मारिया: "सबूत उसके भी हैं. मैच फ़िक्सिंग की जा रही थी."
अनिरुद्ध: "उन्होंने रिज़ल्ट और परफॉरमेंस के बारे में बात की?"
मारिया: *हां के इशारे में गर्दन हिलाते हैं.*
अनिरुद्ध: "टेप में जडेजा की भी आवाज़ है?"
मारिया: *हां के इशारे में गर्दन हिलाते हैं.*
अनिरुद्ध: "प्रभाकर की? मोंगिया की? अज़हर की?"
मारिया: "हां."
अनिरुद्ध: "इन सभी में अज़हर ही मेन आदमी है. मुझे लगता है उसने इंटरनेशनल क्रिकेट में इस तरह से सबसे ज़्यादा पैसे बनाये हैं. लेकिन आप उसकी संपत्ति की जांच क्यूं नहीं करते? उसने शायद बांद्रा में 8 करोड़ का फ्लैट खरीदा है?"
मारिया: "दो. एक नहीं. दो फ्लैट. एक मेहबूब स्टूडियो के पास है. और एक सेंट पीटर्स चर्च के पास है. दो. दोनों पेंटहाउस अपार्टमेंट्स हैं."
अनिरुद्ध: "फ़ोन कॉल्स से जुड़ा कोई सुराग मिला है क्या? कुछ भी? क्यूंकि अज़हर अपना फ़ोन ही बदलता रहता है.
मारिया: "वो उस हिसाब से बहुत स्मार्ट है. वो अपने नम्बर चेंज करता रहता है. उसका दिमाग थोड़ा थोड़ा क्रिमिनल जैसा चलता है. 2-3 लोग आ गए, उनसे बोला अपना फ़ोन दे."
https://www.youtube.com/watch?v=LBI4figu67c
3 रवि शास्त्री:
रवि शास्त्री इंडिया वर्सेज़ न्यूज़ीलैंड के बीच 29 अक्टूबर से अहमदाबाद में खेले गए टेस्ट मैच के बारे में बात कर रहे थे. उस मैच में इंडिया ने पहले बैटिंग करते हुए 583 रन बनाये थे. जवाब में न्यूज़ीलैंड मात्र 308 पर ही ढेर हो गयी थी. टीम के कैप्टन सचिन तेंदुलकर न्यूज़ीलैंड के कप्तान स्टीफेन फ़्लेमिंग से फॉलो ऑन खेलने की बात कह आये. अम्पायर को भी बता दिया गया. लेकिन कपिल देव ने ये फैसला बदलवा दिया. उन्होंने ज़बरदस्ती टीम इंडिया को दूसरी इनिंग्स में बैटिंग करने भेज दिया.
रवि: "मेरे से पूछा (कमेंट्री बॉक्स में). मैं क्या बोला पता है? मैं विश्वास ही नहीं कर सकता. अगर वो इंडिया में चान्सेज़ नहीं ले सकते, आप विदेश में चांस लेने की बात ही भूल जाइये. उस वक़्त मैं टाइम्स में लिख रहा था. उसका हेडलाइन था - 'Shocking decision not to take the follow on'. वो पछतायेंगे. यहां नहीं लेकिन जब ऑस्ट्रेलिया जायेंगे तब. इंडिया में चांस नहीं लेगा ब****, जब इंडिया में गां* फट रही है तो वहां क्या?
अज़हर के बारे में रवि: "तुझे मालूम है उसने (अज़हर) पप्पू बुटानी के साथ क्या किया?"
मनोज: "किसके साथ?"
रवि: "वो (बुटानी) शामियाना में अकेला बैठा था. तू खेल रहा था तब. तूने जस्ट फिनिश किया था गेम. टाइटन कप, टाइटन कप तेरा खतम हो गया था?"
मनोज: "मैं, टाइटन कप?"
