दुबई एयरशो में 21 नवंबर 2025. हिंदुस्तान का हल्का लड़ाकू विमान तेजस अपने डेमो पास के दौरान गिर गया. एक तेज़ शोर. आग की लपटें. और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वीडियो. सवाल उठे. कि क्या हुआ. कैसे हुआ. और इस हादसे का असर अब कहां तक जाएगा.
तेजस दुबई में क्रैश, हैरान दुनिया उठा रही साख पर सवाल! जवाब HAL और DRDO को देने हैं
Tejas Crashes in Dubai: दुबई एयरशो में तेजस (Tejas) क्रैश होने के बाद इसकी तकनीकी विश्वसनीयता (Reliability) और विदेशों में बिक्री संभावनाओं (Export Prospects) पर सवाल उठ गए हैं. अब पूरी दुनिया की नजर HAL और DRDO पर है कि वे इस हादसे की जांच में क्या जवाब (Accountability) और क्या समाधान पेश करते हैं.


आईएएफ और भारत सरकार ने जांच बैठा दी है. कोर्ट ऑफ इंक्वायरी चलेगी. एक-एक सेकंड का डेटा देखा जाएगा. मगर हादसा इतना बड़ा है कि इसके तकनीकी पहलू. नीति असर. और निर्यात वाली कहानी पर बात जरूरी है.

