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समंदर बीच बनी दुनिया की सबसे खतरनाक जेल से कैसे फरार हुए तीन कैदी?

नकली सर, चाकू चम्मच, कैसे फरार हुए ३ कैदी?

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कड़े सुरक्षा इंतजामों और चारों तरफ से सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के ठंडे पानी से घिरे अलकाट्राज़ जेल को अमेरिका की सबसे मजबूत जेल माना जाता था (तस्वीर: Wikimedia Commons)

साल 1962 की बात है. अमेरिका की एक जेल में सुबह सुबह क़ैदियों की नंबरिंग की जा रही थी. इस दौरान जेलर ने देखा कि एक क़ैदी सोया हुआ है. उसे उठाने की कोशिश की गई. जब वो नहीं उठा तो जेलर ने उसके सिर पर ज़ोर का डंडा मारा. पता चला कि वहां सिर नहीं, एक पुतला था. ऐसे ही पुतले दो और लोगों के थे. वो भी जेल की अपनी सेल से ग़ायब थे. 

ये सब एक ऐसी जेल में हो रहा था, जिसे दुनिया की सबसे अभेद्य जेल माना जाता था. जेल का नाम था- अलकट्राज़ (Alcatraz). सैन फ़्रांसिस्को राज्य के एक आइलैंड पर बनी इस जेल को दुनिया की सबसे भयानक जेल कहते थे. अमेरिका के सबसे खूंखार अपराधी यहां रखे जाते थे. जेल के हालात ऐसे थे कि क़ैदियों ने इसे हेलकट्राज का नाम दिया था. यानी नर्क जैसी जेल. नर्क की ही तरह, जो एक बार इस जेल में आ गया, बाहर नहीं निकल सकता था. जेल एक चट्टान पर बनी हुई थी. जिसके चारों तरफ़ बस अथाह समंदर था. इसलिए कोई भागने की सोच भी नहीं सकता था. 31 बार कोशिशें हुई थीं, लेकिन सब की सब नाकाम रही. 

दीवार में छेद और रेनकोट की नाव 

फिर आया साल 1960. जेल में एक क़ैदी लाया गया. नाम था फ़्रैंक मॉरिस. जल्द ही मॉरिस ने तीन और क़ैदियों से दोस्ती कर ली. इनके नाम थे, जॉन ऐंग्लिन, क्लैरेन्स ऐंग्लिन और ऐलन वेस्ट. इत्तेफ़ाक ऐसा हुआ कि चारों के सेल एकदम अग़ल बग़ल थे. दिसंबर 1961 में इन चारों के बीच एक योजना बनी. जेल से भागने की योजना. लेकिन ऐसा हो कैसे? फिर एक रोज़ मॉरिस ने काम करते हुए देखा कि जेल की छत पर बने वेंटीलेशन में बस एक जाली लगी है. जिसे आसानी से हटाया जा सकता था. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए ज़रूरी था कि रात में अपनी अपनी सेल से निकालकर चारों उस वेंटीलेशन रैक तक पहुंचे, जो जेल के एक दूसरे सेक्शन में था. अगर जेल की सलाख़ों को काट भी लेते तो भी बाहर पहरेदार रात भर खड़े रहते थे. (Escape from Alcatraz)

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'अलकाट्राज जेल' कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को के तट से दूर अलकाट्राज द्वीप पर स्थित है (तस्वीर: Wikimedia Commons)

ऐसे में मॉरिस ने एक दूसरा तरीक़ा खोजा. उसने देखा कि उनके सेल की पीछे की दीवार के नीचे एक सिंक बना है. उन सबने किचन से चाकू कांटे इकट्ठा कर उसे खोदना शुरू कर दिया. लगभग 6 महीने की मेहनत से एक बड़ा सा छेद तैयार हो गया. ये सारा काम उन्होंने तब किया, जब रात को जेल में संगीत बजता था. दीवार में होने वाला सुराख़ पीछे एक गैलरी में निकलता था. यहां से ऊपर चढ़कर वो जेल के ऊपरी माले तक पहुंच सकते थे. और वहां से वेंटीलेशन तक पहुंचना आसान था. लेकिन असली मुसीबत उसके बाद शुरू होनी थी. जेल से निकलकर उन्हें समंदर पार करना था. और इस काम के लिए ज़रूरत थी नाव की. 

