विजय माल्या, नीरव मोदी और सांदेसरा बंधु. इन तीनों में एक बात कॉमन है. वो ये कि इन्होंने गलत तरीके से बैंकों से लोन लिया और चुकाने के नाम पर देश छोड़कर भाग गए. पहले दो को तो आप सब जानते हैं, अब बात करते हैं सांदेसरा ब्रदर्स की. सांदेसरा बंधु 5,300 करोड़ रुपए का लोन लेकर देश से भाग गए. इसे अब स्टर्लिंग बायोटेक घोटाला कहा जा रहा है. आपको आसान भाषा में समझाते हैं कि यह पूरा मामला है क्या?
स्टर्लिंग बायोटेक: 2011 में मिली एक डायरी से ऐसे खुला गुजरात का 5,300 करोड़ का घोटाला
सरकार कुछ कर पाती उससे पहले विदेश भाग चुके हैं घोटालेबाज. आसान भाषा में समझिए पूरा मामला.

सवाल-1: क्या है स्टर्लिंग बायोटेक?
गुजरात के वडोदरा में एक दवाई बनाने वाली कंपनी है स्टर्लिंग बायोटेक. 1985 में यह कंपनी बनी थी. इसका काम है जिलेटिन का प्रॉडक्शन करना. जिलेटिन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल दवाइयों के कैप्सूल बनाने में होता है. भारत के जिलेटिन मार्केट के लगभग 60% और संसार के जिलेटिन बाजार के 6% हिस्से पर स्टर्लिंग बायोटेक का कब्जा है. यह सांदेसरा ग्रुप की बस एक कंपनी है. इसके अलावा तेल, इंफ्रास्ट्रक्चर, इंजिनियरिंग में भी सांदेसरा ग्रुप का काम है. OPEC* देशों में तेल उत्पादन करने वाली एकमात्र भारतीय कंपनी है.
*OPEC- ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंपनी. मतलब तेल का निर्यात करने वाले देशों का ग्रुप.

स्टर्लिंग बायोटेक अर्श से अब फर्श की ओर है.
सवाल-2: घोटाले की शुरुआत कहां से?
जवाब- 2011 में सांदेसरा ग्रुप जांच एजेंसियों के रडार पर आए. CBI (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन) का छापा पड़ा जिसमें एक डायरी मिली. इस डायरी में कई अधिकारियों, नेताओं और बैंक कर्मचारियों को रिश्वत देने की बातें लिखी हुई थीं. सीबीआई ने तीन कमिश्नर लेवल के इनकम टैक्स अधिकारियों के ऊपर एफआईआर दर्ज की. यहीं से सांदेसरा ग्रुप लाल घेरे में आ गया.
सवाल-3: बैंक लोन फ्रॉड का मामला कहां से आया?
जवाब- 2016 में आंध्रा बैंक के साथ कई सारे बैंकों ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल* में स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड (SBL) के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. शिकायत थी कि इन बैंकों से लिया गया करीब 5,383 करोड़ का लोन एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट) हो गया है. एनपीए मतलब ऐसा लोन जो अब वापस नहीं आएगा. इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की. केस दर्ज किया गया जिसमें सांदेसरा परिवार के चेतन सांदेसरा, नितिन सांदेसरा, दीप्ति सांदेसरा, राजभूषण सांदेसरा, विलास जोशी के साथ CA हेमंत हाथी और आंध्रा बैंक के डायरेक्टर अनूप प्रकाश गर्ग के नाम शामिल थे. मामला मनी लॉन्ड्रिंग* और हवाला* के जरिए लेन-देन का भी था. ऐसे में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने भी अपनी जांच शुरू की.
*नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल- भारतीय कंपनियों के विवादों का निपटारा करने के लिए बनाया गया प्राधिकरण.
*मनी लॉन्ड्रिंग- गलत तरीके से कमाए गए पैसे को वैध बनाने की कोशिश या कालेधन को सफेद करना.
*हवाला- टैक्स से बचने के लिए बिना सरकार की नजर में आए अवैध तरीके से किया गया लेन-देन.