ये बात साफ है कि अंतिम नतीजा तो जांच बताएगी. लेकिन एविएशन इंजीनियरिंग में इस तरह के एयरशो क्रैश के चार बड़े कारण अक्सर सामने आते हैं.
1. इंजन फेलियर. तेजस की सबसे संवेदनशील जगह
तेजस सिंगल इंजन फाइटर है. यानी पूरा गेम एक ही इंजन पर टिका है. अगर डेमो के बीच में इंजन अचानक पॉवर खो दे. ऑयल प्रेशर गिर जाए. या सीज़ हो जाए. तो कम ऊंचाई पर पायलट के पास कोई खास स्पेस नहीं बचता.
2024 की एक घटना में भी तेजस में ऑयल सप्लाई और इंजन लॉक जैसी समस्या की रिपोर्ट आई थी. इसलिए यह फैक्टर जांच में बड़ा रोल प्ले कर सकता है.
2. फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम. यानी दिमाग में गड़बड़ी
तेजस का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम डिजिटल फ्लाई बाय वायर है. यानी कमांड वायरिंग और सॉफ्टवेयर से चलती है.
अगर एक्ट्यूएटर. कंट्रोल सर्वो. या सॉफ्टवेयर में कोई माइक्रो सेकंड गड़बड़ी आए. और उसी समय हाई G वाला मैनोवर चल रहा हो. तो विमान पलट सकता है. स्लिप कर सकता है. या लिफ्ट खो सकता है.
3. पायलट एरर. सुपरसोनिक मशीनें इंसानी गलती नहीं माफ करतीं
एयरशो में मैनोवर जमीन के बहुत पास होते हैं. घुमाव तेज. और टाइमिंग एकदम सटीक चाहिए.
अगर एंगल ज्यादा हो गया. स्पीड कम रह गई. या रोटेशन एक सेकेंड भी लेट हुआ. तो क्रैश का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है.
4. संयोजन. यानी सिस्टम और आदमी दोनों के बीच की गड़बड़ी
एविएशन क्रैश में अक्सर एक ही वजह नहीं निकलती.
कहीं थोड़ा तकनीकी दोष. कहीं थोड़ा ग़लत इनपुट. कहीं अचानक खराब मौसम का झोंका. सब मिलकर भी फाइनल मशीन को गिरा सकते हैं.
जांच में ब्लैक बॉक्स के डेटा. इलेक्ट्रॉनिक लॉग्स. और मलबे का फॉरेंसिक एनालिसिस देखा जाएगा. तभी साफ होगा कि ये डिजाइन की कमी थी. मेंटेनेंस का मुद्दा था. पायलट वाला पहलू था. या कोई थर्ड पार्टी पार्ट फेल हुआ.
क्या इससे तेजस की साख को झटका लगाछोटा जवाब. हां. तुरंत के लिए असर पड़ा है. लंबा जवाब. असर कितना टिकेगा ये जांच रिपोर्ट तय करेगी.
शॉर्ट टर्म झटका
जिसके भी देश में डेमो की बात चल रही होगी. वे तुरंत सावधान मोड में चले जाएंगे. इंटरनेशनल मीडिया इसे कई दिन तक हाईलाइट करेगा. जिनसे बात चल रही है वो खरीदार फौरी तौर पर और शर्तें, टेस्ट और लाइफ साइकिल डेटा मांग सकते हैं
मिड टर्म असर
अगर रिपोर्ट बोले कि डिजाइन या सिस्टम लेवल गलती थी. तो फिर HAL और DRDO को री-सर्टिफिकेशन. नई टेस्टिंग. और सुधार दिखाने होंगे. लेकिन अगर रिपोर्ट में सप्लायर इश्यू निकला. जैसे GE इंजन या कोई सबकॉन्ट्रैक्टर पार्ट. तो अंतरराष्ट्रीय खरीदार की चिंता HAL की तुलना में सप्लायर पर ज्यादा जाएगी.
लॉन्ग टर्म तस्वीर
तेजस की नींव सिर्फ तकनीक पर नहीं. भारत की डिप्लोमेसी पर भी है. अगर IAF और HAL सुधार दिखा दें और पारदर्शी जांच रिपोर्ट बाहर आ जाए. तो साल भर में भरोसा फिर खड़ा हो सकता है. लेकिन अगर रिपोर्ट में बड़ी खामी सामने आई तो निर्यात में देरी, शर्तों में सख्ती और डील्स में स्लो ट्रैक देखने को मिलेगा.
क्या DRDO और HAL की तकनीकी इमेज पर भी असर पड़ेगाइसका सीधा जवाब है हां. लेकिन असर कितना होगा ये दोष किस पर जाता है उस पर निर्भर करेगा.
- अगर डिजाइन की गलती निकली तो DRDO की साख पर सवाल सीधा लगेंगे.
- डिजिटल FBW लॉजिक. कंट्रोल एल्गोरिद्म. एयरफ्रेम स्ट्रेस. सब पर दुनिया सवाल पूछेगी.
- अगर मैन्युफैक्चरिंग क्वालिटी में गड़बड़ी निकली तो HAL को झटका लगेगा.
- नई ऑडिट. सप्लाई चेन की जांच. पार्ट्स की दोबारा टेस्टिंग. सबकी मांग उठेगी.
- अगर सप्लायर पार्ट फेल हुआ तो दोष तीसरी कंपनी पर जाएगा. HAL और DRDO की छवि पर थोड़ा सा प्रभाव होगा. लेकिन यह मैनेज करना आसान होगा.
- अगर पायलट एरर निकली तो तकनीकी साख पर असर सीमित हो जाएगा. फिर बातचीत ट्रेनिंग. SOP. और एयरशो रूल्स पर आएगी.
ये हिस्सा बहुत अहम है. तेजस की इंटरनेशनल मार्केटिंग पिछले 7-8 साल से चल रही है. और तस्वीर कुछ ऐसी रही है.
1. मलेशिया
सबसे चर्चित बातचीत. HAL ने LCA तेजस को मलेशिया के लिए ऑफर किया. RFI. RFP. डेमो. सब हुए. लेकिन अंत में मलेशिया ने तेजस नहीं लिया. बातचीत आधी राह में रुक गई.
2. अर्जेंटीना
अर्जेंटीना ने रुचि दिखाई. बातचीत चली. लेकिन ब्रिटिश सबसिस्टम और फंडिंग मॉडल अटक गया. मामला आगे नहीं बढ़ा.
3. मिस्र
मिस्र LCA जैसे प्लेन चाह रहा था. HAL ने प्रेजेंटेशन दिए. लेकिन मिस्र ने कोई ठोस प्रोग्रेस नहीं दिखाई. बातचीत फ्रीज़ मोड में है.
4. फिलीपींस. श्रीलंका. अफ्रीका के दो–तीन देश
कई जगह शुरुआती रुचि आई. पर कोई भी डील कमर्शियल एग्रीमेंट तक नहीं पहुंची.
नतीजा
अभी तक तेजस का कोई भी बड़ा विदेशी ऑर्डर फाइनल नहीं हुआ. भारत ने इसे दुनिया में पेश तो खूब किया. पर निर्यात का असली ब्रेकथ्रू मिला नहीं. अब ये क्रैश उस भरोसे को और मुश्किल बना सकता है. खासकर अगले कुछ महीनों में.
ये भी पढ़े- तेजस Mk-1A की इंडियन एयरफोर्स में एंट्री! चीन-पाकिस्तान के बनाए JF-17 पर भारी
ये हादसा तेजस के लिए चुनौती क्यों हैक्योंकि तेजस सिर्फ एक फाइटर प्लेन नहीं है. ये भारत के एयरोस्पेस आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. DRDO का दशक भर का सपना है. HAL का बड़ा प्रोजेक्ट है. और IAF का भविष्य रोडमैप है.
एक क्रैश सीधा इस भावनात्मक और रणनीतिक कहानी पर चोट मारता है. इसीलिए असली लड़ाई अब आसमान में नहीं. कागजों और जांच रिपोर्ट में है. जितनी जल्दी. जितनी पारदर्शिता से. और जितनी मजबूती के साथ HAL और DRDO इस क्रैश की वजह समझा देंगे. तेजस की प्रतिष्ठा उतनी ही तेजी से वापसी करेगी.
वीडियो: दुबई एयर शो में तेजस फाइटर जेट के क्रैश होने पर डिफेंस एक्सपर्ट ने क्या बताया?


















.webp)



