साल 1968. केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार को कम्यूनिस्ट पार्टी का समर्थन प्राप्त था. यकायक सदन में एक मसाला गंभीर होता जा रहा था. कम्यूनिस्ट पार्टी के MP आरोप लगा रहे थे कि ऋषिकेश में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के एजेंट्स छुपे हुए हैं. बात सोवियत संघ तक पहुंची तो KGB ने अपना एक जासूस भारत भेजा. यूरी बेज़मेनोव ऋषिकेष पहुंचे और यहां महर्षि महेश योगी के आश्रम में कुछ दिन रुके. कई साल बाद उन्होंने इस दौरे का ब्यौरा छापते हुए लिखा,
जब जॉन लेनन को लगा भारत में उन पर जादू-टोना हुआ है!
ब्रिटिश म्यूजिक बैंड बीटल्स फरवरी 1968 में ऋषिकेश पहुंचे और 2 महीने तक यहां रहे.


‘हॉलीवुड के कुछ बेवकूफ आए हैं. अब वो अमेरिका जाकर ये सन्देश फैलाएंगे कि बैठ जाओ, अपनी नाभी की तरफ देखो और कुछ मत करो. ये लोग हमारे लिए खतरा नहीं बल्कि एसेट हैं.”
उस साल भारत के हिमालयी क्षेत्र में बसे ऋषिकेश का एक छोटा सा आश्रम अचानक इंटरनेशनल कौतुहल का केंद्र बन गया था. भारत अमेरिका ब्रिटेन के हर अखबार में इस आश्रम की खबरें छप रही थी. इसकी वजह थी बीटल्स नाम का एक म्यूजिक बैंड, जिसने संगीत की दुनिया में तहलका मचाया हुआ था. बैंड के मेम्बर्स की दीवानगी इस कदर थी कि बीटल्स नाम से चूइंगम भी अमेरिका में करोड़ों का कारोबार कर रहा था. 1968 की उस फरवरी के महीने में बीटल्स महर्षि महेश योगी के आश्रम में रुके हुए थे. आज कहानी बीटल्स के इसी भारत दौरे की.
1964 का साल. ब्रिटेन में इलेक्शन होने थे. कंजर्वेटिव पार्टी और लेबर पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला था. दोनों पार्टियां तुरुप का इक्का ढूंढ रही थीं. और ये तुरुप का इक्का था एक म्यूजिक बैंड. नाम था बीटल्स (The Beatles). ये वो दौर था जब बीटल्स का क्रेज़ इस कदर सर चढ़कर बोल रहा था कि लोग इसे बीटलमेनिया का नाम देने लगे थे. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की माली हालत खस्ता थी. 1963 आते-आते बैलेंस ऑफ पेमेंट का हिसाब भी ऊपर-नीचे हो चुका था. बीटल्स इस दौर में ब्रिटेन के लिए एक मसीहा साबित हुआ. दुनिया भर में बीटल्स के एलबम बिक्री के रिकॉर्ड तोड़ रहे थे. इस बिक्री से ब्रिटेन के निर्यात क्वोटे में इजाफा हुआ.

ब्रिटेन की राजनैतिक पार्टियां होड़ में थीं कि बीटल्स के साथ बस एक फोटो में नजर आ जाएं. कंजर्वेटिव पार्टी ने तब अपने नेताओं को व्हिप दे रखा था कि हर भाषण में बीटल्स का नाम आना ही चाहिए. दोनों पार्टियां मांग कर रही थीं कि बीटल्स को नागरिक सम्मान से नवाजा जाए. अक्टूबर 1965 में बीटल्स को बकिंघम पैलेस आने का न्योता मिला. बाहर बीटल्स के फैंस की 4 हजार लोगों की भीड़ खड़ी थी. आज ये लोग ‘गॉड सेव द क्वीन’ के बदले ‘गॉड सेव द बीटल्स’ चिल्ला रहे थे.
