कल के इंतज़ार में हम भी गूगल पर इससे जुड़ी हुई जानकारी छानने लगे. सामने आई यह मज़ेदार जानकारी 'रावण' और 'सीता' के बारे में. मतलब इन दोनों कैरेक्टर्स को निभाने वाले एक्टर्स के बारे में.
सीता का रोल करती थीं दीपिका चिखालिया. रोल में ऐसी फिट हुईं कि पूरे देश के लिए वे सीता मइया ही बन गईं. राम का रोल करने वाले अरुण गोविल और दीपिका कहीं दिख जाएं, तो लोग उनके पैर छूने लगते थे. 1987-1988 में रामायण का प्रसारण हुआ था. उसके बाद दीपिका ने और भी टीवी सीरियल्स में काम किया. 'लव कुश', 'विक्रम और बेताल' और 'द स्वॉर्ड ऑफ़ टीपू सुल्तान'. राजेश खन्ना अभिनीत दो हिट फिल्मों में सहायक रोल भी किया. 'घर का चिराग' और 'रुपए दस करोड़'.

दीपिका चिखालिया 'सीता' के रोल में; दीपिका 'विक्रम बेताल' के एक सीन में
उसके बाद उन्होंने रुख किया राजनीति का. 1991 में गुजरात की वडोदरा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा. भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर. उस समय उनकी उम्र केवल 26 साल थी. अपने चुनावी भाषण को 'जय श्रीराम' और 'भारत माता की जय' के नारों से शुरू करती थीं. उन्हें गुजराती बोलनी नहीं आती थी. तो उन्होंने जनता को कहा,
मैं आपसे उसी भाषा में बात करूंगी, जो आप मुझे टीवी पर बोलते हुए सुनते हैं.यह सुनते ही भीड़ ख़ुशी से चिल्लाकर सहमति जताती थी. दीपिका ने दो लाख 76 हज़ार से ज्यादा वोट पाकर जीत दर्ज की. उन्होंने कांग्रेस के रंजीतसिंह प्रतापसिंह गाएकवाड़ को हराया था. जिन्हें दो लाख 42 हज़ार के करीब वोट मिले थे. रंजीत सिंह बड़ौदा के आखिरी राजा प्रतापसिंह राव गाएकवाड़ के बेटे थे. लोकतांत्रिक चुनाव में राजा का बेटा हारा गया. 09 जुलाई, 1991 दसवीं लोक सभा का ओपनिंग दिन था. 417 सांसदों ने शपथ ली थी. उनमें से एक थी दीपिका.

दीपिका चिखालिया और अरविंद त्रिवेदी संसद में एंट्री करते हुए
उनके साथ उनके एक और को-स्टार ने भी राजनीति में हाथ आज़माया. लंकेश रावण यानी अरविन्द त्रिवेदी ने. वे 53 साल के हो चुके थे.
उन्होंने गुजरात के साबरकांठा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. इनको भी भाजपा का टिकट मिला था. चुनावी कैंपेन में 'रावण' का चुनावी मुद्दा था राम मंदिर. भाषण में जनता के सामने बोले,
"राम का विरोध करने का परिणाम मुझसे बेहतर कौन जान सकता है"

टीवी सीरियल 'रामायण' में सीता हरण का सीन
उनके प्रतिद्वंदी थे महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी. भाजपा के चुनावी मुद्दे और अरविन्द त्रिवेदी के भाषण को लेकर बोले -
"जैसे रावण ने सीता को किडनैप किया था, उसी तरह उन्होंने राम को किडनैप कर लिया है."चुनाव में 'गांधी' की हार हुई, और 'रावण' की जीत. अरविन्द त्रिवेदी को एक लाख 68 हज़ार से ज्यादा वोट मिले.
दीपिका और अरविंद की राजनैतिक पारी बहुत लंबी नहीं चली. 1996 के चुनाव में अरविंद त्रिवेदी ने उसी सीट से चुनाव लड़ा. उन्हें कॉन्ग्रेस की निशा अमरसिंह चौधरी से शिकस्त झेलनी पड़ी. 1998 में उन्होंने एक गुजराती फिल्म में काम किया. 'देश रे जोया दादा प्रदेश जोया'. दादा के रोल में थे अरविंद त्रिवेदी. फिल्म बहुत बड़ी हिट रही. इसके बाद उन्हों फिल्मों से भी संन्यास ले लिया.

गुजराती फिल्म 'देश रे जोया, दादा परदेश जोया' के सीन में अरविन्द त्रिवेदी
जब दीपिका सांसद थी, उस समय भी उनकी कुछ हिंदी, गुजराती और तमिल फिल्में परदे पर आईं. 1994 की फिल्म 'खुदाई' से उन्होंने सिनेमा को अलविदा कहा. 1996 में उन्होंने राजनीति भी छोड़ दी. इसका कारण बताते हुए उनका कहना था -
"मैं आसानी से कह सकती हूं कि मैं तक़दीर की बेटी हूं. प्रसिद्धि, टीवी शो और फिर राजनीति में करियर भी मुझे एक प्लेट पर सजाया हुआ मिला. लेकिन जिस दिन मेरी शादी हो गई, मेरे सपने बदल गए. मेरी बाकी सब एम्बिशंस पीछे रह गईं. मैं एक जिम्मेदार मां बनना चाहती थी. राजनेता होते हुए मेरे लिए उस समय घर पर रहना संभव नहीं हो पाता, जब मेरी बेटियों को मेरी जरूरत थी. उस समय मैं अपने पति के साथ भी काम कर रही थी. उन्होंने सलाह दी, कि मैं एक ही चीज़ पर ध्यान दूं. इसलिए संसद में अपनी टर्म ख़त्म करने के बाद मैंने अपनी सीट छोड़ दी."उनकी शादी उद्योगपति हेमंत टोपीवाला से हुई थी. 2018 में उन्होंने फिर से फिल्मों में एंट्री की. वे 2019 की फिल्म 'बाला' में परी (यामी गौतम) की मां के रोल में नज़र आई थीं.
वीडियो देखें - सज्जन लाल पुरोहित के किस्से, जो टीवी में विक्रम के साथ बेताल बने थे