कहते हैं जब भगवान ने जब स्त्रियों और पुरुषों को बनाया, उन्होंने जीवन के तीन ज़रूरी हिस्सों, धर्म, अर्थ और काम पर लेक्चर दिया. भगवान के तीन भक्तों ने इन तीन तरह के नियमों को अलग अलग लिख लिया. धर्म की बातें लिखीं स्वयंभू मनु ने, अर्थ की बातें बृहस्पति देवता ने लिखीं. और 'काम' यानी काम की बातें नोट कीं शंकर भगवान के भक्त नंदिकेश्वर ने.
नंदिकेश्वर की कामसूत्र एक हज़ार भागों में बंटी हुई थी. इसे काट-छांट कर छोटा किया श्वेतकेतु ने. श्वेतकेतु ऋषि उद्दालक के बेटे थे. श्वेतकेतु की कामसूत्र भी बहुत बड़ी थी. तो उसे छोटा किया बाभ्रव्य ने. बाभ्रव्य पांचाल देश के राजा ब्रह्मदत्त का मंत्री था. पांचाल वही जगह है जिसे आज हम साउथ दिल्ली कहते हैं. बाभ्रव्य ने कामसूत्र को सात बड़े भागों में बांट दिया जिसपे फिर सात अलग-अलग किताबें लिखी गयीं. ये सात भाग थे:
साधरण, यानी साधरण नियम
सांप्रयोगिक, यानी लव मेकिंग
कन्या सांप्रयुक्तक, यानी शादी के पहले 'डेटिंग' और शादी
भार्याधिकारिका, यानी पत्नी
पारदारिका, यानी दूसरों की पत्नियों को सिड्यूस करना
वैशिका, यानी वेश्या
औपनिशादिका, यानी सीक्रेट कहानियां
चूंकि कामसूत्र अब सात किताबों में बंट चुकी थी, वात्स्यायन जी ने पढ़ने वालों की सहूलियत के लिए सातों किताबों के मेन पॉइंट्स को जमा कर के एक किताब में डाल दिया. ये किताब हुई हमारी कामसूत्र. मतलब कामसूत्र का फाइनल वर्ज़न जो हमें उपलब्ध है.
(कामसूत्र, लांस डेन )
वात्स्यायन ने नहीं लिखा था पहला कामसूत्र!
बाबा वात्स्यायन नहीं थे कामसूत्र के असल राइटर. उन्होंने तो गेस पेपर तैयार किए. जानिए कामसूत्र का साउथ दिल्ली कनेक्शन.

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