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1966 आते-आते बीटल्स की शोहरत की उस बुलंदी पर पहुंच गई थी, जहां से आगे बस ढलान नजर आती है. सैंकड़ों टूर, दिन-रात की पार्टियां, लाखों फैंस, ड्रग्स. इसके बाद वही हुआ जो होता आया है. बीट्लस के मेम्बर्स का मन इन सब से ऊबने लगा. उन्होंने अपने टूर और लाइव कॉन्सर्ट रोक दिए. बैंड के एक मेंबर पॉल मकार्टनी बताते हैं,
“हमने इस शोहरत को अपने सर नहीं चढ़ने दिया, फिर भी, हम बीटल्स थे. एक सवाल रह रहकर हम सबके मन में उठ रहा था, हां, प्रसिद्ध होना बहुत अच्छा है, अमीर होना बहुत अच्छा है - लेकिन यह सब किस लिए है?"
इन्हीं सवालों की खोज ने बीटल्स का आध्यात्म का राब्ता करवाया.
भारत क्यों आए थे बीटल्स?फरवरी 1967 की बात है. बैंड के मेंबर जॉर्ज हैरिसन की पत्नी आध्यात्मिकता की तलाश में थीं. उन्होंने अखबार में ट्रांसडेंटल मैडिटेशन का एक विज्ञापन देखा और उसकी क्लासेज़ लेने लगीं. उन्होंने अपने पति को बताया. हैरिसन ने ये बात बाकी मेंबर को बताई. 25 अगस्त 1967, यानी आज ही के दिन वेल्स में महर्षि महेश योगी ने ट्रांसडेंटल मैडिटेशन पर एक सेमिनार आयोजित किया. यहां बीटल्स और महेश योगी की पहली मुलाक़ात हुई. इसके बाद बैंड मेम्बर्स ने ट्रांसडेंटल मैडिटेशन का 10 दिन का सेमीनार ज्वाइन किया. जहां उन्होंने ऐलान किया कि वो ड्रग्स छोड़ रहे हैं. हालांकि बीटल्स इस सेमीनार को पूरा नहीं कर पाए क्योंकि बीच में ही उनके मैनेजर ब्रायन एप्सटीन की मृत्यु की खबर आ गई. इसके बाद महर्षि महेश योगी ने बीटल्स को भारत आने का निमंत्रण दिया.

फरवरी 1968 में बीटल्स के चार मेंबर, जॉर्ज हैरिसन, जॉन लेनन(John Lennon), पॉल मकार्टनी और रिंगो स्टार भारत पहुंचे. साथ में उनकी पत्नियां, गर्लफ्रेंड्स और मीडिया का पूरा जमावड़ा ऋषिकेश पहुंचा. ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी का एक आश्रम था जिसे चौरासी आश्रम कहते थे. इस आश्रम को एक अमेरिकी बिजनेसमैन के डोनेशन से बनाया गया था. पॉल मकार्टनी बताते हैं कि आश्रम में रहने का उनका अनुभव किसी समर कैम्प जैसा था. हर सुबह ध्यान के बाद शाकाहारी नाश्ता मिलता था. शराब और ड्रग्स पर पाबंदी थी. कभी-कभी आसपास के जंगली जानवर भी आ जाया करते थे. दिन ख़त्म हो जाने के बाद सभी लोग गाना गाते और गिटार बजाते थे. हालांकि आश्रम का अनुभव सबके लिए एक सा नहीं था. जॉर्ज हैरिसन ध्यान की गहराई में जाना चाहते थे. इसलिए दिन के कई घंटों तक ध्यान किया करते. जॉन लेनन तब मजाक में कहते, ऐसा ही चलता रहा तो कुछ ही समय में जॉर्ज हवा में उड़ना भी सीख लेगा.
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जॉन लेनन के लिए ये अनुभव बाकियों से अलग था. उन्हें ध्यान से ज्यादा मानसिक प्रश्नों के उत्तर चाहिए थे. किस्सा यूं है की एक बार महर्षि को दिल्ली जाना था. हेलीकॉप्टर में एक सीट खाली थी. जॉन लेनन ने कहा, ‘मैं भी जाऊंगा’ और महर्षि के बगल में जाकर बैठ गए. पॉल मकार्टनी ने पूछा, तुम्हें जाने की इतनी क्यों पड़ी है. तब जॉन लेनन ने जवाब दिया, ‘सच कहूं तो मुझे लगता है कि अगर मैं महर्षि के साथ समय बिताऊं तो वो मुझे असली सच बता देंगे.’
