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सिद्धू ने डीवीडी के चक्कर में सीनियर क्रिकेटर को जड़ा थप्पड़

नवजोत सिंह सिद्धू. कहते हैं ये पहले ड्रेसिंग रूम में बहुत शर्मीले होते थे. अब तो चुप ही नहीं होते. कारनामे कम नहीं हैं इनके.

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नवजोत सिंह सिद्धू अपने छक्कों के लिए जाने जाते थे. आज उन्हें हम उनकी हंसी के लिए जानते हैं. साथ ही उनके मुहावरे फेंक के मारने की कला के लिए भी. ये आदमी कब कहां से लाकर क्या कह दे, मालूम नहीं. इतना ज्ञान कहां से आया, किसी को कुछ खबर नहीं. कहा जाता है कि ड्रेसिंग रूम में सबसे शर्मीले क्रिकेटर्स में से एक हुआ करते थे ये नवजोत सिंह सिद्धू. अब उस जादू की छड़ी घुमाने वाले को मुबारकबाद दूं या बद्दुआएं, समझ नहीं आता. सिद्धू के बारे में कुछ किस्से:

1. एक आर्टिकल ने बनाया इंडियन प्लेयर

1983 में सिद्धू को इंडियन क्रिकेट टीम में सेलेक्ट नहीं किया गया. ये पहली दफा था जब सिद्धू ने अपने पिता को रोते हुए देखा. उस वक़्त इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में एक आर्टिकल छपा. नाम था - "Sidhu: The Strokeless wonder"जिस जर्नलिस्ट ने वो आर्टिकल लिखा था, उनका नाम था राजन बाला. सिद्धू ने अपने रोते हुए पिता को देख तय कर लिया था कि एक दिन टीम इंडिया के लिए ज़रूर खेलेंगे. बस, उन्होंने उस दिन से खुद अपनी ही दुनिया पलट दी. उस आर्टिकल को काटा, और अपने कमरे में चिपका लिया. उसे रोज़ पढ़ते. रोज़ सुबह 4 बजे उठते, खुद पिच को रोल करते, उसे पानी देते और उस पर प्रैक्टिस करते. सादगी ओढ़ ली. चार सालों तक सफ़ेद रंग के सिवा कोई भी और रंग का कपड़ा नहीं पहना. रोज़ छक्के मारने की प्रैक्टिस करते. लड़कों को पकड़-पकड़ कर उनसे गेंदें फिंकवाते.  बाद में उन्हीं लड़कों को अपनी पॉकेट मनी से चॉकलेट खिलाते. दो साल बाद उनके पिता की मौत हो गयी. लेकिन उन्होनें इंडिया के लिए खेलने की ठानी हुई थी. वो रुके नहीं. पिता की मौत के लगभग 2 साल बाद उन्हें 1987 में वर्ल्ड कप टीम के लिए चुना गया. इंडिया की ओर से अगले पांच मैचों में चार हाफ़ सेंचुरियां लगाईं.  वर्ल्ड कप के बाद खलीज टाइम्स में एक और आर्टिकल छपा. नाम था "Sidhu: From Strokeless Wonder To A Palm-Grove Hitter. What A Change!" इस बार भी लिखने वाले जर्नलिस्ट का नाम था राजन बाला. साथ ही थी उनकी उनके पिता संग ये तस्वीर: Sidhu

2. सिद्धू ने जड़ा प्रभाकर को तमाचा

एक फॉरेन टूर था. कप्तान थे मोहम्मद अजहरुद्दीन. उनके कमरे में सिद्धू, अजहर, कपिल देव और मनोज प्रभाकर एक फिल्म देख रहे थे. जो फिल्म चल रही थी, सिद्धू वो फिल्म देख चुके थे. तो उन्होंने कपिल से कहा, "पाजी, मैं दूसरी फिल्म की डीवीडी ले जाता हूं. अपने कमरे में देख लूंगा." सिद्धू जैसे ही डीवीडी उठाने के लिए रैक की तरफ बढ़े, प्रभाकर ने उन्हें तेज आवाज में डांट दिया. बोले, "छूना मत." सिद्धू प्रभाकर के जूनियर थे. चुपचाप आकर बैठ गए और वही फिल्म देखते रहे. थोड़ी देर बाद सिद्धू मेज पर रखे रसगुल्ले का डब्बा उठाने लगे. इसे वही बाहर से खरीदकर लाए थे. प्रभाकर ने फिर उन्हें डांटकर कहा, "छूना मत." इसपर सिद्धू को गुस्सा आ गया. उन्होंने पूछा, "तुमने खरीदे हैं क्या?" प्रभाकर बोले, "नहीं खरीदे तो नहीं, पर जो मेरी मर्जी में आएगा वही होगा इनके साथ." सिद्धू उठे और प्रभाकर को एक तमाचा रसीद कर दिया. सिद्धू ने बरसों बाद एक टीवी प्रोग्राम में इस वाकये को कबूल किया. साथ ही याद आता है वो वक़्त जब इस वाकये के सालों बाद खुद को निर्दोष साबित करने के लिए मनोज प्रभाकर तहलका के लिए कैमरा पहन सिद्धू के पास स्टिंग ऑपरेशन करने पहुंच गए थे. और सिद्धू ने प्रभाकर को कपिल के खिलाफ़ बयान देने के लिए मना कर दिया था.