चारों क़ैदियों ने मिलकर इसका भी हल निकाला. भागने से कुछ महीने पहले, उन्होंने गैलरी के ऊपर एक खाली जगह में अपनी वर्कशॉप बनाई और वहां रेन कोट की मदद से नाव बनाने लगे . इस काम में उनकी मदद की 'पॉप्युलर मेकैनिक्स' नाम की एक मैगज़ीन ने. क़िस्मत से इसमें उन्हें नाव बनाने का तरीक़ा मिल गया. और जेल में मौजूद औज़ारों और रेनकोट्स की मदद से उन्होंने एक नाव तैयार कर ली.

नकली सर और पीछे छूटा साथी 

सारी तैयारी के बावजूद एक चीज़ और मायने रखती थी. ज़रूरी था कि किसी को उनके ग़ायब होने का पता ना चले ताकि उन्हें भागने के लिए कुछ वक्त मिल जाए. इसके लिए उन्होंने साबुन टॉयलेट पेपर और टूथपेस्ट की मदद से नक़ली सिर बनाए और उन्हें रंग दिया. उन्होंने अपने नक़ली सिरों को गद्दे और तकिए के ऊपर इस तरह डाल दिया कि देखने वाले को लगे, कोई इंसान सोया है. फिर एक रात मौक़ा मिलते ही वो सब दीवार में बने छेद के रास्ते ग़ायब हो गए. 

सिवाए एक के. ऐलन वेस्ट- बेचारे ने दीवार को टूटने से बचाने के लिए छेद के आसपास जो सीमेंट लागया था, वो सख़्त हो गया था. उसे हटाने में बहुत समय ज़ाया हुआ. वो वक्त पर वेंटीलेशन तक पहुंच नहीं पाया और उसके तीन साथी उसके बिना ही फ़रार हो गए. वेस्ट चुपचाप अपने कमरे में लौट आया और सो गया.

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जेल से फरार तीनों कैदी जिन्हें कभी पकड़ा नहीं जा सका (तस्वीर: Wikimedia Commons)

बाकी तीन लोग वेंटीलेशन के सहारे जेल से बाहर निकले. वहां उन्होंने रबर से बनी अपनी नाव में हवा भरी. इसके लिए हारमोनियम की तरह काम करने वाले एक वाद्य यंत्र का इस्तेमाल किया गया, जो दबाए जाने पर हवा छोड़ता था. रात 10 बजे तीनों अपनी नाव में चढ़े और खुले समंदर में आगे बढ़ गए. उस पल के बाद से उनका कुछ पता नहीं चला. आज तक. अगली सुबह जब जेल अधिकारियों को उनके भागने का पता चला, तुरंत एक तलाश अभियान शुरू कर दिया. कई दिनों चले अभियान के बाद FBI ने अपनी रिपोर्ट पेश की. कहा कि ज़्यादातर संभावना इसी बात की है कि तीनों समंदर की तेज लहरों में डूब गए होंगे. हालांकि ये कहानी यहां खत्म नहीं हुई.

केस खुला है a

बाद के सालों में कई लोगों ने इस केस की तहक़ीक़ात करने की कोशिश की. साल 2011 में नेशनल जियोग्राफ़िक चैनल ने इस बारे में एक डॉक्युमेंटरी बनाई थी. जिसमें दावा किया गया कि 1962 में पास के एक आइलैंड पर एक नाव पाई गई थी. जिसमें से लोगों के उतरने के निशान देखे गए थे. ये दावा अकेला नहीं है. सालों तक कई लोगों ने पुलिस को फ़ोन कर दावा किया कि उन्होंने भागे हुए क़ैदियों में से किसी को देखा है.

 जॉन और क्लैरेन्स ऐंग्लिन के भाई रॉबर्ट ने मृत्यु से पहले अपने परिवार वालों को बताया था कि जेल से भागने के कई साल बाद तक उसके भाई उसके संपर्क में रहे. वो अपने पिता की मौत पर मिलने भी आए थे. ऐसी ही कहानियां फ़्रैंक मॉरिस को लेकर भी चलती हैं. अंत में किस्से को इस बात से ख़त्म करते हैं कि साल 2023 में, जब आप ये एपिसोड देख रहे हैं, ये केस बंद नहीं हुआ है. पुलिस आज भी तीनों क़ैदियों की खोज़ में है. जहां तक अलकट्राज़ जेल की बात है, उसे 1963 में बंद कर एक टूरिस्ट प्लेस में तब्दील कर दिया गया. 

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