रवि: "हां उसके बाद. कॉफ़ी शॉप में बैठा है और उसका पप्पू का घड़ी...घड़ी देखता है. अज़हर बोला 'बहुत अच्छा घड़ी है' पप्पू बोला 'ठीक है. अच्छा है. सस्ता ही है.' अज़हर पूछा 'कितना?' बोला 'पांच-छः लाख.' अज़हर बोला 'एक मिनट.' ऊपर गया, थैली में छः लाख लाया, घड़ी लेके चला गया."
मनोज: "पैसा दिया?"
रवि: "पप्पू की गां* फट गयी. छः लाख लाया, घड़ी लेके गया. पप्पू बोलता है 'मैंने फेंका. ब**** 1-2 लाख का घड़ी है मैंने ऐसे ही पांच बोल दिया." https://www.youtube.com/watch?v=F5zlIoCDjZg
4 लखनऊ की चिट फंड कंपनी का मालिक:
अब तक नाम आ चुका था अजय शर्मा का. अजय शर्मा वो मेन सटोरिया था जिसकी नजदीकियां थीं अजहरुद्दीन से. अजय ने इस कंपनी के मालिक दिव्य नौटियाल को कुछ पैसे दिए जिससे दिव्य ने अजय की कार का फाइनेंस किया. बाद में जब अजय और अज़हर काफी पैसा हार गए तो उसके ऊपर बैठे सटोरियों ने वो कार छीन ली. इस बारे में मनोज से बात करता है दिव्य. कंपनी का नाम है एपेक्स ग्रुप असोसिएट.
मनोज: "बोल दो ब**** सीबीआई को."
दिव्य: "पूछेंगे तो बोल दूंगा. मेरे कौन ये भो*** रिश्तेदार लग रहे हैं. कहूंगा जी अजहरुद्दीन को ऐसे ऐसे पैसे गए थे. ये बैंगलोर का ये नम्बर है. ये ढूंढ के दे दो."
मनोज: "आपको तो कोई प्रॉब्लम नहीं है न उसमें?"
दिव्य: "मुझे क्या प्रॉब्लम है?"
मनोज: "कहो जी फाइनेंस कंपनी थी मेरी ये. मैंने कंपनी में लगा दिया उसमें."
दिव्य: "नहीं मुझे कहां? नम्बर दूंगा. पैसे थोड़ी हैं मेरे पास. अपनी बुक्स में कहां शो कर सकता हूं मैं?"
मनोज: "नहीं आप ये कहना कि इधर...इधर लगवा दिए."
दिव्य: "अरे मुझे दिया रखने के लिए. दस दिन के बाद मुझसे ले लिए." https://www.youtube.com/watch?v=vbK-yxJJTnE
5 पच्चीस लाख का मामला:
मनोज प्रभाकर गए आई.एस. बिंद्रा से मिलने. वहां बात हुई फ़ेमस पच्चीस लाख वाले मामले की. उस खिलाड़ी के बारे में जो हर किसी को ख़राब खेलने के लिए 25 लाख रूपये ऑफर करता था. कोई सटोरिया नहीं, कोई बाहर का आदमी नहीं. टीम का प्लेयर.
बिंद्रा: "तो तुमने वाडेकर को बताया था 94 में?"
मनोज: "हां मैंने बताया वाडेकर को. मैंने अज़हर को भी बताया. कि ये है वो आदमी जो मेरे पास आया और अब मुझे क्या करना है? उसने कहा बस चुप रहो, हम ऐक्शन लेंगे उसके खिलाफ़."
बिंद्रा: "वो कपिल था?"
मनोज: "हां."
बिंद्रा: "क्या बोला उसने?"
मनोज: "सिद्धू सपोर्ट ही नहीं कर रहा है. सिद्धू पा मेरे रूम में थे. वो मेरे रूममेट थे उस वक़्त. कहता है 'नहीं. मेरे ऊपर तो बड़े अहसान हैं.'