सांदेसरा ब्रदर्स के बारे में किसी को नहीं पता कि वो दुबई हैं या कहीं और.
सवाल-4: जांच में क्या निकला?
जवाब- इस जांच में जो बातें सामने आईं वो हैं-
# सांदेसरा बंधुओं ने गलत कागजात पेश कर लोन लिए और करीब सौ फर्जी कंपनियां (शेल कंपनियां*) बनाईं.# ये सब कंपनियां एक ही पते पर रजिस्टर्ड थीं. इनके एक ठिकाने पर सीबीआई के छापे में 100 से ज्यादा कंपनियों के एक ही पते के रबर स्टैंप मिले थे.
# साथ ही, सांदेसरा ब्रदर्स ने इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के फर्जी बिल लगाए. ये सब कागजात उन्होंने बैंकों में दिए जिसके आधार पर इन्हें लोन मिला.
# इस पैसे से इन्होंने कई बेनामी संपत्तियां भी खरीदीं. पैसा बेनामी कंपनियों के नाम पर बने खातों में भी ट्रांसफर किया. साथ ही कई सारी लग्जरी कारें भी खरीदीं.
# इस सब के लिए कई अधिकारियों और नेताओं को रिश्वत भी दी.
*शेल कंपनी- वो कंपनियां जो बस कागज पर होती हैं असली में नहीं. इन कंपनियों के जरिए अवैध ट्रांजेक्शन किए जाते हैं.
सवाल-5: बैंकों ने वेरिफाई क्यों नहीं किया?
जवाब- जब सैंया भये कोतवाल तो फिर डर काहे का. सांदेसरा बंधुओं ने आंध्रा बैंक के डायरेक्टर अनूप प्रकाश गर्ग को अपने पाले में लिया. सीबीआई के मुताबिक अनूप गर्ग को 1.52 करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई. अब इसके आगे तो आप सारा मामला समझ ही सकते हैं. 12 जनवरी को अनूप प्रकाश गर्ग को ईडी ने अरेस्ट कर लिया.
सवाल-6: और कौन-कौन लोग शामिल थे?
जवाब- ईडी ने इस केस में दिल्ली के बिजनेसमैन गगन धवन को गिरफ्तार किया. गगन धवन के सांदेसरा बंधुओं से करीबी संबंध थे. मनी लॉन्ड्रिंग और शेल कंपनियां बनाने में भी वह सहयोगी रहा. धवन के बड़े नेताओं से भी करीबी संबंध हैं. साथ ही उसने 1.5 करोड़ रुपए भी सांदेसरा बंधुओं से लिए थे. इसके अलावा स्टर्लिंग बायोटेक के डायरेक्टर राजभूषण दीक्षित को भी इस मामले में गिरफ्तार कर लिया.
सवाल-7: सांदेसरा बंधु कहां निकल गए?
जवाब- सीबीआई के मुताबिक केस दर्ज होने से पहले ही सांदेसरा परिवार देश छोड़कर दुबई भाग गया. अगस्त में खबर आई कि नितिन सांदेसरा को दुबई में हिरासत में लिया गया है. लेकिन बाद में यह महज अफवाह निकली. अब खबर है कि पूरा परिवार दुबई से भागकर नाईजीरिया चला गया है. नाईजीरिया में सांदेसरा ग्रुप का तेल का कारोबार है.
सवाल-8: सरकार ने क्या कार्रवाई की?
जवाब- सरकार ने पहले दुबई सरकार से बात की और अब नाईजीरिया की सरकार से इनको गिरफ्तार कर भारत लाने के बारे में बात कर रही है. नाईजीरिया के साथ भारत की कोई प्रत्यर्पण संधि* नहीं है. ऐसे में इस काम में दिक्कत होगी. ईडी ने स्टर्लिंग बायोटेक की 4,701 करोड़ रुपए की प्रोपर्टी अटैच (जब्त) कर दी है. ईडी और सीबीआई की अदालत सुनवाई कर रही है. सांदेसरा बधुंओं के सरकार की गिरफ्त में आने के बाद ही जांच पूरी हो पाएगी. जांच एजेंसियों को कई बड़े नेताओं के भी इसमें शामिल होने का शक है.
*प्रत्यर्पण संधि- एक देश का कोई अपराधी अगर दूसरे देश में जाकर छुप जाए तो उसे अपने देश वापस लाने के लिए दोनों देशों के बीच होने वाली संधि.

ईडी ने सांदेसरा ग्रुप से जुड़ी संपत्तियों को अटैच करना शुरू कर दिया है.
एक एक्स्ट्रा बात- 2011 में बरामद हुई डायरी में एक एंट्री थी कैश पेड टू RA. आरोप लगा सीबीआई के RA यानी राकेश अस्थाना पर. राकेश अस्थाना सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर हैं. पहले वो गुजरात में ही पोस्टेड थे. इस केस में अब उनके ऊपर सीवीसी (सेंट्रल विजिलेंस कमीशन) की जांच चल रही है. राकेश अस्थाना ने सफाई दी कि इस RA का मतलब रनिंग अकाउंट था. फिलहाल सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने इस मामले को पेचीदा बताते हुए कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है. लेकिन इस केस के चलते वर्मा और अस्थाना में खींचतान चल रही है. लेकिन असली मतलब तो इन सांदेसरा बंधुओं के पकड़ में आने के बाद ही पता चलेगा.
वीडियो- सहारनपुर के गुप्ता बंधु, जिन्होंने अपनी जेब में पूरे दक्षिण अफ्रीका को रख लिया