हैं, जिससे डायबिटीज़ होने की संभावना घातक रूप से भर जाती है.
साथ ही ये बारीक कण अग्नाशय पर भी दबाव डालते हैं, जिससे डायबिटीज़ होती है.
# कुछ डेटा –
2016 में भारत में कुल 8.2 करोड़ मामले दर्ज हुए थे. 1990 में ये संख्या 2.6 करोड़ थी. दो विशेषज्ञ डॉक्टर्स की अगुआई में बनी एक समग्र रिपोर्ट के अनुसार 1990 – 2016 के बीच 20+ उम्र के लोगों में डायबिटीज़ के फैलाव में 39% वृद्धि आई है. इस दौरान भारत में डायबिटीज़ के चलते गवाएं गए जीवन वर्षों में 80% का उछाल आया है. इसके चलते मौतों में 131% की वृद्धि हुई है. मतलब कि ये मौतें बढ़कर 231% हो गईं हैं.
# दो विशेषज्ञ डॉक्टर्स की अगुआई में बनी एक समग्र रिपोर्ट के अनुसार 1990 – 2016 के बीच 20+ उम्र के लोगों में डायबिटीज़ के फैलाव में 39% वृद्धि आई है. इस दौरान भारत में डायबिटीज़ के चलते गवाएं गए जीवन वर्षों में 80% का उछाल आया है. इसके चलते मौतों में 131% की वृद्धि हुई है. मतलब कि ये मौतें बढ़कर 231% हो गईं हैं.

# 25 साल पहले भारत की टॉप 30 घातक बीमारियों में डायबिटीज़ का नाम नहीं था. आज ये नंबर 13 पर है.
# एक आम भारतवासी त्योहारों में और दिन से औसतन 20% ज़्यादा मिठाई खा जाता है. मतलब और दिनों के बनिस्पत कुल दुगनी कैलोरी.
ज़्यादा खाने से ज़्यादा शर्करा प्रोसेस करनी पड़ जाती है. और यही करने से कोशिकाएं इंकार करने लगती हैं. इसके चलते बचा खुचा चर्बी बनने लगता है. इसलिए ही जब तक एक्सरसाईज़ वगैरह हो रही है तब तक तो ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल रहता है. लेकिन आराम किया तो समझो गए.
# डायबिटीज़ से बचने के लिए -
पर्याप्त नींद लें.
अपने वजन को एक लिमिट से ज़्यादा न बढ़ने दें
कार्बोहाइड्रेट से बचें
शाम 7:30 बजे के बाद खाना खाने से बचें.
# जिसके शरीर में जितनी ज़्यादा वसा या फैट होता है उसके शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का उतना ही विरोध करती हैं. इसके चलते ही तो मोटापे का पर्यायवाची डायबिटीज़ है.

# भारत में हर 100 वजनी लोगों में से 38 लोगों को डायबिटीज़ है जबकि पूरी दुनिया में हर 100 वजनी लोगों में से केवल 19 लोगों को.
# बाईपास सर्जरी से गुज़रने वालों में 65% रोगी मधुमेह से ग्रस्त हैं.
# डॉक्टर्स के अनुसार डायबिटीज़ के दो बड़े कारण हैं – खान-पान और उत्तेजना.
# मधुमेह बीमारी और कॉम्प्लीकेटेड होती जा रही है. पहले लगता था कि मधुमेह दो तरीकों के होते हैं. टाइप 1 और टाइप 2. लेकिन अब पता चला है कि डायबिटीज़ कोई बीमारी नहीं बल्कि एक अम्ब्रेला टर्म है.
# क्या करें –
हाई फाइबर वाले और कम स्टार्च वाला भोजन खाएं.
रोज़ खूब फल खाएं और हो सके तो छिलके के साथ खाएं.
खूब ताज़ा हरा सलाद खाएं
पत्तीदार हरी सब्जियां, काली मिर्च, अंकुरित दालें, साबुत दालें, मसूर, साबुत अनाज, साबुत मेवे और बीज खाएं.
भूख लगने पर – सूप पिएं लेकिन ब्रेड के टुकड़ों के बगैर. छाछ पिएं मगर मलाई या चीनी के बगैर. अंकुरित अनाज खाएं. सलाद, खीरा, पत्ता गोभी, प्याज़, टमाटर, शिमला मिर्च और मूली खाएं.

# क्या न करें –
रिफाइंड मीठा न खाएं - शहद, गुड़, मिठाई, केक, पुडिंग और आईसक्रीम न खाएं.
सेचुरेटेड फैट से बचें – मलाई, मलाईदार दूध, मक्खन, घी, पनीर. इन सबमें न्यूनाधिक मात्रा में कॉलेस्ट्रोल होता है.
मेयोनीज़, क्रीम, सैंडविच स्प्रेड को अपने से दूर ही रखें.
ट्रांस फैट से भी दूर रहें – मतलब पूरी, समोसा, पकोड़े, चिप्स, नमकीन वगैरह से.
अंडे की ज़र्दी यानी येल्लो वाले पार्ट से बचें. अगर नॉन वेज खाते हों तो रेड मीट नहीं चिकन और मछली खाएं. बाकी सब ज़्यादा खतरनाक हैं.
शराब से अव्वल तो दूर ही रहना उचित है लेकिन फिर भी अगर पीनी ही है तो हफ्ते में 120 एमएल से ऊपर न जाएं.
अनाज, स्टार्ची, पास्ता वाली ब्रेड के सेवन को सीमित कर दें.
# पिछले 15 वर्षों में मधुमेह के इलाज और निदान से जुड़े अनुसंधान में तेज़ वृद्धि दर्ज़ की गई है. इसके लिए विश्व में सबसे ज़्यादा दवाइयों आदि पर शोध हो रहा है.
# सावधानी, इलाज से बेहतर है. इस तर्ज़ पर डॉक्टर्स मानते हैं कि स्वास्थ्य नीतियां रोकथाम आधारित बनाई जानी चाहिए. मधुमेह से बचने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा पार्क, जॉगिंग या एक्सरसाइज की जगहें, फुटपाथ, हरित क्षेत्र आदि के निर्माण की ज़रूरत है. नमक, चीनी और वसा की खपत को नियंत्रित करना सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों का लक्ष्य होना चाहिए.
# डॉक्टर्स को आयुष्मान भारत से काफी उम्मीदें हैं. इससे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा की नींव को मजबूती मिलने की के साथ-साथ लोगों को वित्तीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिलने की उम्मीद है.
# उम्मीद की बात एक और है. मधुमेह रोगी के जीवन की गुणवत्ता में नाटकीय रूप से सुधार हुआ है. होने को अभी तक बीमारी का इलाज नहीं मिला लेकिन शोधकर्ता उम्मीद रखते हैं कि आने वाले कल में ये भी संभव हो जाएगा. तब तक आप अपने को स्वस्थ्य रखें, एक्टिव रखें और दी लल्लनटॉप पढ़ते रहें.
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