6 बिशन सिंह बेदी:
मनोज: "जो असली नाम हैं वो तो अब भी छुपे हुए हैं."
बेदी: "एक बात बताओ. ये जो पच्चीस लाख वाला ऑफर था, मुझे गेस करने दो, कपिल देव था? है न?"
***************
बेदी: "मुझे ताज पैलेस की लॉबी में अजय और अज़हर मिल गए. वो लोग बात कर रहे थे और मुझे देखते ही चुप-चाप बैठ गए. उनका चेहरा ही फीका पड़ गया. मैंने कहा 'मैंने तो पूछा ही कुछ नहीं.'"
https://www.youtube.com/watch?v=gR5UZCDn2A0
7 कानपुर का मैच, प्रभाकर की सेंचुरी, उन्हें टीम से निकाला जाना:
कानपुर में मैच हुआ इंडिया वर्सेज़ वेस्ट इंडीज़. प्रभाकर और मोंगिया ने बहुत ही धीमे बैटिंग करी. उस मैच में इंडिया को 46 गेंद पर 62 रन बनाने थे. प्रभाकर ने अपनी सेंचुरी पूरी की मगर जीत की कोशिश नहीं की. उस मैच के बारे में बात करते हुए मनोज और मोंगिया.
मोंगिया: "कानपुर मैच की वजह से ही मेरा नाम आता है."
तीसरा आदमी: "हुआ क्या था?"
मनोज: "आज तक मुझे ही नहीं पता हुआ क्या था."
तीसरा आदमी: "मैनेजमेंट को पता है?"
मोंगिया और मनोज: "मैनेजमेंट ने ही तो हमको बोला."
मोंगिया: "वो मेरा पहला साल था इंटरनेशनल क्रिकेट में. डेढ़ साल ज़्यादा से ज़्यादा. मुझे नहीं पता था ये सब हो रहा है."
तीसरा आदमी: "कैप्टन कौन था?"
मोंगिया: "अज़हर और वाडेकर. उन्होंने इसको (मनोज को) यही बोला. जितने भी रन बनाओ, बस आउट मत होना. क्यूंकि नेक्स्ट मैच हम अगर हार गए तो हम टूर्नामेंट से बाहर थे. बस यही बात थी."
8 अजित वाडेकर:
मनोज प्रभाकर ने 1997 में अपने एक न्यूज़पेपर के आर्टिकल में लिखा था "1994 में श्री लंका में सिंगर कप के इंडिया और पाकिस्तान के मैच के ठीक पहले मुझे एक इंडियन प्लेयर ने अपने स्टैण्डर्ड से नीचे का खेल खेलने के बदले में 25 लाख रूपये ऑफर किये थे. मैंने उसे अपने कमरे से बाहर निकाल दिया था." जब प्रभाकर पर उस प्लेयर का नाम बताने का प्रेशर बढ़ा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने टीम मैनेजमेंट को इस घटना के बारे में बताया था. उस वक़्त कप्तान अज़हर और मैनेजर अजित वाडेकर थे. चंद्रचूड़ कमेटी के सामने वाडेकर ने मनोज को झूठा साबित कर दिया और कहा कि मनोज उनके पास कभी ऐसी कोई बात कहने आये ही नहीं. टेप में वाडेकर और मनोज के बीच हुई बातचीत:
मनोज: "सर आप तो थोड़ा सपोर्ट कर देते. मैं जब आपके पास आया, बोला मैंने कि पाजी (कपिल) शामिल हैं... सर आप थोड़ा सा कर देते न...बोर्ड के कान में ही डाल देते तो क्लियर हो जाता सच. अब देखो क्या हाल हो गया है मेरा."
वाडेकर: "नहीं रिपोर्ट में लिखा था न. पर कौन रिपोर्ट पढ़ता है."
मनोज: "आपने लिखा था रिपोर्ट में?"
वाडेकर: "हम्म..."