3. सिद्धू ने की क्रिकेट में चीटिंग

बिग बॉस सीज़न 6 में सिद्धू भी थे. वहां एक बार लाई-डिटेक्टर-टेस्ट हुआ. जिसमें सिद्धू से सवाल पूछा गया कि क्या आपने कभी इंटरनेशनल क्रिकेट में चीटिंग की है. सिद्धू ने कहा, "हां. इन शारजाह. मैंने कर्टनी वाल्श का कैच बाउंड्री रोप में पकड़ा था और हम वो मैच जीत गये थे." सिद्धू के मुताबिक़ उन्होंने जब कैच पकड़ा था तो उनका पैर बाउंड्री पर पड़ी रस्सी से छू गया था. जिसकी वजह से वो छक्का कहलाया जाता. लेकिन उन्होंने कैच क्लेम किया और वाल्श आउट हो गए.

4. सिद्धू और अज़हरुद्दीन

नवजोत सिंह सिद्धू 1996 के इंडिया के इंग्लैण्ड टूर से वापस आ गए थे. टूर बीच में ही छोड़कर. हर कोई हैरान था. लेकिन सुगबुगाहट ये भी थी कि सिद्धू को अज़हर से कोई दिक्कत थी. और अज़हर कप्तान थे. सिद्धू ने किसी से भी कुछ नहीं कहा. लेकिन मोहिन्दर अमरनाथ ने कुछ वक़्त बाद जब जोर डालकर पूछा तो उन्होंने बताया कि जब भी वो अज़हर को गुड मॉर्निंग कहते तो वो उन्हें गालियों में जवाब देते. यही नहीं, कोई भी बात हो तो अज़हर वही शब्द इस्तेमाल करते. चाहे कोई इंस्ट्रक्शन हो, मैच के बारे में बात हो या नॉर्मल बातें हो, अज़हर सिद्धू के साथ गालियों से बात करते थे. अमरनाथ ने सिद्धू से वो गाली पूछी. सिद्धू ने बताया, "मां के..." ये सुनकर अमरनाथ हंसते हंसते गिर पड़े. उन्होंने समझाया कि ये नॉर्थ इंडिया में गाली होती है, लेकिन जहां से अज़हर आते हैं वहां इसे दुलार के साथ कहा जाता है. यहां तक कि औरतों को भी. उसका मतलब होता है 'मां के प्यारे बेटे." सालों बाद अज़हर और सिद्धू के बीच वापस दोस्ती हुई. और ये पहली बार साथ नज़र आए. मौका था सिद्धू के अस्पताल में भर्ती होने पर. अज़हर उनसे मिलने वहां पहुंचे थे. Sidhu Azhar

5. सिद्धू और आमिर सोहेल

सिद्धू और सचिन बैटिंग कर रहे थे. आकिब जावेद बॉलिंग पर जमे हुए थे. सिद्धू ने एक शॉट मारा, जिसपर वक़ार यूनिस आकर सिद्धू से कहने लगे, "ओये सरदारा! सिद्धा खेल. आड़ा-तिरछा ना खेल." सिद्धू को मालूम था कि वक़ार यूनिस की एक उंगली छोटी थी. उन्होंने वक़ार से कहा, "ओये उंगली कट्या, पूरा टुंडा करके दावांगा तेन्नू." इस बात पर पाकिस्तानी कप्तान आमिर सोहेल बीच में आ गए. वो बोले, "ओये सरदार! बंदा बन जा." बस! सिद्धू को गुस्सा दिलाने के लिए इतना काफी था. वो आमिर सोहेल की तरफ बल्ला उठाकर चल पड़े. सोहेल को लगा वो उन्हें सच में पीट देगा. उन्होंने तुरंत उसे शांत करवाया. दूसरे एंड पर सचिन खड़े बस चिल्लाते रहे, "ओ शेरी! ओ शेरी! जाने दे!" https://www.youtube.com/watch?v=zDlTY4Syimw
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