लार्ड ऑफ़ रिंग्स में बीटल्स होते?इसी दौरे का एक किस्सा है जब बीट्लस को एक डायरेक्टर ने लार्ड ऑफ़ रिंग्स में पार्ट लेने का न्योता दिया. एप्पल फिल्म्स के हेड डेनिस ओ डील तब लार्ड ऑफ डी रिंग्स पर फिल्म बनाना चाहते थे. इसके लिए वो बीटल्स को कास्ट करना चाहते थे. जब उन्हें पता चला कि बीटल्स भारत में है तो डेनिस भारत आ गए. और ऋषिकेश में बैंड के साथ रहने लगे. बात आगे बढ़ी. जॉन लेनन को गोलम, पॉल को फ़्रोडो और जॉर्ज हैरिसन को गैंडाल्फ का किरदार निभाने का ऑफर मिला. फिल्म बन तो नहीं पाई लेकिन जब साल 2001 में पीटर जैक्सन ने इसे बनाया तो पॉल मकार्टनी ने उनसे कहा,
“अच्छा हुआ कि हमने फिल्म नहीं बनाई वरना आगे जाकर आप इसे नहीं बनाते और हम इतनी अच्छी फिल्म देखने से चूक जाते”

ऋषिकेश में रहने के दौरान बीटल्स ने 42 गाने लिखे. इनमें से कई उनकी फेमस एल्बम, वाइट एल्बम का हिस्सा बने. इस दौर में लिखे गीतों में कुछ खास बातें हैं. मसलन इनमें भारतीय वाद्य यंत्र सितार का असर दिखता है. बैंड के मेंबर जॉर्ज हैरिसन तब सितार माइस्ट्रो रवि शंकर से सितार की ट्रेनिंग ले रहे थे. और कुछ गानों की कहानियां भी ऋषिकेश आश्रम से जुड़ी हैं. मसलन एल्बम का एक गाना है, The Continuing Story of Bungalow Bill. इस गाने की कहानी यूं है कि एक बार आश्रम में रहने वाला एक लड़का रिचर्ड और उसकी मां नैनीताल घूमने गए. वहां दोनों हाथी में बैठकर जंगल देख रहे थे, जब एक बाघ उनके सामने आ गया. रिचर्ड ने अपनी बन्दूक उठाई और बाघ को मार गिराया. दोनों वापस आश्रम लौटे और गिल्ट के मारे ये बात महर्षि को बताई. जॉन लेनन ये सब बैठे सुन रहे थे. महर्षि इस बात से खासे नाराज थे कि उनके आश्रम में आए लोग शिकार पर जा रहे हैं. जॉन लेनन ने रिचर्ड से पूछा, तुम्हे नहीं लगता ये बेवजह की जीव हत्या है?
तब रिचर्ड ने जवाब दिया, जॉन, सिचुएसन ऐसी थी कि या तो बाघ बचता या हम. वो हम पर झपट्टा मारने वाला था, इसलिए मैंने गोली चला दी. इसी किस्से को जॉन लेनन अपने गाने में लिखते हैं,
जॉन लेनन ने महर्षि महेश योगी पर गाना लिखा“He went out tiger hunting with his his elephant and gun
In case of accidents he always took his mom,
If looks could kill, it would have been us instead of him.”
बीटल्स के इस दौरे ने जितना भारत पर असर डाला उतना ही असर पश्चिम पर भी हुआ. चौरासी आश्रम के बाहर देश-विदेश के पत्रकार इकठ्ठा थे. भारतीय कुर्ता पायजामा पहने बीटल्स की तस्वीरों ने भारतीय पोशाकों को अमेरिकन काउंटर कल्चर का हिस्सा बना दिया. जॉन लेनन की आध्यत्मिक बायोग्राफी लिखने वाले गैरी टिलरी लिखते हैं कि 1960 तक अमेरिका पर महर्षि महेश योगी, योगानन्द और स्वामी विवेकानदं का अच्छा ख़ासा प्रभाव था. लेकिन ये बीटल्स ही थे जिनके भारत दौरे के बाद अमेरिका और यूरोप के शहर-कस्बों में मेडिटेशन सेंटर बहुतायत में खुलने लगे थे. बीटल्स का असर किसी भी राजनेता या मूवी स्टार से ज्यादा था. दुनिया उनकी दीवानी थी. उनके इस दौरे के बाद दुनिया का ध्यान भारत पर गया, जो अब तक पश्चिम के लिए सिर्फ सपेरों का देश था.