मनोज: "उसके (25 लाख का ऑफर) बारे में?"
वाडेकर: "हम्म हम्म..."
मनोज: "पाजी (कपिल) के बारे में?"
वाडेकर: "हम्म...लेकिन मैं पब्लिक में कैसे नाम ले सकता हूं?"
मनोज: "वो तो मैं समझता हूं सर. मगर बोर्ड मुझे दोषी ठहरा रहा है सर. आप देखो न मेरा हाल क्या कर दिया है. मेरा बेनेवोलेंट फंड रोक दिया. मुझे कहीं क्रिकेट नहीं खेलने दे रहे. मैं खेल रहा था, अच्छा भला दिल्ली में, वहां बैन करा दिया सर. फिर मैंने कहा छोड़ो. और क्या करूं सर?" https://www.youtube.com/watch?v=ajHyq6QloR8
9 नवजोत सिंह सिद्धू:
सिद्धू: "सबसे पहले तो तू ये बता ये जो पच्चीस लाख का मामला है, तू मियां (अज़हर) के बारे में बात कर रहा है या पाजी (कपिल) के बारे में?"
मनोज: "कपिल पाजी हमारे रूम में नहीं आये थे?"
सिद्धू: "हां मुझे याद है. जब मैं दूसरे कमरे में गया था, प्रशांत के कमरे में."
मनोज: "कपिल पाजी आये न? फिर क्या हुआ? सुन...हमारे बगल वाले कमरे में एक रिपोर्टर बैठा था जब मैं चिल्लाया था.
आउटलुक में भी छपा था. उन्होंने अपना रूम दिखाया. मेरा-तेरा."
सिद्धू: "प्रशांत (वैद्य) थे और मोंगिया"
मनोज: "उनका रूम दिखाया. वो (रिपोर्टर) वहीं बैठा था. तेरे सामने की तो बात है पाजी."
सिद्धू: "हाँ पाजी तो आये थे."
***************
सिद्धू: "सुन. पहली बात, मेरे सामने ये सब नहीं हुआ. कपिल देव ने मेरे सामने कोई बात नहीं की थी."
मनोज: "लेकिन कपिल रूम में तो आया था."
सिद्धू: "रूम में आया था. बिलकुल आया. ठीक है. कपिल आया, तेरे से जो भी बात करनी थी. मैं चला गया. ठीक? मुझे याद नहीं है कि क्या हुआ क्या नहीं हुआ. मेरे सामने कुछ हुआ नहीं. तू उसके बारे में बाद में बताया ये याद है कि तूने उसके बाद मुझे बताया था. लेकिन मैं इस गंध के आस-पास भी फटकना नहीं चाहता हूं."
मनोज: "मैं आखिरी आदमी हूं जो ऐसा (फ़िक्सिंग) करेगा."
सिद्धू: "मैं तुम्हें बहुत अच्छे से जानता हूं लेकिन पहले मेरी बात सुनो. देखो, अगर तुम किसी और के पास भी जाते हो...वाडेकर को कहते हो, वो तुम्हारा साथ नहीं देगा. कोई भी नहीं आयेगा. क्यूंकि क्या है न, कपिल देव छोटा-मोटा आदमी तो नहीं है. इस देश में उसकी इज्ज़त है कोई. बहुत है इज्ज़त. जब इज़्ज़त वाले बन्दे पे तू उंगली उठाएगा और तेरे पास प्रूफ नहीं होगा तो क्या करेगा? और दूसरी बात, कपिल पा के बहुत अहसान हैं मेरे ऊपर. उन्होंने मुझे क्रिकेट खिलाया, जिस तरह का भी है, अहसान तो है. मैं इस बात में पड़ना ही नहीं चाहता. मैं तो और किसी बात के नज़दीक नहीं जाता तू इसकी बात कर रहा है."
https://www.youtube.com/watch?v=FGw_E9kO0Rc