बीटल्स का ये दौरा कई विवादों का कारण भी बना. ग्रुप के दो मेंबर रिंगो स्टार और पॉल मकार्टनी रिट्रीट के बीच में ही आश्रम छोड़कर चले गए. इसके बाद अप्रैल के शुरुआती दिनों में जॉन लेनन ने भी आश्रम छोड़ दिया. कहानी यूं है कि बीटल्स का एक असोशिएट ‘एलेक्स मरदास’ जब आश्रम पहुंचा तो उसने महर्षि के तौर तरीकों पर सवाल उठाया. बाद में न्यू यॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में मरदास ने बताया कि उसने महर्षि को एक महिला का आलंगन करते देखा था. रोलिंग स्टोन को दिए एक इंटरव्यू में लेनन कहते हैं कि अगली सुबह वो महर्षि के पास गए और उनसे कहा कि वो अब लौटना चाहते हैं. महर्षि ने पूछा, क्यों?
तो लेनन ने जवाब दिया, अगर आप इतने ही बड़े ध्यानी हो तो खुद क्यों नहीं जान लेते. आश्रम में एक कैनेडियन फिल्ममेकर पॉल साल्ट्ज़मैन भी रुके हुए थे. उनके अनुसार बीटल्स महर्षि बीट्लस से उनके अगले एल्बम का 25 % प्रॉफिट अपने स्विस अकाउंट में जमा कराने को कह रहे थे. तब लेनन ने जवाब दिया था कि ऐसा हुआ तो उनकी लाश के ऊपर होगा. इसके अलावा आश्रम में रहने वाली एक अमेरिकन अभिनेत्री मिया फैरो ने महर्षि पर जरुरत से ज्यादा ध्यान देने का आरोप लगाया. इन सब विवादों के चलते बीटल्स ने वक्त से पहले ही आश्रम छोड़ दिया. हालांकि बाद में जॉर्ज हैरिसन ने ये दावा भी किया कि महर्षि पर लगाए आरोप झूठे थे. जॉर्ज हैरिसन की पत्नी की बहन जेनी बॉयड लिखती हैं,
“बेचारे महर्षि गेट पर खड़े थे. उनके एक शिष्य ने छाता पकड़ रखी थी. जाते-जाते उन्होंने लेनन से कहा, रुको मुझसे बात तो कर लो, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी”
इस दौरे के बाद बीटल्स का महर्षि महेश योगी से मोहभंग हो गया. जॉन लेनन महर्षि से इतने खार खाए हुए थे कि उन्होंने उनके नाम पर एक गाना भी लिखा जिसमें वो कहते हैं, ‘महर्षि ये तुमने क्या किया, तुमसे सबको बेवकूफ बनाया’. यहां तक कि जब लेनन को टैक्सी मिलने में देर लगी तो इसका इल्जाम भी उन्होंने महर्षि पर ही लगाया. और जब ऋषिकेश से आते हुए उनकी टैक्सी का टायर पंक्चर हुआ तो उन्होंने कहा कि महर्षि ने ही कोई जादू टोना किया होगा.
बहरहाल भारत से लौटने के बाद बीटल्स अपनी पुरानी जिंदगी में लौट गए. भारत का ये दौरा बैंड के मेम्बर्स का साथ में आख़िरी दौरा था. साल 1970 में बैंड भी टूट गया. उसी साल महर्षि महेश योगी ने ऋषिकेश का अपना आश्रम भी छोड़ दिया. वक्त के साथ ये आश्रम खण्डर में तब्दील हो गया. 2003 में फारेस्ट डिपार्टमेंट ने इसे अपने कब्ज़े में ले लिया. बाद में इसे टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर खोला गया. अब यहां बीटल्स का एक म्यूजियम खोलने की बात चल रही है.
बाद के सालों में जॉर्ज हैरिसन ने पश्चिम में योग को पहुंचाने में मदद की और साल 1990 में उन्होंने महर्षि पर लगाए आरोपों के लिए माफी भी मांगी. जॉन लेनन की साल 1980 में उनके अपार्टमेंट के बाहर उनके ही फैन ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
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